बीजिंग। चीन के पैंगोंग त्सो झील के किनारे एक पुल का निर्माण कर रहा है जिससे भारत और चीन के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ने लगा है। दरअसल, ये पुल अब 400 मीटर से अधिक लंबा है और एक बार पूरा होने के बाद चीन को इस इलाके में महत्वपूर्ण सैन्य बढ़त प्रदान करेगा।
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पूर्वी लद्दाख के पास पैंगोंग त्सो झील वाला ये ऐसा इलाका है, जिसे लेकर भारत-चीन के बीच गतिरोध बना रहा है। पुल की चौड़ाई आठ मीटर है और ये पैंगोंग के उत्तरी तट पर एक चीनी सेना के मैदान के ठीक दक्षिण में स्थित है। यहां पर चीन के अस्पताल और सैनिकों के आवास भी हैं।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 16 जनवरी की सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि चीनी कंस्ट्रक्शन वर्कर्स पुल के खंभों को कंक्रीट स्लैब से जोड़ने में मदद करने के लिए एक भारी क्रेन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके ऊपर टरमैक को बिछाया जाना है। निर्माण की गति को देखते हुए ऐसा लगा रहा है कि पुल कुछ महीनों में बनकर तैयार हो जाएगा।
हालांकि, रुतोग तक सड़क को पूरा होने में अधिक समय लगेगा। रुतोग इलाके में मुख्य चीनी सैन्य केंद्र है। इस पुल का निर्माण होना भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि चीनी सेना इसके जरिए बहुत ही तेजी के साथ सैनिकों को झील के किसी भी किनारे पर तैनात कर सकती है।
हालांकि, नए पुल का निर्माण 1958 से चीन के कब्जे वाले क्षेत्र में किया गया है। लेकिन ये पूरी तरह से साफ है कि भारत इस पुल के निर्माण को पूरी तरह से अवैध मानता है। फोर्स एनालिसिस के चीफ मिलिट्री एनालिस्ट सिम टैक कहते हैं, ‘यह वह जगह है, जहां व्यावहारिक तौर पर भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा होने का दावा करता है।
Incase you're still wondering why the new bridge at #PangongTso matters, here's an explainer on its implications & potential advantages it holds for #China's troops in the area, very likely a lesson learnt from #India's maneuvers at Rezang La in 2020 https://t.co/wsQwQuHQT9 pic.twitter.com/xoAzkWIhqY
— Damien Symon (@detresfa_) January 4, 2022
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