ढाका, 12 दिसंबर (भाषा) चिन्मय कृष्ण दास के वकील ने बृहस्पतिवार को बांग्लादेश की एक अदालत में एक नयी याचिका दायर कर राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार हिंदू संत की जमानत याचिका पर सुनवाई में तेजी लाए जाने का अनुरोध किया।
इससे एक दिन पहले अदालत ने वकील की इसी तरह की याचिकाओं को खारिज कर दिया था और कहा था कि उनके पास हिंदू संत की ओर से वकालतनाम (पावर ऑफ अटॉर्नी) नहीं है।
समाचार पोर्टल ‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ की खबर के अनुसार, वकील रवींद्र घोष ने एक बार फिर जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए चटगांव मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश सैफुल इस्लाम के समक्ष याचिका दायर की।
पोर्टल ने वकील के हवाले से कहा, ‘‘मैं कल भी आया था। दुर्भाग्य से, कल सुनवाई नहीं हो पाई। आज (न्यायाधीश ने याचिका) स्वीकार कर ली। वह मेरी बात सुनेंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि दास के वकील अदालत क्यों नहीं आ रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे बात की है। उनके खिलाफ जो मामले दर्ज किए गए हैं…वे डर के कारण नहीं आ रहे हैं।’’
इस बीच, चटगांव जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नाजिम ने कहा कि घोष इस मामले में ‘‘कानूनी ढंग से’’ आगे बढ़ेंगे।
अदालत ने कहा, ‘‘आज उन्होंने (घोष) एक याचिका दायर की। उनका वकालतनामा ‘सुप्रीम कोर्ट बार’ की ओर से जारी था। अगर कोई वकील मुझे इस बार वकालतनामा देता है, तो मैं सुनवाई करूंगा। अभी यही स्थिति है।’’
वकील द्वारा दायर तीन याचिकाओं को बुधवार को इसी अदालत में खारिज कर दिया गया था।
खबर में कहा गया कि एक याचिका में उस मामले में दास का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति मांगी गई, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया है। दूसरी याचिका में 26 नवंबर को दर्ज मामले के रिकॉर्ड तक पहुंच मुहैया कराने का अनुरोध किया गया और तीसरी याचिका में जमानत की सुनवाई में तेजी लाने का अनुरोध किया गया।
घोष ने अपनी याचिका में कहा कि दास को ‘‘झूठे और फर्जी मामले’’ में गिरफ्तार किया गया है, जो मधुमेह, दमा और अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं।
मामले में सुनवाई तीन दिसंबर को होनी थी, लेकिन अदालत ने अभियोजन पक्ष के सुझाव पर तारीख दो जनवरी 2025 तक टाल दी क्योंकि उनकी (संत) ओर से कोई वकील पेश नहीं हुआ।
अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के पूर्व नेता दास को 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। अगले दिन चटगांव की एक अदालत ने उन्हें जेल भेज दिया। अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी क्योंकि उन पर देश के झंडे का कथित रूप से अपमान करने के लिए राजद्रोह का आरोप लगाया गया है।
भाषा
सिम्मी नेत्रपाल
नेत्रपाल
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