(ललित के झा)
वाशिंगटन, 20 जनवरी (भाषा) अमेरिकी विदेश विभाग में उच्च पदस्थ अधिकारी भारतवंशी रिचर्ड वर्मा ने अमेरिका-भारत संबंधों के भविष्य को लेकर आशा जताई है तथा संबंधों को महज लेन-देन के बजाय साझा मूल्यों पर आधारित करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
प्रबंधन एवं संसाधन मामलों के उप विदेश सचिव वर्मा ने कहा कि वे अमेरिका और भारत के बीच मतभेदों को लेकर चिंतित नहीं हैं।
अमेरिका में नयी सरकार के कार्यभार संभालने से पहले अपना पद छोड़ने की तैयारी कर रहे वर्मा ने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं नहीं चाहता कि यह एक लेन-देन वाला रिश्ता बन जाए, जहां हम सिर्फ चीजें बेचना चाहते हैं या आप चाहते हैं कि हम चीजें खरीदें।’’
वर्मा इससे पहले भारत में अमेरिका के राजदूत रह चुके हैं और उप विदेश सचिव पद संभालने वाले वह पहले भारतीय अमेरिकी हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सोमवार को सत्ता सौंप देंगे, जो वर्मा के कार्यकाल का आखिरी दिन होगा।
वर्मा पिछले ढाई दशकों में अमेरिका-भारत संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान देते रहे हैं और उनके कार्यकाल के दौरान द्विपक्षीय संबंध काफी मजबूत हुए हैं।
भारत-अमेरिका संबंध को अमेरिका द्विदलीय समर्थन प्राप्त है। उन्होंने इस बात पर भरोसा जताया कि भारत-अमेरिका संबंध उसी गति से आगे बढ़ते रहेंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आने वाले वर्षों में यह एक लेन-देन वाला संबंध नहीं बनेगा।
वर्मा से पूछा गया था कि क्या उन्हें आशंका है कि अगले कुछ वर्षों में दोनों देशों का संबंध लेन-देन वाला संबंध बन जाएगा तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इसकी उम्मीद नहीं है। मुझे ऐसा नहीं लगता।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह सकता कि आगे क्या होगा। मैं बस इतना जानता हूं कि इस संबंध को अविश्वसनीय रूप से दोनों दलों का समर्थन प्राप्त है…।’’
वर्मा ने कहा कि दोनों देश मिलकर बहुत कुछ कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरिक्ष सहयोग पर विचार शामिल है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने देखा है कि हम किस तरह तकनीक और खुफिया जानकारी साझा करते हैं। मैंने देखा है कि हम किस तरह कुछ सबसे उन्नत प्रणालियों का संयुक्त उत्पादन और विकास करते हैं तथा हम अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा के लिए कैसे तैयार हैं।’’
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा में ‘क्वाड’ (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) के महत्व के बारे में भी बात की।
‘क्वाड’ एक बहुपक्षीय मंच है जिसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका शामिल हैं। ‘क्वाड’ के सदस्य देश रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दक्षिण चीन सागर में चीन के आक्रामक व्यवहार के बीच एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने के लिए साझा प्रतिबद्धता रखते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में अमेरिका-भारत संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
भाषा सुरभि वैभव
वैभव
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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