खाते हैं मटन-मछली तो हो जाइए सावधान! मांसाहारियों को है कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा, अध्ययन में हुआ अहम खुलासा | Does vegetarian food help defeat Covid-19?

खाते हैं मटन-मछली तो हो जाइए सावधान! मांसाहारियों को है कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा, अध्ययन में हुआ अहम खुलासा

खाते हैं मटन-मछली तो हो जाइए सावधान! मांसाहारियों को है कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा, अध्ययन में हुआ अहम खुलासा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:12 PM IST, Published Date : June 12, 2021/10:21 am IST

बर्मिंघम: कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से ही ऐसे सुझाव दिये जाते रहे हैं कि कुछ खाद्य पदार्थ या आहार इस संक्रमण से रक्षा कर सकते हैं लेकिन क्या इस तरह के दावे विश्वसनीय हैं? ‘बीएमजे न्यूट्रीशन, प्रिवेंशन एंड हेल्थ’ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में इस अवधारणा की जांच की गयी है। इसमें पाया गया कि जिन स्वास्थ्य पेशेवरों ने शाकाहारी या मिश्राहारी (जिनमें मांस नहीं खाया जाता लेकिन मछली खायी जाती है) भोजन किया उनमें कोविड-19 के मध्यम से गंभीर लक्षण पैदा होने का खतरा कम हो गया।

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साथ ही इस अध्ययन में पाया गया कि जिन्होंने कहा कि वे कम कार्बोहाइड्रेट या उच्च प्रोटीन वाला आहार लेते हैं तो उनमें कोविड-19 के मध्यम से गंभीर लक्षण पाए जाने का खतरा अधिक रहा। इससे ऐसा लग सकता है कि शाकाहारी भोजन करने या मछली खाने से कोविड-19 महामारी होने का खतरा कम होता है। लेकिन असलियत में चीजें इतनी आसान नहीं हैं। पहले यह बात महत्वपूर्ण है कि उक्त आहार का कोविड-19 के संपर्क में आने के शुरुआती खतरे पर कोई असर नहीं पड़ता।

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अध्ययन में यह नहीं कहा गया है कि आहार से संक्रमित होने के खतरे में बदलाव होता है। न ही इसमें आहार के प्रकार और बीमारी की गंभीरता के बीच कोई संबंध पाया गया है। अध्ययन में केवल यह संकेत दिया गया कि आहार और कोविड-19 के मध्यम से गंभीर लक्षण होने के खतरे के बीच संबंध हैं। इस अध्ययन में छह पश्चिमी देशों के 3,000 स्वास्थ्य पेशेवरों ने भाग लिया और केवल 138 लोगों को मध्यम से गंभीर बीमारी हुई। इसमें पाया गया कि केवल 41 शाकाहारी लोग कोरोना वायरस के संपर्क में आए और मछली खाने वाले केवल पांच लोग संक्रमित हुए। इनमें से महज कुछ ही लोगों में कोविड-19 के मध्यम से गंभीर लक्षण दिखे। हालांकि अध्ययन में बेहद कम लोगों के शामिल होने से इसके असल नतीजे का पता लगाना मुश्किल होता है। इस तरह के अध्ययन के साथ एक और समस्या यह है कि यह केवल निरीक्षण के लिए होता है तो इससे केवल यही पता चल सकता है कि क्या हो रहा है न कि यह पता लग सकता है कि आहार का कोविड-19 से क्या संबंध है।

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यह हमें क्या बताता है?
जब बात कोविड-19 के खिलाफ रक्षा के लिए सबसे अच्छे आहार का पता लगाने की आती है तो सच यह है कि हमारे पास पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं और इस अध्ययन के नतीजों के साथ भी यही समस्या है कि यह बहुत कम लोगों पर किया गया।

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एक और मसला यह है कि अध्ययन में लोगों के आहार की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया कि वे असल में कैसे खाद्य पदार्थ खा रहे हैं। उदाहरण के लिए इसमें ऐसी जानकारियां नहीं है कि कोई व्यक्ति कितना ताजा या पहले से रखा खाना खा रहा है। इसलिए किसी आहार के शाकाहार या मिश्राहार होने से वह स्वास्थ्यवर्द्धक नहीं हो जाता है।

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अभी के लिए ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे पता चले कि शाकाहारी या मिश्राहारी होने से कोरोना वायरस संक्रमण से रक्षा होती है इसलिए इस अध्ययन के नतीजों के आधार पर आहार बदलने की जल्दबाजी करने की आवश्यकता नहीं है।

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बहरहाल हम यह जानते हैं कि अपने आप को सक्रिय रखकर, स्वस्थ आहार लेकर और वजन पर ध्यान रखकर कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है और इसमें कोविड-19 भी शामिल है। संभवत: सबसे अच्छी सलाह होगी कि हमें कई प्रकार के खाद्य पदार्थ मुख्यत: सब्जियां, फल, दालें और अनाज खाना चाहिए।

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