वहीं बताया गया कि हर साल हज के लिए कम आय वाले देशों से लाखों लोग आते हैं, जिनमें से बहुत से लोगों को हज-पूर्व स्वास्थ्य देखभाल सेवा बहुत कम या बिलकुल भी नहीं मिलती है। इसमें कहा गया है कि एकत्रित लोगों में संक्रामक बीमारियां फैल सकती हैं। हालांकि, इस साल मृतकों की संख्या से पता चलता है कि मौतों में वृद्धि का कारण कुछ और था।
जॉर्डन और ट्यूनीशिया समेत कई देशों ने कहा है कि उनके कुछ यात्रियों की मौत मक्का के पवित्र स्थलों पर पड़ने वाली गर्मी के कारण हुई। वहीं मुख्य मस्जिद के पास भारतीय यात्री खालिद बशीर बजाज ने कहा कि उन्होंने इस साल हज के दौरान ‘बहुत से लोगों को बेहोश होकर जमीन पर गिरते देखा है। इसके सात ही बताया गया कि मंगलवार को मक्का और शहर के आसपास के धार्मिक स्थलों पर तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
मालदीव में आग की घटना की जांच में शामिल हुआ…
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