विदेश मंत्री जयशंकर ने बिम्सटेक के साथ संबंध मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की |

विदेश मंत्री जयशंकर ने बिम्सटेक के साथ संबंध मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की

विदेश मंत्री जयशंकर ने बिम्सटेक के साथ संबंध मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की

:   Modified Date:  September 28, 2024 / 04:30 PM IST, Published Date : September 28, 2024/4:30 pm IST

(तस्वीर के साथ)

न्यूयॉर्क, 28 सितंबर (भाषा) विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपनी ‘पड़ोस प्रथम’ और ‘एक्ट ईस्ट’ नीतियों के अनुरूप सात देशों के समूह ‘बिम्सटेक’’ के साथ व्यापक भागीदारी की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में भाग लेने के लिए अमेरिका की यात्रा पर जयशंकर ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय सत्र के इतर न्यूयॉर्क में बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिम्सटेक) की विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक की शुक्रवार को अध्यक्षता की।

यह बैठक बिम्सटेक नेताओं के शिखर सम्मेलन की तैयारी करने के लिए की गयी।

जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, व्यापार, निवेश, अर्थव्यवस्था और ऊर्जा में हमारे करीबी सहयोग का जायजा लिया। पूरे क्षेत्र में भौतिक, समुद्री और डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्षमता निर्माण, कौशल विकास और परस्पर संपर्क में सुधार लाने के अवसर तलाश किए।’’

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘बिम्सटेक उत्कृष्टता केंद्र का विकास एक सामूहिक संकल्प है। पड़ोसी प्रथम, विजन सागर और एक्ट ईस्टी नीति की तर्ज पर बिम्सटेक के साथ व्यापक भागीदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।’’

‘पड़ोस प्रथम’ नीति के तहत भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण और पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के अपने दृष्टिकोण के अनुरूप क्षेत्रीय भागीदारों के साथ समुद्री सहयोग विकसित किया है।

भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति पहल का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करना है।

बिम्सटेक के सदस्य देशों में भारत, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमा, थाइलैंड, नेपाल और श्रीलंका है।

इसके अलावा, जयशंकर ने डोमिनिका के विदेश मामलों के मंत्री विंस हेंडरसन के साथ भारत-कैरीकॉम देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक की सह-अध्यक्षता की।

कैरेबियाई समुदाय ‘कैरीकॉम’ के 15 सदस्य – एंटिगुआ और बारबुडा, बहामास, बारबाडोस, बेलीज, डोमिनिका, ग्रेनाडा, गुयाना, हैती, जमैका, मॉन्स्टरैट, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लुसिया, सेंट लुसिया और ग्रेनाडाइन्स, सुरीनाम और त्रिनिदाद और टोबैगो। एंगुइला, बरमुडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, केमैन आइलैंड्स, कुराकाओ और तुर्क एंड कैकोस आइलैंड्स समुदाय के एसोसिएट सदस्य हैं।

जयशंकर ने ‘एक्स’ ने कहा, ‘‘भारत-कैरीकॉम विदेश मंत्रियों की आज बड़ी बैठक हुई। डोमिनिका के विदेश मंत्री हेंडरसन के साथ सह-अध्यक्षता की।’’

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘हमारी साझेदारी को उन्नत करने और स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, फिनटेक, क्षमता निर्माण, नवीकरणीय और खाद्य सुरक्षा में सहयोग को गहरा करने पर चर्चा हुई। कैरीकॉम के साथ हमारा रिश्ता पिछले अनुभवों से जुड़ा है, वर्तमान जरूरतों को पूरा करता है और एक उज्ज्वल भविष्य की आकांक्षा रखता है।’’

उन्होंने होंडुरास के अपने समकक्ष एनरिक रीना के साथ भारत-सीईएलएसी विदेश मंत्रियों की बैठक की सह-अध्यक्षता की।

लातिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों का समुदाय (सीईएलएसी) एक अंतरसरकारी संगठन है, जिसमें लातिन अमेरिका और कैरेबियाई के 33 सदस्य देश शामिल हैं।

जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारा राजनीतिक सहयोग और गहराते आर्थिक संबंध दक्षिण-दक्षिण सहयोग को आगे बढ़ाते हैं। एजेंडे में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य, स्वच्छ ऊर्जा और क्षमता निर्माण शामिल हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ई-मोबिलिटी, अंतरिक्ष, आधुनिक कृषि और ड्रोन में अधिक भागीदारी की संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया।’’

भाषा गोला माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)