(लादन हाशमी, ऑकलैंड विश्वविद्यालय)
ऑकलैंड, 29 दिसंबर (द कन्वरसेशन) बचपन में मोटापे से ग्रस्त होना दुनियाभर में बढ़ती हुई चिंता का विषय है, लेकिन न्यूजीलैंड में यह विशेष रूप से एक गंभीर मुद्दा है।
ओईसीडी में सबसे अधिक दरों के साथ, न्यूजीलैंड में लगभग तीन में से एक बच्चा अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त है। बच्चों में मोटापा स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं का कारण हो सकता है जो वयस्क होने तक बनी रहती हैं।
यद्यपि बचपन में मोटापे के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं – जैसे आहार, शारीरिक गतिविधि और आनुवांशिकी – लेकिन अक्सर अनदेखा किया जाने वाला एक कारक ‘स्क्रीन’ पर बिताया गया समय है।
बच्चे लगातार टीवी, टैबलेट और स्मार्टफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से घिरे रहते हैं और ‘स्क्रीन’ पर समय बिताना दैनिक जीवन का एक सामान्य हिस्सा बन गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और ‘अमेरिकी एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स’ दोनों का सुझाव है कि प्रीस्कूल आयु वर्ग के बच्चों को प्रतिदिन एक घंटे से अधिक ‘स्क्रीन’ पर समय नहीं बिताना चाहिए।
लेकिन न्यूजीलैंड और विदेशों में कई छोटे बच्चे ‘स्क्रीन’ पर काफी अधिक समय बिता रहे हैं और कई नियमित रूप से इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं।
हमारे नये अध्ययन में पता लगाया गया कि कैसे बचपन में मोटापे के खतरे को कम किया जा सकता है। हमारे अध्ययन से पता चला कि माता-पिता और नीति-निर्माता इस बढ़ती चुनौती से कैसे निपट सकते हैं।
‘स्क्रीन’ और मोटापे का खतरा:
‘स्क्रीन’ पर अधिक समय बिताये जाने से बच्चों को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिनमें मानसिक और भावनात्मक समस्याओं से लेकर मोटापे जैसी शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं शामिल हैं।
‘स्क्रीन’ के सामने बहुत अधिक समय बिताने का मतलब अक्सर अधिक बैठना और कम शारीरिक गतिविधि करना होता है, जिससे अत्यधिक वजन बढ़ सकता है।
इसके अतिरिक्त ‘स्क्रीन’ पर बिताये गये समय का संबंध स्नैक्स (अल्पाहार) से भी है, क्योंकि बच्चे अक्सर शो देखते हुए या गेम खेलते हुए कुछ न कुछ खाते हैं। इन अल्पाहार में आमतौर पर चीनी और वसा की मात्रा अधिक होती है, जो समय के साथ वजन बढ़ाने में योगदान देती है।
बच्चों के मीडिया में उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों के विज्ञापन भी आम हैं, जिससे अस्वास्थ्यकर अल्पाहार के प्रति लालसा बढ़ जाती है।
इसके अलावा, ‘स्क्रीन’ से नीली रोशनी निकलती है जो सोने के समय के इस्तेमाल किये जाने पर नींद के चक्र को बाधित कर सकती है। यह पाया गया है कि खराब नींद से भूख बढ़ती है और उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों की लालसा बढ़ती है, जिससे बच्चों में वजन बढ़ने की आशंका अधिक होती है।
हमारे शोध में ‘ग्रोइंग अप इन न्यूजीलैंड’ अध्ययन के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया जिसमें 5,700 से अधिक बच्चों और उनके परिवारों को शामिल किया गया।
नतीजे चौंकाने वाले थे। हमने पाया कि जिन परिवारों ने ‘स्क्रीन’ के इस्तेमाल के बारे में स्पष्ट नियम बनाये थे और इन्हें लागू किया था, उन्हें उल्लेखनीय फायदा हुआ।
इन नियमों ने बेहतर नींद की आदतों को बढ़ावा देकर और ‘स्क्रीन’ के अत्यधिक इस्तेमाल को सीमित करके, मोटापे के खतरे को कम करने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद की।
अध्ययन में हालांकि ‘स्क्रीन’ पर बिताये गये समय के नियमों और मोटापे की दर में कमी के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया, लेकिन यह पाया गया कि कैसे ये नियम वजन बढ़ने से जुड़े खतरों को कम कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए जिन परिवारों में ‘स्क्रीन’ के समय को लेकर नियम हैं, वहां बच्चे अधिक समय तक सोते हैं और ‘स्क्रीन’ पर कम समय बिताते हैं और ये दोनों ही स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
आर्थिक रूप से वंचित परिवारों के पास अक्सर ‘स्क्रीन’ पर बिताये जाने वाले समय को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए कम संसाधन होते हैं। वैकल्पिक गतिविधियों या सुरक्षित बाहरी स्थानों तक सीमित पहुंच के कारण ये परिवार बच्चों के मनोरंजन या उन्हें व्यस्त रखने के लिए ‘स्क्रीन’ पर अधिक निर्भर हो सकते हैं।
इसके अलावा खाद्य असुरक्षा, किफायती, पौष्टिक भोजन नहीं मिलने से सस्ते, अस्वास्थ्यकर खाद्य विकल्पों पर निर्भरता बढ़ा सकती है जिससे बचपन में मोटापे का खतरा और बढ़ सकता है।
माता-पिता का मार्गदर्शन करना:
परिवारों के लिए मुख्य सलाह यह है कि वे ‘स्क्रीन’ के इस्तेमाल की गुणवत्ता, मात्रा और समय को ध्यान में रखते हुए नियमों को लागू करें।
ये नियम बच्चों को अपने ‘स्क्रीन’ समय को अन्य गतिविधियों, जैसे शारीरिक खेल और पर्याप्त नींद के साथ संतुलित करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
नीति निर्माता निम्न आय वर्ग के परिवारों की सहायता करने वाली नीतियों का समर्थन करके भी अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
बच्चों में मोटापे की दर बढ़ने और दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणाम अधिक स्पष्ट होने के साथ, इस समस्या से निपटने के लिए परिवारों, समुदायों और नीति निर्माताओं की ओर से समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है।
(द कन्वरसेशन) देवेंद्र रंजन
रंजन
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