लंदन, चार सितंबर (एपी) ब्रिटेन की राजधानी में ग्रेनफेल टावर में भीषण आग की घटना पर बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार, नियामकों और उद्योग की दशकों की विफलताओं के चलते बहुमंजिला इमारत ‘‘मौत के जाल’’ में तब्दील हो गई जिसमें 72 लोगों की जान चली गई थी।
वर्ष 2017 में हुए इस अग्निकांड की कई साल तक चली सार्वजनिक जांच में निष्कर्ष निकला है कि त्रासदी का कोई ‘‘एकल कारण’’ नहीं था, बल्कि बेईमान कंपनियों, कमजोर या अक्षम नियामकों और लापरवाह सरकार के रवैये के कारण इमारत में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन की धरती पर आग लगने की सबसे भयावह घटना हुई।
जांच के प्रमुख सेवानिवृत्त न्यायाधीश मार्टिन मूर-बिक ने कहा कि आग की चपेट में आए लोगों की मौत टाली जा सकती थी लेकिन बार-बार लापरवाही की जाती रही।
उन्होंने कहा, ‘‘इसमें सभी का किसी न किसी तरह से योगदान रहा, ज्यादातर मामलों में अक्षमता के जरिए लेकिन कुछ मामलों में बेईमानी और लालच के जरिए।’’
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने जांच निष्कर्ष आने के बाद सरकार की ओर से माफी मांगी और कहा कि ऐसी त्रासदी ‘‘कभी नहीं होनी चाहिए’’। उन्होंने पीड़ित परिवारों से न्याय का वादा किया।
हालाँकि, रिपोर्ट घटना में जीवित बचे लोगों को कुछ ऐसे उत्तर दे सकती है जिनकी उन्हें लंबे समय से प्रतीक्षा थी लेकिन उन्हें यह देखने के लिए अभी इंतजार करना होगा कि क्या किसी को दोषी मानकर मुकदमा चलाया जाएगा। पुलिस आरोपों पर निर्णय लेने से पहले जांच के निष्कर्षों की पड़ताल करेगी।
जीवित बचे लोगों और पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह ‘ग्रेनफेल यूनाइटेड’ की नताशा एल्कॉक ने अधिकारियों से कहा कि वे ‘‘न्याय प्रदान करें और उन लोगों के खिलाफ आरोप तय करें जो हमारे प्रियजनों की मौत के लिए दोषी हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने व्यवस्थित बेईमानी, संस्थागत उदासीनता और उपेक्षा की कीमत चुकाई है।’’
आग 14 जून, 2017 को चौथी मंजिल पर स्थित अपार्टमेंट में लगी थी और 25 मंजिला इमारत ग्रेनफेल टावर में फैल गई थी।
इस घटना से देश में बहुमंजिला इमारतों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए थे।
जांच में 300 से अधिक सार्वजनिक सुनवाई हुईं और लगभग 1,600 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
एपी नेत्रपाल नरेश
नरेश
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