संवैधानिक संशोधन मुझे जेल में रखने का एक प्रयास: इमरान खान |

संवैधानिक संशोधन मुझे जेल में रखने का एक प्रयास: इमरान खान

संवैधानिक संशोधन मुझे जेल में रखने का एक प्रयास: इमरान खान

:   Modified Date:  September 16, 2024 / 09:04 PM IST, Published Date : September 16, 2024/9:04 pm IST

इस्लामाबाद, 16 सितंबर (भाषा) पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को अपेक्षित संवैधानिक परिवर्तनों को खारिज किया और दावा किया कि यह न्यायपालिका को नियंत्रित करके उन्हें जेल में रखने का एक प्रयास है।

जेल में बंद खान (71) ने यह टिप्पणी अदियाला जेल में पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत के दौरान की, जहां वह पिछले साल अगस्त से बंद हैं।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक खान ने कहा कि ‘‘संविधान संशोधन का उद्देश्य केवल मुझे जेल में रखना है। यह सब चुनावी धोखाधड़ी को छिपाने के लिए किया जा रहा है।’’

खान ने दावा किया कि यदि वास्तविक चुनाव परिणाम सामने आ गए तो सब कुछ उलट जाएगा। पीटीआई नेता खान ने दावा किया कि सरकार उच्चतम न्यायालय के डर से एक नयी संवैधानिक अदालत स्थापित करने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘संवैधानिक न्यायालय की स्थापना इसलिए की जा रही है क्योंकि वे उच्चतम न्यायालय से डरते हैं।’’ उन्होंने कहा कि नये संशोधन देश के भविष्य को नष्ट कर देंगे।

उन्होंने कहा कि संशोधन के पीछे जो लोग हैं, उनका पैसा बाहर पड़ा है और सरकार में बैठे लोग स्वतंत्र न्यायपालिका नहीं देखना चाहते।

उन्होंने कहा, ‘‘अभिजात वर्ग के हित और देश के हित विरोधाभासी हैं।’’ खान ने यह भी दावा किया कि छह महीने में दुबई में 4,000 पाकिस्तानी कंपनियां पंजीकृत हुईं और देश को कर्ज लेकर चलाया जा रहा है, जो मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में आने वाली कठिनाइयों का मुख्य कारण है।

उन्होंने मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा की आलोचना करते हुए दावा किया कि सरकार ईसा को वापस लाने के लिए न्यायपालिका को नष्ट करना चाहती है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘उन्हें लगता है कि हम इसके खिलाफ चुप रहेंगे। अगर ऐसा होता है, तो हम इसका कड़ा विरोध करेंगे।’’

उन्होंने राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) कानूनों में संशोधन की भी आलोचना की और दावा किया कि इनका इस्तेमाल अरबों के भ्रष्टाचार को माफ करने के लिए किया गया।

उन्होंने 21 सितंबर को लाहौर में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की घोषणा करते हुए जनता से अपने अधिकारों और न्यायपालिका की रक्षा करने का आह्वान किया।

भाषा अमित माधव

माधव

 

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