यूरोप में लिंग आधारित भेदभाव : चार दशक में कारपोरेट बोर्डरूम से महिलाएं नदारद |

यूरोप में लिंग आधारित भेदभाव : चार दशक में कारपोरेट बोर्डरूम से महिलाएं नदारद

यूरोप में लिंग आधारित भेदभाव : चार दशक में कारपोरेट बोर्डरूम से महिलाएं नदारद

Edited By :  
Modified Date: January 6, 2025 / 01:30 PM IST
,
Published Date: January 6, 2025 1:30 pm IST

(पावेल स्ट्रस्की, ग्रुप फॉर रिसर्च इन एप्लाइड इकोनॉमिक्स)

मिलानो, छह जनवरी (360इन्फो) हाल ही में जारी अनूठे आंकड़े पूरे यूरोप में कॉर्पोरेट बोर्डरूम में महिलाओं की व्यापक अनुपस्थिति बताते हैं।

कार्यबल में बड़ी हिस्सेदारी होने के बावजूद, यूरोप भर में कॉर्पोरेट बोर्डरूम में महिलाएँ अल्पसंख्यक बनी हुई हैं। इस मुद्दे ने दुनिया भर में आधी आबादी को लेकर बहस को जन्म दिया है और कई देशों को कंपनियों के लिए लैंगिक कोटा अनिवार्य करने के लिए प्रेरित किया है।

उदाहरण के लिए, नॉर्वे में, बड़ी और मध्यम फर्मों को यह गारंटी देना अनिवार्य है कि बोर्ड के सदस्यों में कम से कम 40 प्रतिशत महिलाएँ और पुरुष दोनों हों।

एक ओर जहां सार्वजनिक (सूचीबद्ध) कंपनियाँ अक्सर अपने बोर्ड के सदस्यों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट देती हैं, वहीं निजी (गैर-सूचीबद्ध) कंपनियों के लिए डेटा प्राप्त करना बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण है। फिर भी निजी कंपनियों में विविधता की तस्वीर को समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा हैं और अक्सर किसी भी कोटा या रिपोर्टिंग कानून के दायरे से बाहर होती हैं।

जेंडर बोर्ड डायवर्सिटी डेटासेट (जीबीडीडी)

इस विषय पर प्रकाश डालने के लिए, ‘नॉर्वेजियन फाइनेंशियल मैकेनिज्म’ द्वारा वित्त पोषित ‘ग्रुप फॉर रिसर्च इन एप्लाइड इकोनॉमिक्स’ (जीआरएपीई) और वारसॉ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 1985 और 2020 के बीच की अवधि में 43 यूरोपीय देशों की 2.9 करोड़ से अधिक फर्मों में प्रबंधन और पर्यवेक्षी बोर्डों में बैठने वाले लगभग 5.9 करोड़ व्यक्तियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया।

सांस्कृतिक और भाषाई अनुमानों पर आधारित एक नई पद्धति को लागू करके वे अपने नमूने में 99 प्रतिशत से अधिक बोर्ड सदस्यों के लिंग का पता लगाने में सक्षम थे। उदाहरण के लिए कुछ भाषाओं में जैसे चेक, उपनाम लिंग-विशिष्ट प्रत्यय के साथ समाप्त होते हैं जबकि अन्य भाषाओं में जैसे पोलिश महिलाओं के पहले नाम स्वर के साथ समाप्त होते हैं।

इससे उन्हें सूचना का एक व्यापक स्रोत बनाने में मदद मिली जिसे जेंडर बोर्ड डायवर्सिटी डेटासेट (जीबीडीडी) कहा जाता है। इसमें सार्वजनिक और निजी दोनों कंपनियाँ शामिल हैं।

बोर्ड रूम में महिलाओं की अनुपस्थिति

जीबीडीडी से एक महत्वपूर्ण जानकारी यह सामने आई है कि किसी भी उद्योग में औसतन 22 प्रतिशत बोर्ड पदों पर महिलाओं का कब्जा होने के बावजूद, सभी फर्मों में से दो-तिहाई से अधिक ने अपने बोर्ड रूम में किसी भी महिला की मौजूदगी की रिपोर्ट नहीं की है। विशेष रूप से पिछले कई दशकों में यूरोपीय महाद्वीप के 68 प्रतिशत क्षेत्रों में एक भी फर्म ऐसी नहीं रही है जिसके बोर्ड रूम में कम से कम एक महिला हो।

उद्योगों और देशों के बीच अंतर

कुछ क्षेत्रों में महिलाओं की अनुपस्थिति अन्य की तुलना में अधिक गंभीर है। आईटी क्षेत्र में कॉर्पोरेट बोर्ड में महिलाओं की औसत फर्म-स्तर की हिस्सेदारी केवल 16 प्रतिशत है, जबकि शिक्षा, स्वास्थ्य और देखभाल (ईएचसी) क्षेत्र में यह 35 प्रतिशत है। देश के अनुसार डेटा को विभाजित करने से भी महत्वपूर्ण अंतर दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए जिन फर्मों में कोई महिला बोर्ड सदस्य नहीं है। वह फिनलैंड की तुलना में पोलैंड में अधिक प्रचलित हैं।

एक जटिल तस्वीर

आम तौर पर 1990 के दशक में विविधता में वृद्धि हुई, 2000 के दशक में स्थिरता आई और 2010 के दशक में फिर से वृद्धि हुई।

हालांकि पर्यवेक्षी बोर्डों के मामले में महिला बोर्ड सदस्यों के अनुपात में हाल ही में हुई वृद्धि के साथ-साथ पर्यवेक्षी बोर्डों में महिलाओं की संख्या में भी वृद्धि नहीं हुई।

हालांकि इस अवलोकन की पूरी व्याख्या के लिए गहन शोध की आवश्यकता होगी। एक संभावित व्याख्या यह है कि पर्यवेक्षी बोर्ड समय के साथ छोटे होते गए होंगे, जिसमें ज्यादातर गिरावट के लिए पुरुष बोर्ड सदस्यों का योगदान होगा। जाहिर है कि इससे महिला बोर्ड सदस्यों की हिस्सेदारी में यांत्रिक रूप से वृद्धि होगी।

बोर्ड में लैंगिक विविधता को बढ़ावा देना

पिछले तीन दशकों में कंपनी बोर्ड के सदस्यों के बीच लैंगिक विविधता में वृद्धि के बावजूद बोर्ड में महिलाओं के अभाव वाली फर्मों की अधिक संख्या बताती है कि महिलाओं के लिए प्रवेश में महत्वपूर्ण बाधाएँ अभी भी मौजूद हैं।

समावेशी और निष्पक्ष समाज को बढ़ावा देने में रुचि रखने वाले नीति निर्माता महिलाओं की बोर्ड भागीदारी में देश- और क्षेत्र-विशिष्ट बाधाओं को समझने और उन्हें दूर करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

(360इन्फो)

मनीषा नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

Flowers