‘हैलुसिनोजन’ दवाओं के सेवन के बाद अस्पताल में भर्ती होने से बढ़ जाता है सित्जोफ्रेनिया का खतरा |

‘हैलुसिनोजन’ दवाओं के सेवन के बाद अस्पताल में भर्ती होने से बढ़ जाता है सित्जोफ्रेनिया का खतरा

‘हैलुसिनोजन’ दवाओं के सेवन के बाद अस्पताल में भर्ती होने से बढ़ जाता है सित्जोफ्रेनिया का खतरा

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Modified Date: December 4, 2024 / 05:38 PM IST
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Published Date: December 4, 2024 5:38 pm IST

(कोलिन डेविडसन, यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लैंकाशर)

लैंकाशर, चार दिसंबर (द कन्वरसेशन) ‘हैलुसिनोजन’ दवाओं के सेवन और मनोविकृति (साइकोसिस) के बीच संबंध पर लंबे समय से संदेह किया जाता रहा है। इन दवाओं का सेवन करने वाले लोगों की संख्या में हाल ही में हुई वृद्धि को देखते हुए कनाडा में एक शोध समूह ने अध्ययन कर यह पता लगाने का प्रयास किया कि क्या इन दवाओं से संबंधित समस्याओं के कारण इलाज के लिए अस्पताल जाने वाले लोगों और उसके परिणामस्वरूप होने वाली मानसिक अस्वस्थता विशेष रूप से, ‘सित्जोफ्रेनिया स्पेक्ट्रम’ विकार के बीच कोई संबंध है।

सित्जोफ्रेनिया स्पेक्ट्रम विकार (एसएसडी) एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें सित्जोफ्रेनिया के समान लक्षण (जैसे मतिभ्रम और भ्रम) होता है, साथ ही अवसाद भी होता है।

यह एक पूर्वव्यापी अध्ययन था जिसमें वर्ष 2008 से 2021 तक ओंटारियो में रहने वाले लोगों के अस्पताल रिकॉर्ड की पड़ताल की गई। अध्ययन में पता चला कि 5,000 से अधिक लोग मतिभ्रम (हैलुसिनोजन) के कारण आपातकालीन विभाग में इलाज के लिए आए थे। इनमें से 208 (चार प्रतिशत) में तीन साल में ही एसएसडी विकसित हो गया। उम्र और लैंगिकता के आधार पर एसएसडी विकसित होने की आशंका लगभग 21 गुना अधिक थी।

हालांकि, जब अन्य मानसिक स्वास्थ्य कारकों और अन्य मादक पदार्थों के उपयोग को ध्यान में रखते हुए डेटा को और समायोजित किया गया तो एसएसडी विकसित होने की आशंका घटकर 3.5 गुना रह गई – जो कि अब भी जोखिम के स्तर से काफी अधिक है।

आंकड़ों के आगे विश्लेषण से पता चला कि शराब के सेवन से संबंधित समस्याओं के कारण आपातकालीन विभाग में जाने से एसएसडी विकसित होने का जोखिम 4.7 गुना बढ़ जाता है। इसके विपरीत, भांग के सेवन के लिए आपातकालीन विभाग में जाने से जोखिम 1.5 गुना बढ़ गया। इसलिए शराब के सेवन से संबंधित मामलों में हैलुसिनोजन की तुलना में एसएसडी से पीड़ित होने की अधिक संभावना थी, भांग सेवन के मामलों में अगले तीन वर्षों में एसएसडी होने की आशंका सबसे कम थी।

इस बारे में बहुत कुछ कहा जा चुका है कि कुछ दवाएं कितनी खतरनाक हैं लेकिन ऐसा अकसर सभी सबूतों पर गौर किए बिना कहा जाता है।

भांग के उपयोग और सित्जोफ्रेनिया के बीच संबंध को स्पष्ट रूप से दर्शाने वाला पहला अध्ययन 1987 में किया गया था, जिसमें 45,000 स्वीडिश सैनिकों की जांच की गई थी। अध्ययन में पता चला कि जिन सैनिकों ने भांग का अत्यधिक सेवन किया, उनमें 15 वर्षों में सित्जोफ्रेनिया विकसित होने की आशंका छह गुना अधिक थी।

यह स्पष्ट नहीं है कि स्वीडिश अध्ययन के निष्कर्षों की तुलना में कनाडाई अध्ययन में भांग का जोखिम इतना कम (1.47) क्यों है, लेकिन यह भांग के उपयोग और अनुवर्ती अवधि (तीन वर्ष बनाम 15 वर्ष) के बीच अंतर से संबंधित हो सकता है।

कनाडाई अध्ययन की कमियों में से एक यह है कि इसमें हैलुसिनोजन दवाओं के प्रकारों के बारे में कोई विवरण नहीं है। एक और मुद्दा यह है कि अवैध होने के कारण संभवतः इन दवाओं में दूषित पदार्थ मिलाए गए होंगे, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि इन रोगियों ने किस चीज का सेवन किया होगा।

इन कमियों के बावजूद, यह अध्ययन हैलुसिनोजन पैदा करने वाली दवाओं के उपयोग के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है तथा शराब के दुरुपयोग के खतरों के बारे में और सबूत प्रदान करता है।

(द कन्वरसेशन)

जोहेब नेत्रपाल नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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