कोरोना वायरस को जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने चीन ने की थी जांच, मीडिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा | China investigated biological war fighting through corona virus in 2015: Report

कोरोना वायरस को जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने चीन ने की थी जांच, मीडिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

कोरोना वायरस को जैविक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने चीन ने की थी जांच, मीडिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:53 PM IST, Published Date : May 9, 2021/5:26 pm IST

लंदन/मेलबर्न, नौ मई (भाषा) चीन के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 महामारी से पांच साल पहले कथित तौर पर कोरोना वायरस को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में जांच की थी और उन्होंने तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियार से लड़ने का पूर्वानुमान लगाया था। अमेरिकी विदेश विभाग को प्राप्त हुए दस्तावेजों के हवाले से मीडिया रपटों में यह दावा किया गया है।

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ब्रिटेन के ‘द सन’ अखबार ने ‘द ऑस्ट्रेलियन’ की तरफ से सबसे पहले जारी रिपोर्ट के हवाले से कहा कि अमेरिकी विदेश विभाग के हाथ लगे ”विस्फोटक” दस्तावेज कथित तौर पर दर्शाते हैं कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के कमांडर यह घातक पूर्वानुमान जता रहे थे। अमेरिकी अधिकारियों को मिले दस्तावेज कथित तौर पर वर्ष 2015 में उन सैन्य वैज्ञानिकों और वरिष्ठ चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा लिखे गए थे जोकि कोविड-19 की उत्पत्ति के संबंध में जांच कर रहे थे।

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चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस का ”जैविक हथियार के नए युग” के तौर पर उल्लेख किया था, कोविड जिसका एक उदाहरण है। पीएलए के दस्तावेजों में दर्शाया गया कि जैव हथियार हमले से दुश्मन के चिकित्सा तंत्र को ध्वस्त किया जा सकता है। दस्तावेजों में अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे के कार्यों का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने इस बात की आशंका जताई थी कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जा सकता है।

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दस्तावेजों में इस बात का भी उल्लेख है कि चीन में वर्ष 2003 में फैला सार्स एक मानव-निर्मित जैव हथियार हो सकता है, जिसे आंतकियों ने जानबूझकर फैलाया हो। सांसद टॉम टगेनधट और आस्ट्रेलियाई राजनेता जेम्स पेटरसन ने कहा कि इन दस्तावेजों ने कोविड-19 की उत्पत्ति के बारे में चीन की पारदर्शिता को लेकर चिंता पैदा कर दी है। हालांकि, बीजिंग में सरकारी ग्लोबल टाइम्स समाचारपत्र ने चीन की छवि खराब करने के लिए इस लेख को प्रकाशित करने को लेकर दी आस्ट्रेलियन की आलोचना की है।