इम्युनोथेरेपी का उद्देश्य कैंसर को हराना था, पर इस महान वादे का क्या हुआ? |

इम्युनोथेरेपी का उद्देश्य कैंसर को हराना था, पर इस महान वादे का क्या हुआ?

इम्युनोथेरेपी का उद्देश्य कैंसर को हराना था, पर इस महान वादे का क्या हुआ?

:   Modified Date:  October 24, 2024 / 05:02 PM IST, Published Date : October 24, 2024/5:02 pm IST

(जोनाथन फिशर, यूसीएल)

लंदन, 24 अक्टूबर (द कन्वरसेशन) चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ द मेडिकल साइंसेज’ ने वर्ष 1893 में दस ऐसे रोगियों के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी उनके बड़े और अब तक लाइलाज कैंसर को ठीक करने के लिए त्वचा के संक्रमण से लिया गया बैक्टीरिया का इंजेक्शन लगाया गया।

प्रत्येक मामले में उल्लेखनीय सुधार देखा गया, जिससे “कैंसर इम्युनोथेरेपी” का जन्म हुआ। कैंसर इम्युनोथेरेपी में कैंसर पर हमला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति का उपयोग किया जाता है।

प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर और संक्रमण के विरुद्ध शरीर का सबसे शक्तिशाली हथियार है। किसी कैंसर कोशिका का लंबे समय तक जीवित रहना, विभाजित होना और अंततः गांठ या ट्यूमर का रूप ले लेना, एक क्रूर डार्विनवादी प्रक्रिया का परिणाम है। जैव-उद्विकास एवं प्राकृतिक चयन से सम्बन्धित चार्ल्स डार्विन के विचारों को डार्विनवाद कहते हैं।

इस बिंदु तक पहुंचने के लिए, कैंसर को प्रतिरक्षा प्रणाली से छिपना होगा और रोगियों की प्रतिरक्षा मशीनरी को अपने में समाहित करना होगा ताकि वह इसकी मूल ‘प्रोग्रामिंग’ को धोखा देकर कैंसर की रक्षा कर सके।

इम्युनोथेरेपी – जो वास्तव में लगभग एक दशक पहले शुरू हुई थी – ट्यूमर उन्मूलन के पक्ष में संतुलन को कृत्रिम रूप से बदलने का एक प्रयास है।

कभी-कभी कैंसर में पहले से मौजूद प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर से रोक हटाकर ऐसा किया जा सकता है।

यह इसलिए काम करता है क्योंकि कैंसर शरीर के अपने प्राकृतिक सुरक्षा स्विच या ‘चेकपॉइंट्स’ का उपयोग करके उसे धोखा देता है, जो आमतौर पर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रण में रखते हैं।

विशेष रूप से चयनित एंटीबॉडीज – जैविक दवाओं – का उपयोग करके इन स्विचों को अवरुद्ध करने से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पुनः चालू हो जाती है। इस दृष्टिकोण को ‘प्रतिरक्षा चेकपॉइंट अवरोध’ कहा जाता है।

उत्परिवर्तन आनुवंशिक कोड में परिवर्तन हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। सभी कैंसर एक स्पेक्ट्रम में आते हैं, जो इस बात पर निर्भर करता है कि कोशिकाओं में कितने उत्परिवर्तन हैं।

आमतौर पर, विषाक्त या हानिकारक चीजों के संपर्क में आने से होने वाले कैंसर में उत्परिवर्तन की संख्या उन कैंसरों की तुलना में अधिक होती है जो विषाक्त या हानिकारक चीजों के संपर्क में नहीं आते हैं – इसके उदाहरणों में मेलेनोमा (एक प्रकार का त्वचा कैंसर) और कुछ प्रकार के कोलन कैंसर शामिल हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली के दृष्टिकोण से, जितने अधिक उत्परिवर्तन होते हैं, कैंसर उतना ही अधिक “प्रचंड” होता है। इससे कैंसर अधिक आक्रामक हो सकता है, लेकिन इससे यह संभावना भी बढ़ जाती है कि प्रतिरक्षा प्रणाली ने इसे पहचान लिया होगा और प्रतिक्रिया शुरू कर दी होगी।

यही कारण है कि ‘प्रतिरक्षा जांच बिंदु अवरोध चिकित्सा’(चेकपॉइंट्स) इन उच्च उत्परिवर्तन वाले कैंसरों के लिए तो अच्छी तरह से काम करती है, लेकिन अन्य के लिए कम प्रभावी होती है।

इम्युनोथेरेपी का दूसरा प्रकार प्रतिरक्षा प्रणाली की प्राकृतिक गतिविधि पर निर्भर नहीं करता है। यह दृष्टिकोण प्रतिरक्षा मशीनरी का उपयोग करता है जिसे प्रयोगशाला में डिजाइन किया गया है, कुछ हद तक जैविक लेगो की तरह।

वैज्ञानिक मौजूदा प्रतिरक्षा तंत्र के कुछ हिस्सों को लेते हैं और उन्हें मिलाकर नए बनाते हैं, जिससे शरीर की रक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया का तरीका बेहतर हो जाता है।

जब इसे रोगी की टी-कोशिकाओं (एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका जो आमतौर पर वायरस से लड़ती है) में डाला जाता है, तो यह मशीनरी उन्हें कैंसर पर हमला करने और उसे मारने में सक्षम बनाती है।

सेल थेरेपी कहलाने वाली इस पद्धति से पहले लाइलाज ल्यूकेमिया के रोगियों को ठीक किया जा सका है। नयी मशीनरी, जिसे ‘काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर’ या ‘कार’ कहा जाता है, एक विविध टी-कोशिका आबादी को कार-टी में बदल देती है, जहां प्रभावित कोशिकाएं एक ही कैंसर-संबंधित मार्कर पर प्रतिक्रिया करती हैं।

अपनी सफलता के शिकार——-

दोनों प्रकार की इम्युनोथेरेपी अपनी सफलता की शिकार हो गई हैं। इससे जोखिमपूर्ण विविधीकरण के बजाय मौजूदा तकनीक की नकल करने की प्रवृत्ति बढ़ी है।

अमेरिकी विनियामकों द्वारा अनुमोदित 11 प्रतिरक्षा जांच बिंदु अवरोधन उपचारों में से नौ एक ही प्रतिरक्षा अंतःक्रिया को लक्षित करते हैं। और 2017 में अपनी शुरुआत के बाद से अमेरिका में स्वीकृत कार-टी कोशिका उपचारों में से सभी रक्त कैंसर पर विशेष रूप से पाए जाने वाले दो मार्करों में से एक को लक्षित करते हैं।

द कन्वरसेशन रवि कांत रवि कांत संतोष

संतोष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)