भारत में लगभग हर किसी पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ रहा : डॉ. स्वामीनाथन |

भारत में लगभग हर किसी पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ रहा : डॉ. स्वामीनाथन

भारत में लगभग हर किसी पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ रहा : डॉ. स्वामीनाथन

:   Modified Date:  November 15, 2024 / 11:56 AM IST, Published Date : November 15, 2024/11:56 am IST

(उज्मी अतहर)

बाकू, 15 नवंबर (भाषा) विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि भारत में लगभग हर व्यक्ति पर अब जलवायु परिवर्तन का असर पड़ा रहा है और देश में स्वास्थ्य, लैंगिक एवं आर्थिक स्थिरता पर इसके प्रभावों से निपटने के लिए अंतर-मंत्रालयी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की तत्काल आवश्यकता है।

स्वामीनाथन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन संबंधी स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा महिलाओं और बच्चों पर अधिक है।

स्वामीनाथन ने अजरबैजान की राजधानी में वैश्विक जलवायु वार्ता सीओपी29 के इतर ‘पीटीआई’ को दिए एक साक्षात्कार के दौरान एक ठोस दृष्टिकोण अपनाए जाने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘भारत में व्यावहारिक रूप से हर किसी पर अब जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण पड़ रहे असर में अत्यधिक गर्मी से लेकर ‘वेक्टर’ जनित बीमारियां शामिल हैं। इससे निपटने के लिए निकट सहयोग की आवश्यकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन का महिलाओं और बच्चों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।’’

उन्होंने बताया कि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन पर निरंतर निर्भरता के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरों का सामना करना पड़ता है।

स्वामीनाथन ने इस बात पर जोर दिया कि ‘‘सभी के लिए स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच प्राथमिकता है।’’

उन्होंने तर्क दिया कि इससे न केवल ‘इनडोर’ (घरों एवं इमारतों के भीतर) वायु प्रदूषण से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम कम होंगे, बल्कि भारत का कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा जो सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में जलवायु से संबंधित स्वास्थ्य जोखिम विविध हैं, जिनमें वायु प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों जैसे तात्कालिक प्रभाव से लेकर बाधित कृषि चक्रों से उत्पन्न कुपोषण जैसी दीर्घकालिक समस्याएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी पर इन जोखिमों का खतरा है और ग्रामीण किसानों से लेकर शहरी प्रवासियों तक ‘‘अब हर कोई असुरक्षित है।’’

स्वामीनाथन ने स्वास्थ्य को केंद्रीय विषय मानते हुए हरित सार्वजनिक परिवहन के लाभों पर जोर दिया और उसे सभी के लिए लाभकारी समाधान करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘कार्बन-तटस्थ सार्वजनिक परिवहन से न केवल वायु प्रदूषण कम होगा, बल्कि लोगों की शारीरिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी और इससे स्वास्थ्य में सुधार होगा।’’

स्वामीनाथन ने कहा कि प्रदूषण कम करने से श्वांस और हृदय संबंधी बीमारियों पर अंकुश लगने से लोगों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

स्वामीनाथन ने ऐसी नीतियों का आह्वान किया जो स्वास्थ्य और जलवायु दोनों उद्देश्यों को एकीकृत करती हों। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह दृष्टिकोण जलवायु जोखिमों से निपटने के लिए स्वयं को ढालने की व्यवस्था विकसित करते हुए विकास को गति प्रदान कर सकता है।

उन्होंने कहा कि ऐसे एकीकृत कार्यों के उदाहरणों में खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना, सुरक्षित पेयजल तक पहुंच में सुधार करना तथा ऐसे बुनियादी ढांचे में निवेश करना शामिल है जो मौसम की चरम परिस्थितियों का सामना कर सके।

डॉ. स्वामीनाथन ने लैंगिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए जलवायु नीति बनाने की वकालत करते हुए नीति निर्माताओं से आग्रह किया कि वे ‘‘न केवल महिलाओं पर बल्कि सबसे गरीब समुदायों पर भी ध्यान दें।’’

उन्होंने साथ ही कहा कि जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर की आर्थिक लागत भी अत्यधिक है।

स्वामीनाथन ने हाल के अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि केवल जलवायु-संबंधी वायु प्रदूषण से वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रति वर्ष कई हजार अरब डॉलर का नुकसान होता है, जिससे उत्पादकता, कृषि और यहां तक ​​कि पर्यटन भी प्रभावित होता है।

उन्होंने वायु प्रदूषण को सीमाओं से परे की समस्या बताते हुए कहा कि प्रदूषण सीमाओं को नहीं पहचानता और इसीलिए इससे निपटने के लिए भारत एवं विश्व के अन्य देशों का मिलकर काम करना आवश्यक है।

भाषा

सिम्मी मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)