आईसीसी अभियोजक का म्यामां के सैन्य शासन प्रमुख के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अनुरोध |

आईसीसी अभियोजक का म्यामां के सैन्य शासन प्रमुख के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अनुरोध

आईसीसी अभियोजक का म्यामां के सैन्य शासन प्रमुख के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अनुरोध

:   Modified Date:  November 27, 2024 / 06:50 PM IST, Published Date : November 27, 2024/6:50 pm IST

हेग, 27 नवंबर (एपी) अंतरराष्ट्रीय अपराधिक अदालत के मुख्य अभियोजक ने बुधवार को न्यायाधीशों से म्यामां के रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए देश के सैन्य शासन प्रमुख के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अनुरोध किया।

वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग पर रोहिंग्याओं के निर्वासन और उत्पीड़न के लिए मानवता के खिलाफ अपराध का आरोप है। जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने 2021 में तख्तापलट के जरिये निर्वाचित नेता आंग सान सू ची से सत्ता हथिया ली थी।

लगभग दस लाख लोग पड़ोसी देश बांग्लादेश भागने के लिए मजबूर हुए थे। इसे जातीय सफाया कहा गया, इसमें सामूहिक बलात्कार, हत्याएं और घरों को आग लगाना शामिल था।

अदालत के शीर्ष अभियोजक करीम खान ने बांग्लादेश के एक शरणार्थी शिविर से एक बयान में कहा कि वह जल्द ही म्यामां के नेताओं के लिए और अधिक वारंट का अनुरोध करने का इरादा रखते हैं।

ब्रिटिश बैरिस्टर ने कहा, ‘‘ऐसा करके हम अपने सभी भागीदारों के साथ मिलकर यह दिखाएंगे कि रोहिंग्या को भुलाया नहीं गया है। दुनिया भर के सभी लोगों की तरह वे (रोहिंग्या) कानून के संरक्षण के हकदार हैं।’’

ये आरोप एक विद्रोही हमले के जवाब में अगस्त 2017 में म्यामां की सेना द्वारा शुरू किए गए एक आतंकवाद रोधी अभियान से उत्पन्न हुए हैं। म्यामां रक्षा सेवाओं के प्रमुख ह्लाइंग पर आरोप है कि उन्होंने म्यामां के सशस्त्र बलों के साथ-साथ राष्ट्रीय पुलिस को रोहिंग्या नागरिकों पर हमला करने का निर्देश दिया था।

खान बांग्लादेश में थे, जहां उन्होंने विस्थापित रोहिंग्या लोगों से मुलाकात की। लगभग 10 लाख मुस्लिम रोहिंग्या म्यामां शरणार्थी के रूप में बांग्लादेश में रह रहे हैं। इनमें लगभग 740,000 वे रोहिंग्या भी शामिल हैं जो 2017 में भागकर यहां पहुंचे।

बौद्ध बहुल म्यामां में रोहिंग्याओं को व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ा है, जिनमें से अधिकांश को नागरिकता से वंचित कर दिया गया है। म्यामां की सरकार रोहिंग्या को देश के 135 वैध जातीय अल्पसंख्यकों में से एक के रूप में मान्यता देने से इनकार करती है, इसके बजाय उन्हें बंगाली कहती है, जिसका अर्थ है कि उनकी मूल भूमि बांग्लादेश में है और वे म्यामां में अवैध रूप से बसे हुए हैं।

मानवाधिकार समूहों ने वारंट के अनुरोध के फैसले की सराहना की। यूक्रेन और गाजा में संघर्षों के सुर्खियां बटोरने के कारण रोहिंग्या की स्थिति पर कम ध्यान गया है।

ह्यूमन राइट्स वॉच की वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय न्याय वकील मारिया एलेना विग्नोली ने कहा, ‘‘सीनियर जनरल मिन आंग ह्लाइंग के खिलाफ वारंट मांगने का आईसीसी अभियोजक का फैसला रोहिंग्या नागरिकों के खिलाफ नए अत्याचारों के बीच आया है, जो सात साल पहले झेले गए अत्याचारों की याद दिलाते हैं। आईसीसी की कार्रवाई दुर्व्यवहार के चक्र को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’

म्यामां में निर्वाचित होने के बाद पद ग्रहण करने से रोक दिए गए सांसदों द्वारा गठित विपक्षी राष्ट्रीय एकता सरकार की विदेश मंत्री जिन मार आंग ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि आईसीसी के न्यायाधीशों को ‘‘शीघ्रता से वारंट जारी करना चाहिए’’। सरकारों को ‘‘न्याय और अंतरराष्ट्रीय कानून को बनाए रखने के लिए इस वारंट को लागू करना चाहिए।’’

उन्होंने पोस्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय अपराधिक अदालत की कार्रवाई ‘‘म्यामां के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतिनिधित्व करती है।’’

सैन्य शासन के प्रवक्ता थेट स्वे ने टिप्पणी के अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया।

खान का अनुरोध अब तीन न्यायाधीशों के एक पैनल के पास जाएगा जो उपलब्ध कराये गए सबूतों का मूल्यांकन करेंगे और निर्धारित करेगा कि वारंट जारी किया जाना चाहिए या नहीं। निर्णय के लिए कोई समय सीमा नहीं है।

म्यामां वैश्विक न्यायालय का हिस्सा नहीं है, लेकिन बांग्लादेश इसमें शामिल है। 2018 में न्यायालय के न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि अभियोक्ता जबरन निर्वासन समेत उन अपराधों की जांच कर सकता है जो किसी सदस्य देश के क्षेत्र में “संपूरित” हुए थे।

एपी अमित पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)