नई दिल्ली। चीन ने भारत की एनएसजी की राह में फिर रोड़ा डाला है। चीन ने कहा है कि (एनपीटी) परमाणु अप्रसार संधि में हस्ताक्षर करने वाले देशों को ही एनएसजी में प्रवेश की इजाजत मिलनी चाहिए। एनएसजी में 48 सदस्य देश हैं। यह वैश्विक परमाणु कारोबार का नियमन करता है। भारत और पाकिस्तान ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है। हालांकि, भारत के अर्जी देने पर 2016 में पाकिस्तान ने भी एनएसजी की सदस्यता की अर्जी लगा दी।
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चीनी प्रवक्ता के मुताबिक जिन देशों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किया है, उन्हें किसी विशेष योजना तक पहुंचे बगैर एनएसजी में शामिल करने पर कोई चर्चा नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, इसलिए भारत को शामिल किए जाने पर कोई चर्चा नहीं होगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश को नहीं रोक रहा है और यह दोहराया कि बीजिंग का यह रुख है कि एनएसजी के नियम एवं प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।
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जब चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से कहा गया कि एनएसजी के ज्यादातर सदस्य भारत को शामिल करने का समर्थन कर रहे हैं, जबकि चीन लगातार अड़ंगा लगा रहा है, तो इस पर उन्होंने कहा, ‘यह नहीं कहा जा सकता कि चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश में अड़ंगा लगा रहा है। हालांकि मैं निश्चित रूप से यह कहूंगा कि एनएसजी एक बहुपक्षीय गैर परमाणु अप्रसार मैकैनिजम है, जिसके अपने नियम और प्रक्रिया हैं। सभी सदस्य देशों को एनएसजी के नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए। साथ ही कोई भी फैसला आम सहमति से लिया जाना चाहिए’ चीन का कहना है कि एनएसजी में सिर्फ उन्हीं देशों को शामिल किया जाएगा, जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) में हस्ताक्षर किया है। भारत ने अब परमाणु अप्रसार संधि में हस्ताक्षर नहीं किया है।
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