अपने रंगों और सुरीली बोलियों से खुशनुमा रंग भरने वाले पक्षियों से वंचित हो रहे हैं शहर |

अपने रंगों और सुरीली बोलियों से खुशनुमा रंग भरने वाले पक्षियों से वंचित हो रहे हैं शहर

अपने रंगों और सुरीली बोलियों से खुशनुमा रंग भरने वाले पक्षियों से वंचित हो रहे हैं शहर

:   Modified Date:  September 7, 2024 / 06:28 PM IST, Published Date : September 7, 2024/6:28 pm IST

(एंड्रेस फेलिप सुआरेज कास्त्रो, ग्रिफिथ विश्वविद्यालय और रेचल ओह, क्वींसलैंड विश्वविद्यालय)

सिडनी, सात सितंबर (द कन्वरसेशन) नव भोर को अपनी सुरीली बोलियों से गुंजायमान करने वाले तथा उद्यानों एवं बागों में फूलों के साथ तमाम नये रंग भरने वाले विभिन्न रंग -बिरंगे पक्षी हमारे शहरों से धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आयी है।

हमने ब्रिस्बेन में 42 प्रकार के परिदृश्यों में पक्षियों की 82 प्रजातियों की जांच की। परिदृश्यों की श्रेणी में पार्क, झाड़ियों वाले आरक्षित क्षेत्र और औद्योगिक व आवासीय क्षेत्र शामिल थे।

हमारे निष्कर्ष स्पष्ट थे: शहरीकरण, विशेष रूप से निर्मित आधारभूत संरचनाओं में वृद्धि और हरे भरे स्थानों का नुकसान उन पक्षी समुदायों की संख्या में गिरावट से जुड़ा था जिन्हें हम सबसे अधिक आकर्षक मानते हैं। दूसरे शब्दों में मधुर गीत गाने वाले कई रंग-बिरंगे पक्षी या तो लुप्त हो रहे हैं या खत्म हो रहे हैं। इनमें कई छोटी प्रजातियां शामिल हैं जो बढ़ते शहरीकरण से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

सुंदरता देखने वाले की नजर में हो सकती है, लेकिन पूर्व में किए गए शोधों से पता चला है कि चमकीले रंग, विपरीत रंग छटाओं और मधुर आवाज वाले पक्षियों की प्रजातियों को आकर्षक माना जाता है। उन्हें देखना और सुनना हमारे मनोभाव को खुशनुमा बना सकता है। जैसे-जैसे शहर फैलते हैं और मौजूदा शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या बढ़ती है वैसे-वैसे पक्षियों के प्राकृतिक एवं जीवंत अस्तित्व को खोने का जोखिम बढ़ता है। ये पक्षी शहरी जीवन को मजेदार बनाने में मदद करते हैं।

इन प्रजातियों के गंवाने का क्या कारण है?

छोटे, रंग-बिरंगे और मधुर स्वर वाले पक्षियों की संख्या में कमी आने के कई कारण हैं। इन प्रजातियों पर पड़ने वाले कई दबावों में इनके रहने के स्थान को होने वाली क्षति एवं टूटना शामिल है क्योंकि इमारतों और सड़कों के लिए भूमि को साफ किया जा रहा है।

आक्रामक पक्षियों से प्रतिस्पर्धा का भी छोटे और जंगल पर निर्भर प्रजातियों पर विशेष रूप से गंभीर प्रभाव पड़ता है। इनमें कई ऐसे पक्षी शामिल हैं जिन्हें हम सबसे आकर्षक मानते हैं।

ब्रिस्बेन में संकटग्रस्त प्रजातियों में सफेद गले वाला गेरीगोन (गेरीगोन ओलिवेसिया) शामिल है। अपने आकर्षक रंगों और विशिष्ट सुरील आवाज के लिए विख्यात वाला यह पक्षी उन प्रजातियों में शामिल है जो हमारे शहरों से लुप्त हो रही हैं।

ऐसे परिदृश्य वाले स्थान कुछ ऐसी प्रजातियों के लिए सहायक बनते हैं जिनके गुणों के चलते लोगों उन्हें आकर्षक मानते हैं। इनमें रेनबो लॉरिकेट (ट्राइकोग्लोसस हेमेटोडस) और विली वैगटेल (रिपिड्यूरा ल्यूकोफ्रीज) शामिल हैं। शहरों की परिस्थितियों को अपनाने कुछ बड़ी प्रजातियां ऐसी हैं, जैसे पाइड बुचरबर्ड (क्रैटिकस निग्रोगुलरिस) और ऑस्ट्रेलियाई मैगपाई (जिम्नोरिना टिबिसेन) जिनकी मधुर आवाजें हमारे जीवन को खुशनुमा बना देती हैं।

किंतु खराब शहरी बनावट के कारण हमारे शहर पक्षियों के मधुर गीतों और रंगों की समृद्ध विविधता को खो रहे हैं जिसका आनंद कभी वहां के निवासी उठाया करते थे।

हम सिर्फ सुंदरता ही नहीं खो रहे हैं। पूरे ऑस्ट्रेलिया में शहरों का विकास हो रहा है। दक्षिण-पूर्व क्वींसलैंड (जहां हमने अपना शोध किया था) में 2046 तक 22 लाख अतिरिक्त लोगों के बढ़ने का अनुमान है।

खराब तरीके से शहरी आयोजन और शहरों का आवास से पक्षियों का रहने के स्थल घट रहे हैं और छोटे हो रहे हैं। इसका मतलब है कि जीवंत रंगीन प्रकृति की जगह नीरस और उदास एवं उबाऊ परिदृश्य उभर रहे हैं।

शहरी क्षेत्रों में पक्षियों की विविध प्रजातियों की उपस्थिति जैव विविधता संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। हमारे शहर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों का घर हैं जिनमें आश्चर्यजनक रूप से बड़ी संख्या में खतरे में पड़ी प्रजातियां भी शामिल हैं।

इन आकर्षक पक्षी प्रजातियों को संरक्षित करने से लोगों और प्रकृति के बीच संबंध भी मजबूत हो सकते हैं। अपनी अनूठी आवाजों के साथ इन अनोखी, रंगीन प्रजातियों को खोने का मतलब है प्रकृति की पूरी सुंदरता का अनुभव करने के अवसरों को खोना।

हम शहरों में यह प्राकृतिक आनंद कैसे ला सकते हैं?

शहरी नियोजन में हमारे शहरों में जीवंत और रंगीन पक्षी जीवन को वापस लाने की शक्ति है। इस तरह यह हमारे दैनिक जीवन और उन जगहों पर प्रकृति के साथ संबंधों को समृद्ध कर सकता है जहां हम रहते हैं और काम करते हैं।

योजनाबद्ध तरीके से बसाए गए शहर जैव विविधता और आवास संरक्षण को प्राथमिकता दे सकते हैं। हमारे शोध से पता चलता है कि इससे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी अधिक विविध और आकर्षक पक्षी समुदाय को बढ़ावा मिल सकता है।

(द कन्वरसेशन)

शुभम माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)