(अनीसुर रहमान)
ढाका, 29 अगस्त (भाषा) बांग्लादेश ने बृहस्पतिवार को जबरन गायब किए जाने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। दो दिन पहले ही बांग्लादेश ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के करीब 16 साल के शासन के दौरान जबरन गायब किए जाने के प्रत्येक मामले का पता लगाने के लिए एक आयोग का गठन किया था।
अंतरिम सरकार प्रमुख मुहम्मद यूनुस की प्रेस इकाई ने उनके हवाले से कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक अवसर है।’’
यूनुस ने ‘सभी व्यक्तियों को जबरन गायब किये जाने से बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते’ से संबंधित विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए।
यह घटनाक्रम संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित जबरन गायब किये गए पीड़ितों के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस से एक दिन पहले हुआ है। यह अंतरराष्ट्रीय दिवस 30 अगस्त को मनाया जाता है।
विलय पत्र के अनुसार, ‘‘मैं, प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस, मुख्य सलाहकार, घोषणा करता हूं कि बांग्लादेश के जनवादी गणराज्य की सरकार, उपर्युक्त समझौते पर विचार करने के बाद, इसे स्वीकार करती है और इसमें निहित शर्तों का ईमानदारी से पालन करने का वचन देती है।’’
बाद में, यूनुस ने बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार के अपने आधिकारिक अकाउंट से ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘बांग्लादेश ने सभी व्यक्तियों को जबरन गायब किए जाने से बचाने के लिए बृहस्पतिवार को अंतरराष्ट्रीय समझौते में शामिल होने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जिससे जबरन गायब किए जाने के प्रत्येक मामले की जांच करने की उसकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई।’’
आयोग को एक जनवरी, 2010 से पांच अगस्त, 2024 के बीच जबरन गायब किए जाने के मामलों की जांच करने को कहा गया है।
वैश्विक मानवाधिकार संस्था ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने बांग्लादेशी मानवाधिकार संगठनों के हवाले से आरोप लगाया कि देश के सुरक्षा बलों ने 2009 से 600 लोगों को जबरन गायब किया।
भाषा वैभव पवनेश
पवनेश
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