बांग्लादेश के शीर्ष विधि अधिकारी ने संविधान से धर्मनिरपेक्षता व समाजवाद शब्द हटाने का प्रस्ताव किया |

बांग्लादेश के शीर्ष विधि अधिकारी ने संविधान से धर्मनिरपेक्षता व समाजवाद शब्द हटाने का प्रस्ताव किया

बांग्लादेश के शीर्ष विधि अधिकारी ने संविधान से धर्मनिरपेक्षता व समाजवाद शब्द हटाने का प्रस्ताव किया

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Modified Date: November 14, 2024 / 09:20 PM IST
Published Date: November 14, 2024 9:20 pm IST

ढाका, 14 नवंबर (भाषा) बांग्लादेश के शीर्ष विधि अधिकारी ने संविधान से ‘‘धर्मनिरपेक्षता’’ और ‘‘समाजवाद’’ शब्दों को हटाने तथा संविधानेतर तरीकों से सरकार बदलने के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करने का प्रस्ताव किया है।

नागरिकों के एक समूह द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय में अपनी दलील में, अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असज्जमां ने बुधवार को संविधान के चार सिद्धांतों में से दो ‘‘धर्मनिरपेक्षता’’ और ‘‘समाजवाद’’ को हटाने की मांग की। साथ ही, उन्होंने शेख मुजीबुर रहमान का राष्ट्रपिता का दर्जा खत्म करने की भी मांग की।

उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के नेता थे, लेकिन अवामी लीग ने पार्टी के हित में उनका राजनीतिकरण किया। उन्होंने बांग्लादेश के संस्थापक का जिक्र करते हुए यह कहा, जिन्हें ‘बंगबंधु’ के नाम से जाना जाता है।

रिट याचिका में, अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार द्वारा 2011 में किए गए संविधान के 15वें संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई है। वहीं, उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों की पीठ ने एक नियम जारी कर अंतरिम सरकार से इस मामले पर अपना रुख बताने को कहा है।

पंद्रहवां संशोधन संसद में अवामी लीग के भारी बहुमत से पारित किया गया, जिसके तहत संविधान में कई प्रावधानों को बहाल किया गया, शामिल किया गया और समाप्त किया गया।

संशोधनों में धर्मनिरपेक्षता को बहाल करना, चुनाव की निगरानी के लिए कार्यवाहक सरकार प्रणाली को समाप्त करना, संविधानेतर तरीकों से सत्ता संभालना और शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता का दर्जा देना शामिल था।

भेदभाव के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शन और व्यापक जन-आंदोलन के कारण 5 अगस्त को अवामी लीग सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश

 

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