Jaishankar statement

विश्व में स्थिरता लाने में अहम भूमिका निभा सकता है भारत.. संयुक्त प्रेस वार्ता में विदेश मंत्री जयशंकर ने कही ये बात

Jaishankar statement: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ऐसे समय में स्थिरता लाने व एक सेतु की भूमिका निभा सकता है

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:47 PM IST
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Published Date: September 29, 2022 8:19 am IST

वाशिंगटन। Jaishankar statement: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ऐसे समय में स्थिरता लाने व एक सेतु की भूमिका निभा सकता है। जब दुनिया में आशा की कोई किरण नजर नहीं आ रही और अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के जोखिम को कम करने में और राजनीतिक दृष्टि से किसी तरह दुनिया का ध्रुवीकरण रोकने में मदद कर सकता है।

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मंत्री ने कहा अंतरराष्ट्रीय समुदाय बेहद चिंतित है

Jaishankar statement: जयशंकर ने भारतीय पत्रकारों के एक समूह से बुधवार को कहा, ‘‘दुनिया में वास्तव में आशा की कोई किरण नहीं दिख रही। मुझे लगता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय बेहद चिंतित है।’’ मंत्री ने कहा कि भारत के लिए यह अवसरों से कहीं अधिक हैं, क्योंकि यह बहुत कठिन स्थिति है। ‘‘मुझे लगता है कि इस दिशा में भारत अपना योगदान दे सकता है। मुझे लगता है कि आज हम स्थिरता लाने में एक भूमिका निभा सकते हैं। हम एक पुल की तरह काम सकते हैं। हम कूटनीतिक रूप से एक भूमिका निभा सकते हैं। हमें वास्तव में आर्थिक दृष्टि से देखना होगा कि हम वैश्विक अर्थव्यवस्था के जोखिम को कम करने में कैसे योगदान दे सकते हैं? और राजनीतिक दृष्टि से हम किसी तरह से दुनिया का ध्रुवीकरण रोकने में कैसे मदद कर सकते हैं?’’

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 ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को भारत से बहुत उम्मीदें

Jaishankar statement: जयशंकर ने कहा कि उन्हें लगता है कि बहुत से अन्य देशों खासकर ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को भारत से बहुत उम्मीदें हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम जो कर सकते हैं करेंगे और हम दुनिया के हाशिए पर मौजूद सभी देशों से भी संपर्क करेंगे।’’ संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क की अपनी हाल में संपन्न यात्रा के दौरान जयशंकर ने दुनिया भर के विश्व नेताओं और उनके समकक्षों के साथ लगभग 100 बैठकें कीं। उन्होंने कहा कि इतनी सारी बैठकें इसलिए की गईं क्योंकि कई लोगों ने मिलने की इच्छा जाहिर की थी। कई देश बातचीत करना चाहते थे। ‘‘कई देश हमसे बात करना चाहते थे क्योंकि ऐसी धारणा है कि हम प्रमुख ताकतों के साथ संपर्क में हैं, हम उन्हें प्रभावित कर सकते हैं, हम किसी विचार को आकार दे सकते हैं, हम योगदान दे सकते हैं…।’’

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