(उज्मी अतहर)
दुबई, छह दिसंबर (भाषा) सीओपी28 वैश्विक जलवायु वार्ता का पहला सप्ताह हानि और क्षति कोष के संचालन, 83 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के संकल्प और ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ के लिए मसौदा पाठ में सभी जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के उल्लेख के साथ एक महत्वपूर्ण प्रगति के साथ संपन्न हुआ।
‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ पेरिस समझौते का एक मूलभूत घटक है, जिसका इस्तेमाल इसके कार्यान्वयन की निगरानी और सहमत लक्ष्यों को प्राप्त करने में हुई सामूहिक प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
हालांकि, संकल्प में 83 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक कोष जुटाए जाने के बावजूद इन प्रतिबद्धताओं की स्वैच्छिक प्रकृति और भाग लेने वाले देशों द्वारा वास्तविक पूर्ति के बारे में सवाल बने हुए हैं।
चर्चाओं के बीच, जीवाश्म ईंधन का मुद्दा एक केंद्र बिंदु के रूप में उभरा। इसके साथ ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ के एक नए मसौदा पाठ में कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने और जीवाश्म ईंधन से एक व्यवस्थित और तर्कसंगत तरीके से आगे बढ़ने के विकल्पों का प्रस्ताव दिया गया, जो भारत के लिए एक विवादास्पद मुद्दा हो सकता है।
पिछले साल के जलवायु सम्मेलन में भारत ने न केवल कोयला बल्कि सभी जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का प्रस्ताव दिया था। नयी दिल्ली के आह्वान का यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने समर्थन किया।
भारत 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने की प्रतिबद्धता पर हस्ताक्षर करने से भी दूर रहा। ग्रीनहाउस गैसों में कमी को लेकर, भारत ने जलवायु और स्वास्थ्य के संबंध में सीओपी28 घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से भी परहेज किया।
मंगलवार को जारी ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ ने तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के वैश्विक प्रयासों की पहली आवधिक समीक्षा का प्रतिनिधित्व किया। भारत ने ‘बेसिक’ समूह का प्रतिनिधित्व करते हुए जवाबदेही की वकालत करने में प्रमुख भूमिका निभाई। इसमें विकसित देशों की विफलताओं पर विचार करने के लिए ‘ग्लोबल स्टॉकटेक’ की आवश्यकता पर बल दिया गया।
सूत्रों ने कहा कि ‘बेसिक’ समूह के प्रतिनिधियों, जिसमें ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत और चीन शामिल हैं, ने प्रारंभिक वार्ता के दौरान विकसित देशों के खंडित बहुपक्षवाद के बारे में चिंता व्यक्त की।
ठोस वार्ता में प्रारंभिक चुनौतियों के बावजूद, सीओपी28 के आयोजन के पहले सप्ताह में कई संकल्प लिए गए।
प्रमुख प्रतिज्ञाओं और घोषणाओं में हानि और क्षति के लिए वित्त पोषण को संचालित करने और पूंजीकरण करने के लिए एक अभूतपूर्व समझौता शामिल है, जिसमें 72.6 करोड़ अमेरीकी डॉलर वित्तपोषण का वादा पहले ही किया जा चुका है।
इसके अतिरिक्त, हरित पर्यावरण कोष (जीसीएफ) में 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर देने का भी संकल्प जताया गया, जिससे कुल राशि 12.8 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई।
सीओपी28 का आयोजन दूसरे सप्ताह में प्रवेश कर रहा है, ऐसे में पर्याप्त वित्तीय प्रतिज्ञाओं से बनी गति वैश्विक जलवायु संकट को दूर करने के लिए सार्थक कार्यों में तब्दील हो जाएगी। इसके साथ वार्ता में प्रगति बढ़ने की उम्मीद बढ़ गई है। सीओपी28 वार्ता 12 दिसंबर तक जारी रहेगी।
भाषा
(यह स्टोरी, इंटरन्यूज के अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क और स्टैनली सेंटर फॉर पीस एंड सिक्योरिटी द्वारा आयोजित एक पत्रकारिता फेलोशिप 2023 क्लाइमेट चेंज मीडिया पार्टनरशिप के तहत तैयार की गई है।) आशीष पवनेश
पवनेश
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