बांग्लादेश की अंतरिम सरकार तीस्ता जल बंटवारा संधि पर भारत से बातचीत फिर शुरू करने की इच्छुक |

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार तीस्ता जल बंटवारा संधि पर भारत से बातचीत फिर शुरू करने की इच्छुक

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार तीस्ता जल बंटवारा संधि पर भारत से बातचीत फिर शुरू करने की इच्छुक

:   Modified Date:  September 2, 2024 / 11:11 AM IST, Published Date : September 2, 2024/11:11 am IST

(प्रदीप्त तापदार)

ढाका, दो सितंबर (भाषा) बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में जल संसाधन मामलों की सलाहकार सैयदा रिजवाना हसन ने कहा है कि सरकार तीस्ता जल बंटवारा संधि पर भारत के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहती है। उन्होंने कहा कि ऊपरी तटवर्ती और निचले तटवर्ती देशों को जल बंटवारे पर अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।

ढाका में ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में हसन ने भरोसा जताया कि भारत के साथ तीस्ता संधि एवं अन्य जल बंटवारा संधियों पर विवाद को बातचीत के जरिए सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा लिया जाएगा लेकिन उन्होंने सुझाव दिया कि अगर किसी समझौते पर नहीं पहुंचा जा सका तो बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय वैधानिक दस्तावेजों और सिद्धांतों पर विचार कर सकता है।

उन्होंने रविवार को एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने (बांग्लादेश में) सभी संबंधित पक्षकारों से तीस्ता जल बंटवारा मुद्दे पर चर्चा की है। चर्चा में हम इसी नतीजे पर पहुंचे कि तीस्ता संधि के संबंध में हमें प्रक्रिया और संवाद को फिर से शुरू करने की आवश्यकता है। हमें गंगा संधि पर भी काम करना है जिसकी मियाद दो साल में पूरी होने वाली है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष सहमत हैं और तीस्ता जल-बंटवारा संधि का मसौदा तैयार है। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के विरोध के कारण समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो पाया। तथ्य यही है कि हम समझौते को अंतिम रूप नहीं दे पाए। इसलिए हम समझौते के मसौदे के साथ उस बिंदु से शुरुआत करेंगे और भारत से आगे आकर वार्ता प्रक्रिया को पुनः आरंभ करने का आग्रह करेंगे।’’

भारत और बांग्लादेश तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की 2011 में ढाका यात्रा के दौरान तीस्ता जल बंटवारा संधि पर हस्ताक्षर करने वाले थे लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने राज्य में पानी की कमी का हवाला देते हुए इस पर सहमति देने से इनकार कर दिया।

सैयदा ने कहा, ‘‘हम सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने का प्रयास करेंगे। चूंकि यह एक अंतरराष्ट्रीय जल मुद्दा है, इसलिए यह अन्य देशों के कानूनी अधिकार के विचार से भी संबंधित है। अत: कितना पानी उपलब्ध है और क्या यह पर्याप्त है, यह हमारे लिए स्पष्ट नहीं है। यहां तक ​​कि अगर बहुत कम पानी उपलब्ध है, तो अंतरराष्ट्रीय साझाकरण मानदंडों के कारण बांग्लादेश को नदी से जल का प्रवाह जारी रहना चाहिए।’’

हसन ने उल्लेख किया कि अगर ऊपरी तटवर्ती और निचले तटवर्ती दोनों देश कुछ अंतरराष्ट्रीय कानूनी सिद्धांतों का पालन करें तो अंतरराष्ट्रीय जल बंटवारे के मुद्दे को बेहतर ढंग से निपटाया जा सकता है।

बांग्लादेश की प्रसिद्ध पर्यावरणविद् ने कहा, ‘‘बांग्लादेश जल बंटवारे के संबंध में अंतरराष्ट्रीय वैधानिक सिद्धांतों और दस्तावेजों का समर्थन करने पर विचार कर सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसमें शामिल होने के संदर्भ में मेरा यही मतलब है।’’

बांग्लादेश के जल, वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग की 56 वर्षीय सलाहकार ने कहा कि अंतरिम सरकार ने अब तक भारत के साथ जल बंटवारा मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने के बारे में चर्चा नहीं की है।

जब उनसे भारत के साथ तीस्ता समझौते को अंतिम रूप देने में अवामी लीग सरकार की विफलता के बारे में पूछा गया, तो हसन ने कहा, ‘बांग्लादेश के राजनीतिक नेतृत्व के कारण यह इतने सालों तक सफल नहीं हो सका।’

उन्होंने कहा ‘अब जब बांग्लादेश का राजनीतिक नेतृत्व बदल गया है, और कुछ लोग बदल गए हैं, तो तर्क भी बदल सकते हैं। इसलिए, हम पहले इसे द्विपक्षीय रूप से हल करने का प्रयास करेंगे, और फिर हम इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने पर विचार करेंगे।’

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)