क्या ‘वेगनरी’ में भाग लेने से लोग लंबे समय तक मांसाहार से दूर रहते हैं? सबूत क्या कहते |

क्या ‘वेगनरी’ में भाग लेने से लोग लंबे समय तक मांसाहार से दूर रहते हैं? सबूत क्या कहते

क्या ‘वेगनरी’ में भाग लेने से लोग लंबे समय तक मांसाहार से दूर रहते हैं? सबूत क्या कहते

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Modified Date: January 5, 2025 / 05:28 PM IST
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Published Date: January 5, 2025 5:28 pm IST

(नतालिया लॉरेंस और सोफी हर्न, एक्सेटर विश्वविद्यालय; एलिसा बेकर, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय)

एक्सेटर, पांच जनवरी (द कन्वरसेशन) मनुष्य लंबे समय से जानवरों को मारने और खाने के बारे में अपनी अंतरात्मा से जूझता रहा है। ‘‘मांस विरोधाभास’’ (मांस के लिए लोगों की पसंद और जानवरों के लिए उनकी चिंता के बीच संघर्ष) ने 37,000 साल पहले संभवत: गुफा चित्रों को प्रेरित किया होगा।

तब से, कई प्रमुख विचारकों ने मांस का त्याग कर दिया है, जिनमें पाइथागोरस, लियोनार्दो दा विंची, मैरी शेली और महात्मा गांधी शामिल हैं।

आज, अमेरिका के आधे वयस्क और ब्रिटेन के तीन-चौथाई वयस्क ‘फैक्टरी फार्मिंग’ का विरोध करते हैं, जहां लगभग सारा मांस उत्पादित होता है। इसके बावजूद केवल दस में से एक व्यक्ति ही मांस रहित आहार ग्रहण करता है।

कई देशों में पादक आधारित आहार बहुत ही स्वादिष्ट और सस्ते होते हैं। इन्हें अपनाने से हर साल 80 अरब से ज्यादा जानवरों की जान बच जाएगी और मांसाहारी आहार की तुलना में पर्यावरण को 75 प्रतिशत कम नुकसान होगा।

स्वास्थ्य और दीर्घायु होने के लिए पादप आधारित आहार अपनाने के लाभ तेजी से स्थापित हो रहे हैं और इसी के चलते एक प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ ने टिप्पणी की है, ‘‘हृदय रोग विशेषज्ञ दो प्रकार के होते हैं: शाकाहारी और वे जिन्होंने आंकड़ों का अवलोकन नहीं किया है।’’

शाकाहारी भोजन के इन सिद्ध लाभों के बावजूद, अधिकांश लोग मांस खाना जारी रखते हैं, तथा किसी भी मनोवैज्ञानिक असहजता को कम करने के लिए ‘‘रक्षात्मक तर्क’’ या नैतिक अलगाव और परहेज जैसी रणनीतियों का उपयोग करते हैं।

वेगनरी अभियान 2014 से हर जनवरी में चलाया जाता है जिसके तहत लोगों को जनवरी में पादप आधारित आहार के लिए प्रोत्साहित करता है। इसमें सूअरों, चूजों की तस्वीरों के आधार पर मनोवैज्ञानिक प्रतिरोध को तोड़ने और चुनौती देने की कोशिश की जाती है।

इस अभियान में पिछले साल करीब 2.5 करोड़ लोग शामिल हुए, जिनमें ब्रिटेन की लगभग चार प्रतिशत जनसंख्या शामिल थी।

वेगनरी द्वारा किए गए अनुसंधान से पता चलता है कि 80 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागियों ने मांस के उपभोग में बड़ी कटौती कर दी, तथा छह महीने के बाद अपने सेवन को आधा या उससे भी अधिक तक कम कर दिया।

एक्सेटर विश्वविद्यालय में, हमने वेगनरी प्रतिभागियों पर स्वतंत्र रूप से तीन ऑनलाइन अध्ययन किए हैं (चौथा अध्ययन चल रहा है) और पाया कि जब लोग मांस का सेवन कम कर देते हैं या उससे परहेज करते हैं, तो वे मांस और स्वयं को अलग तरह से देखने लगते हैं।

‘मांस से घृणा’

औसतन, लोगों को मांस कम पसंद आता है, कुछ लोगों को तो यह घृणित भी लगता है। यह हमारे पिछले अनुसंधान में सामने आया कि 74 प्रतिशत शाकाहारियों और 15 प्रतिशत फ्लेक्सिटेरियन लोगों को मांस घृणित लगता है।

हमारे एक अन्य अध्ययन (जो समीक्षा के अधीन है) से पता चलता है कि यह ‘‘मांस के प्रति घृणा’’ बहुत गहरी है। जो लोग इसकी रिपोर्ट करते हैं (मुख्य रूप से शाकाहारी) वे मांस खाने के विचार पर उसी तरह प्रतिक्रिया करते हैं जैसे मांस खाने वाले मल, या मानव या कुत्ते का मांस खाने के विचार पर प्रतिक्रिया करते हैं।

यदि इस प्रकार की नकारात्मक भावनाएं तब उभरती हैं जब लोग वेगनरी के दौरान मांस से परहेज करते हैं, तो दीर्घकाल में मांस का त्याग करना उतना त्याग नहीं होगा, जितनी कि कई लोग उम्मीद करते हैं। अब हम पिछले वर्ष हमारे वेगनरी अध्ययन में भाग लेने वाले 100 लोगों से 12 महीने बाद आंकड़े एकत्र कर रहे हैं और देखेंगे कि मांस के प्रति नकारात्मक भावनाएं मांस की खपत में दीर्घकालिक परिवर्तन की भविष्यवाणी करती हैं या नहीं।

वेगनरी में भाग लेने से लोगों की पहचान मांसाहारी के बजाय ‘‘मांस कम करने वाले’’ या ‘‘मांस बहिष्कार करने वाले’’ के रूप में बदल जाती है। दृष्टिकोण और आत्म-धारणा में ये बदलाव, वेगनरी के दौरान मांस की खपत को कम करने में अधिक सफलता से जुड़े हैं।

वेगनरी के दौरान और उसके बाद अधिक सफलता से जुड़े कुछ अन्य कारकों में व्यक्तिगत नियंत्रण की बढ़ी हुई भावना और मांस-मुक्त आहार का समर्थन करने वाले व्यावहारिक कौशल और ज्ञान में सुधार शामिल हैं।

वेगनरी अभियान की सफलता में बाधा डालने वाली कुछ कठिनाइयों में सामाजिक परिवेश में भोजन के विकल्पों का चयन करना, बाहर खाते समय पादप आधारित विकल्पों की कमी, गैर-शाकाहारी खाद्य पदार्थों की कमी और पादप आधारित खाना पकाने की असुविधा शामिल है।

वेगनरी अभियान में शामिल होना और उनके व्यंजनों, जानकारी और शीर्ष सुझावों के साथ दैनिक ईमेल प्राप्त करना सहायक है, क्योंकि वेगनरी के दौरान सुपरमार्केट और रेस्तरां द्वारा शाकाहारी भोजन पर प्रचार-प्रसार भी किया जाता है।

यदि आप मांस के स्थान पर अति-प्रसंस्कृत पादप-आधारित व्यंजनों के इस्तेमाल को लेकर चिंतित हैं, तो हालिया विश्लेषण आश्वस्त करने वाले हैं और संकेत देते हैं कि ये अक्सर मांस की तुलना में अधिक स्वास्थ्यवर्धक होते हैं और इनसे रोग का जोखिम नहीं बढ़ता है, जो पशु-आधारित अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, जैसे सॉसेज, बर्गर और हैम, को खाने से होता है।

यदि आप बींस के शौकीन हैं, तो इनका अधिक सेवन करना स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभ को अधिकतम करने के साथ-साथ पैसे बचाने का एक शानदार तरीका भी है।

(द कन्वरसेशन) धीरज सुरेश

सुरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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