नैनीताल, 22 मार्च (भाषा) उत्तराखंड सरकार ने शुक्रवार को यहां उच्च न्यायालय को अवगत कराया कि अदालत के आदेश के अनुपालन में उसने 14 साल से अधिक समय से जेलों में बंद चार कैदियों को रिहा कर दिया है तथा 28 और कैदियों को रिहा करने पर विचार कर रही है।
हालांकि, अदालत ने अपने आदेश के पालन में देरी के लिए राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को फटकार लगाई और कहा कि शेष 28 कैदियों को शनिवार सुबह 10 बजे तक रिहा किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने ऐसे 167 कैदियों की पहचान की थी और राज्य सरकार को बृहस्पतिवार शाम तक निर्णय लेने तथा शुक्रवार सुबह 10 बजे तक की गई कार्रवाई के बारे में अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया था। इन 167 कैदियों में से एक की मौत हो चुकी है।
मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को चयनित कैदियों को रिहा करने का आदेश जारी किया था।
यह आदेश न्यायमूर्ति बाहरी द्वारा हल्द्वानी की जिला जेल और सितारगंज की संपूर्णानंद खुली जेल का दौरा करने तथा कैदियों की समस्याएं सुनने के बाद आया।
सरकारी वकील जे.एस. विर्क ने अदालत को बताया कि बृहस्पतिवार को चार कैदियों को रिहा कर दिया गया, जबकि 28 अन्य पर विचार चल रहा है। राज्य के महाधिवक्ता एस एन बाबुलकर भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये अदालत में पेश हुए।
अदालत ने ऐसे 28 कैदियों की रिहाई पर अब भी विचार करने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की और कहा कि उन्हें शनिवार सुबह 10 बजे तक रिहा किया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि यदि सरकार शेष कैदियों के बारे में निर्णय लेने में असमर्थ है तो अदालत इस मामले पर निर्णय लेने के लिए शनिवार को सुनवाई करेगी।
हालांकि, शनिवार को उच्च न्यायालय में छुट्टी होती है, लेकिन जनता की भलाई के लिए वह अतिरिक्त समय तक काम करेगा।
अदालत ने कहा कि इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि ये मामले अदालत की सामान्य मुकदमेबाजी को पटरी से नहीं उतारेंगे।
अदालत ने कहा कि इन मामलों की पहली सुनवाई 20 अप्रैल को होगी।
भाषा सुरेश माधव
माधव
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