चीनी विद्वानों ने चीन में बौद्ध ग्रंथों में रामायण के प्रभाव को उजागर किया |

चीनी विद्वानों ने चीन में बौद्ध ग्रंथों में रामायण के प्रभाव को उजागर किया

चीनी विद्वानों ने चीन में बौद्ध ग्रंथों में रामायण के प्रभाव को उजागर किया

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Modified Date: November 3, 2024 / 07:18 PM IST
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Published Date: November 3, 2024 7:18 pm IST

(केजेएम वर्मा)

बीजिंग, तीन नवंबर (भाषा) चीन के विद्वानों का कहना है कि यहां सदियों से बौद्ध धर्मग्रंथों में रामायण की कहानियों के निशान मौजूद हैं। संभवत: पहली बार इस बात का खुलासा हुआ है कि देश के उतार-चढ़ाव भरे इतिहास में हिंदू धर्म का प्रभाव भी रहा है।

बीजिंग में भारतीय दूतावास द्वारा ‘‘रामायण-ए टाइमलेस गाइड’’ विषय पर शनिवार को आयोजित एक संगोष्ठी में धार्मिक प्रभावों पर लंबे समय से शोध कर रहे कई चीनी विद्वानों ने उन ऐतिहासिक मार्गों का पता लगाने वाली स्पष्ट प्रस्तुतियां दीं, जिनके माध्यम से रामायण चीन तक पहुंची और चीनी कला एवं साहित्य पर इसका प्रभाव पड़ा।

सिंघुआ विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय अध्ययन संस्थान के प्रोफेसर एवं डीन डॉ. जियांग जिंगकुई ने कहा, ‘‘धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष दुनिया को जोड़ने वाली सदाबहार कृति के रूप में रामायण का प्रभाव अंतर-सांस्कृतिक प्रसार के माध्यम से और भी अधिक महत्वपूर्ण रूप से बढ़ गया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चीन ने भी इस महाकाव्य के तत्वों को आत्मसात किया है, जिसने न केवल चीनी (बहुसंख्यक) हान संस्कृति में निशान छोड़े हैं, बल्कि चीनी शिजांग (तिब्बती) संस्कृति में भी इसकी पुनर्व्याख्या की गई है और इसे नया अर्थ दिया गया है।’’

चीन आधिकारिक तौर पर तिब्बत को शिजांग के नाम से संदर्भित करता है।

जियांग ने कहा, ‘‘यह सांस्कृतिक प्रवास और अनुकूलन एक सदाबहार और सांसारिक ग्रंथ के रूप में रामायण के खुलेपन और लचीलेपन को प्रदर्शित करता है।’’

उन्होंने कहा कि चीन में रामायण से संबंधित सबसे प्रारंभिक सामग्री मुख्य रूप से बौद्ध धर्मग्रंथों के माध्यम से हान सांस्कृतिक क्षेत्र में पेश की गई थी।

जियांग ने कहा कि इसे हान सांस्कृतिक क्षेत्र में एक संपूर्ण कृति के रूप में शामिल नहीं किया गया, लेकिन महाकाव्य के कुछ हिस्सों को बौद्ध धर्मग्रंथों में जगह दी गई है।

उन्होंने बौद्ध लिपियों के चीनी अनुवाद का हवाला दिया, जिनमें ‘‘दशरथ और हनुमान को बौद्ध पात्रों के रूप में उल्लेखित किया गया है।’’

जियांग ने कहा, ‘‘एक प्रसिद्ध उदाहरण यह है कि हनुमान को वानर राजा में बदल दिया गया, जिन्होंने बौद्ध शिक्षाओं का पालन किया और क्लासिक बौद्ध नैतिक कथाओं में घुलमिल गए।’’

मानवीय विशेषताओं वाले वानर राजा सन वुकोंग को सबसे प्रिय और सबसे स्थायी चीनी साहित्य और लोककथाओं में शामिल किया गया है।

चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय रणनीति संस्थान के प्रोफेसर लियू जियान ने अपनी प्रस्तुती में कहा कि कई चीनी विद्वान इस बात से सहमत हैं कि सन वुकोंग का संबंध हनुमान से है, हालांकि कुछ विद्वानों का कहना है कि वह चीन के ही थे।

उन्होंने कहा, ‘‘चीनी विद्वान आम तौर पर इस बात पर सहमत हैं कि सन वुकोंग की छवि हनुमान से प्रेरित है। इसलिए, सन वुकोंग यहां का किरदार नहीं है, बल्कि भारत का एक किरदार है।’’

‘चीन में राम के पदचिह्न’ विषय पर सिचुआन विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र की मुख्य विशेषज्ञ और उप निदेशक प्रोफेसर किउ योंगहुआई ने अपनी प्रस्तुती में चीन के फुजियान प्रांत के क्वांझाउ संग्रहालय में विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें प्रदर्शित कीं। उन्होंने एक बौद्ध मंदिर का फोटो भी दिखाया, जिसका प्रबंधन हिंदू पुजारी करता है।

सिचुआन विश्वविद्यालय के यिन-शी-नान और गांसु नेशनल यूनिवर्सिटी फॉर नेशनलिटीज के ज़ू यूयुन सहित कई चीनी प्रोफेसरों ने सदियों से चीन में रामायण के प्रभाव पर प्रस्तुतियां दीं। चीन में थाईलैंड के राजदूत चटचाई विरियावेजाकुल और इंडोनेशिया के उप राजदूत पेरूलियन जॉर्ज एंड्रियास सिलालाही ने अपने-अपने देश में रामायण के प्रभाव के बारे में बात की।

भाषा आशीष पारुल

पारुल

 

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