(एंड्रयू ब्लैकर्स और डेविड फिर्नांडो सिलालाही, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी)
कैनबरा, छह अगस्त (द कन्वरसेशन) भूमध्य रेखा के समीप स्थित समुद्रों में तैर रहे सौर पैनल की श्रृंखला दक्षिणपूर्व एशिया तथा पश्चिम अफ्रीका में घनी आबादी वाले देशों को प्रभावी रूप से असीमित सौर ऊर्जा उपलब्ध करा सकती है।
हमारे नए अध्ययन से पता चलता है कि अकेले इंडोनेशिया में अपतटीय सौर पैनल एक साल में करीब 35,000 टेरावॉट प्रति घंटे की सौर ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं।
विश्व के ज्यादातर समुद्रों में तूफान आते रहते हैं लेकिन भूमध्य रेखा पर स्थित कुछ समुद्री क्षेत्र अपेक्षाकृत शांत रहते हैं। ऐसे में किफायती इंजीनियरिंग प्रणालियां समुद्र में तैर रहे सौर पैनलों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त हो सकती है।
हमारे हाई-रेजोल्यूशन के वैश्विक ताप मानचित्र दिखाते हैं कि इंडोनेशियाई द्वीप समूह और भूमध्य रेखा पर आने वाले नाइजीरिया के समीप पश्चिम अफ्रीका में समुद्र में तैरते सौर पैनल लगाए जाने की काफी गुंजाइश है।
सदी के मध्य तक सौर ऊर्जा संबंधी नियम :
मौजूदा प्रवृत्ति के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था 2050 तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन से मुक्त और विद्युत आधारित होगी जिसमें सौर तथा पवन ऊर्जा की बड़ी भूमिका होगी।
करीब 70 वर्ग किलोमीटर तक फैले सौर पैनल शून्य-कार्बन वाली अर्थव्यवस्था में 10 लाख लोगों की सभी ऊर्जा जरूरतें पूरी कर सकते हैं। इन सौर पैनल को छतों पर, शुष्क इलाकों में, खेतों या जलाशयों पर लगाया जा सकता है।
पानी में तैरने वाले सौर पैनल को अंतर्देशीय झीलों तथा तालाबों में लगाया जा सकता है। इनमें असीम संभावनाएं हैं तथा यह तेजी से बढ़ रहे हैं।
हमारे हाल में जारी अध्ययन में उन वैश्विक समुद्री क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया जहां पिछले 40 वर्षों में ऊंची लहरें नहीं उठीं। ऐसे क्षेत्रों में सौर पैनल लगाने में महंगी इंजीनियरिंग प्रणालियों की आवश्यकता नहीं है।
इनमें से ज्यादातर सुगम स्थल भूमध्यरेखा पर, उसके समीप तथा इंडोनेशिया के आसपास और पश्चिम अफ्रीका के भूमध्य रेखा पर आने वाले देशों में स्थित हैं।
इंडोनेशिया घनी आबादी वाला देश है खासतौर से जावा, बाली और सुमात्रा द्वीपों पर अच्छी-खासी आबादी है। सदी के मध्य तक इंडोनेशिया की आबादी 31.5 करोड़ तक पहुंच सकती है।
सौभाग्य से, इंडोनेशिया में सौर ऊर्जा की असीम संभावना है और उसके पास रातभर सौर ऊर्जा का भंडार करने की भी क्षमता है।
दुनिया के ज्यादातर समुद्रों में 10 मीटर से ऊंची लहरें उठती हैं। कई कंपनियां इंजीनियरिंग प्रणालियां विकसित करने पर काम कर रही हैं जिससे पानी में तैरने वाले ऐसे सौर पैनल बनाए जा सकें जो तूफान को झेल पाए।
हमने भूमध्य रेखा से 5-12 डिग्री अक्षांश के भीतर आने वाले ऐसे क्षेत्रों का पता लगाया है जो पानी में तैरने वाले सौर पैनल लगाने के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
वैश्विक ताप वृद्धि हवा तथा लहरों की प्रवृत्तियों में बदलाव ला सकती है। इन चुनौतियों के बावजूद हमें लगता है कि पानी में तैरने वाले पैनल उन देशों की ऊर्जा की बड़ी आवश्यकता पूरी कर सकते हैं जिनके समुद्री क्षेत्र भूमध्य रेखा पर आते हैं। सदी के मध्य तक इन देशों के करीब एक अरब लोग सौर ऊर्जा पर निर्भर रहेंगे।
द कन्वरसेशन गोला रंजन
रंजन
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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