(ललित के झा)
वाशिंगटन, 28 नवंबर (भाषा) बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा करते हुए कई हिंदू अमेरिकी समूहों ने मांग की है कि दक्षिण एशियाई देश के लिए अमेरिकी सहायता इस शर्त पर निर्भर होनी चाहिए कि वहां की सरकार अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा के लिए ठोस कार्रवाई करे।
बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू देश की 17 करोड़ की आबादी का केवल आठ प्रतिशत हैं। अल्पसंख्यक हिंदू आबादी को पांच अगस्त को शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के पतन के बाद से देश के 50 से अधिक जिलों में 200 से अधिक हमलों का सामना करना पड़ा है।
इस हफ्ते हालात तब और खराब हो गए जब हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बाद में उन्हें एक अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित कई जगहों पर समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
दास ‘इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कॉन्शसनेस’ (इस्कॉन) के सदस्य थे और हाल में उन्हें निष्कासित कर दिया गया था।
विश्व हिंदू परिषद, अमेरिका (विहिप) के अध्यक्ष अजय शाह ने कहा कि दास की गिरफ्तारी, चटगांव में काली मंदिर में तोड़फोड़ और बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमले की खबरें परेशान करने वाली हैं।
उन्होंने पूछा, ‘‘क्या यही वह मानवाधिकार की विरासत है जिसके लिए जो बाइडन प्रशासन याद किया जाना चाहता है?’’
वीएचपीए महासचिव अमिताभ मित्तल ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी अत्याचारों के बारे में वैश्विक मीडिया की चुप्पी बहुत ही चौंकाने वाली है। हाल में इस्कॉन के पुजारी की गिरफ्तारी और हिंदू मंदिरों पर हिंसक हमले धार्मिक असहिष्णुता में खतरनाक वृद्धि को रेखांकित करते हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि ये घटनाएं ‘‘भेदभाव के व्यापक चलन’’ का हिस्सा हैं।
मित्तल ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा का अभाव अपराधियों के हौसले और बढ़ाता है तथा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को खतरा पहुंचाता है।’’
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लिखे एक खुले पत्र में ‘हिंदू फॉर अमेरिका फर्स्ट’ (एचएफएएफ) ने बांग्लादेश में चीन की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के संबंध में अमेरिकी वित्त पोषण को रोकने तथा अमेरिका और उसके सहयोगियों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली पहलों को प्राथमिकता देने की सिफारिश की।
एचएफएएफ के संस्थापक और अध्यक्ष उत्सव संदुजा ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों को हिंसा और भेदभाव का सामना करना पड़ा है। हम विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं कि आपका प्रशासन अमेरिकी सहायता का आधार इस शर्त को बनाए कि बांग्लादेश की सरकार इन लोगों की सुरक्षा के लिए उचित कार्रवाई करेगी। करदाताओं के पैसे को कभी ऐसी सरकारों के समर्थन में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जो अपने सबसे कमजोर नागरिकों की सुरक्षा करने में विफल रहती हैं।’’
समूचे अमेरिका में हिंदू मंदिरों की प्रतिनिधि तेजल शाह ने भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की निंदा की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं श्री कृष्णदास प्रभु जी को जेल में डालने, बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करती हूं।’’
एक प्रभावशाली भारतीय-अमेरिकी संगठन ने राष्ट्रपति जो बाइडन और नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बांग्लादेश सरकार से देश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की रक्षा करने का आग्रह किया है।
बाइडन और ट्रंप को लिखे अलग-अलग पत्रों में, ‘फाउंडेशन फॉर इंडिया एंड इंडियन डायस्पोरा स्टडीज’ (एफआईआईडीएस) ने बुधवार को बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते मानवाधिकार उल्लंघन और हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की हाल में गिरफ्तारी पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की स्वतंत्र जांच का आह्वान करते हुए, एफआईआईडीएस के अध्यक्ष और नीति एवं रणनीति प्रमुख खंडेराव कांड ने बाइडन से अनुरोध किया कि वह बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार यूनुस मोहम्मद से दास को रिहा करने, अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा प्रदान करने और धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए सार्वजनिक रूप से प्रतिबद्ध होने का आग्रह करें।
भाषा सुरभि मनीषा
मनीषा
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