बीजिंग/ढाका, 28 मार्च (भाषा) चीन और बांग्लादेश ने शुक्रवार को राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ मोहम्मद यूनुस की बैठक के बाद नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इस बैठक में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार ने छात्रों के विरोध प्रदर्शनों पर प्रकाश डाला, जिसके कारण ढाका में सत्ता परिवर्तन हुआ। उन्होंने बीजिंग से शांति व स्थिरता स्थापित करने में ‘बड़ी भूमिका’ निभाने का आग्रह किया।
बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ ने बताया कि शी के साथ यूनुस की वार्ता के बाद दोनों देशों ने दोनों सरकारों के बीच आर्थिक व तकनीकी सहयोग बढ़ाने तथा विकास, शास्त्रीय साहित्यिक कार्यों के अनुवाद व प्रकाशन, सांस्कृतिक विरासत को लेकर आदान-प्रदान और सहयोग, समाचार विनिमय व मीडिया तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के संबंध में नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
बांग्लादेश संवाद संस्था (बीएसएस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय हितों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की और यूनुस ने चीन से दोनों देशों के लिए शांति, समृद्धि व स्थिरता स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाने का आग्रह किया।
यूनुस की चीन यात्रा पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि अगले सप्ताह उन्हें बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेना है, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की इच्छा जताई है। भारत ने अभी तक इस मुलाकात की पुष्टि नहीं की है।
बांग्लादेश में पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त में छात्रों के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के कारण शेख हसीना सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा था, इस पर प्रकाश डालते हुए यूनुस ने शी से कहा कि इस आंदोलन ने ‘नए बांग्लादेश’ के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।
पिछले वर्ष अपने पद से हटने से कुछ सप्ताह पहले हसीना ने भी बीजिंग की एक उच्चस्तरीय यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने शी के साथ वार्ता की थी।
यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पांच अगस्त को हसीना के भारत चले जाने के कुछ दिन बाद कार्यभार संभाला था।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की खबर के अनुसार, शी ने दोनों देशों के बीच ‘‘मैत्रीपूर्ण संबंध’’ के दीर्घकालिक इतिहास के बारे में बात की और कहा कि चीन ने बांग्लादेश के साथ संबंधों में उच्च स्तर की स्थिरता व निरंतरता बनाए रखी है तथा बीजिंग, ढाका का एक भरोसेमंद पड़ोसी, मित्र और साझेदार बना हुआ है।
इससे पहले चिनफिंग ने विनिर्माण उद्यमों को बांग्लादेश में स्थानांतरण के माध्यम से आर्थिक संबंधों का विस्तार करने तथा अपने उत्पादों को शुल्क मुक्त पहुंच की अनुमति देते हुए वहां (बांग्लादेश) की अंतरिम सरकार को चीन के समर्थन का आश्वासन दिया।
यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने शुक्रवार को बीजिंग के ‘ग्रेट हॉल’ में शी और यूनुस के बीच द्विपक्षीय बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए ये टिप्पणियां कीं।
बैठक के दौरान शी ने कहा कि चीन बांग्लादेश द्वारा उठाए गए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सकारात्मक रूप से विचार करेगा।
चीन की चार दिवसीय यात्रा पर आए यूनुस ने बुधवार को हैनान पहुंचने के बाद देश के ‘बोआओ फोरम फॉर एशिया’ वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लिया। वह बृहस्पतिवार को बीजिंग पहुंचे और चीन के उप विदेश मंत्री सुन वेइदोंग ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया।
आलम ने बताया कि शी ने आश्वासन दिया है कि उनका देश चीनी निवेश और चीनी विनिर्माण उद्यमों को बांग्लादेश में स्थानांतरित करने को प्रोत्साहित करेगा।
आलम ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह एक बहुत सफल द्विपक्षीय बैठक थी।’’
उन्होंने बताया कि दोनों की बैठक व्यापक, सार्थक और रचनात्मक थी।
आलम ने कहा कि राष्ट्रपति शी ने मुख्य सलाहकार और उनकी अंतरिम सरकार के प्रति चीन के समर्थन को दोहराया।
प्रेस सचिव ने कहा कि यूनुस का यह पहला द्विपक्षीय विदेश दौरा था।
आलम ने बताया कि राष्ट्रपति शी ने बांग्लादेश की अपनी दो यात्राओं के बारे में बताया और कहा कि जब वह फ़ुज़ियान प्रांत के गवर्नर थे, तब उन्होंने ‘सूक्ष्म ऋण सुविधा’ का अध्ययन किया था।
यह बैठक पीपुल्स ग्रेट हॉल में आयोजित की गई, जहां उन्होंने विभिन्न रणनीतिक द्विपक्षीय मुद्दों, व्यापार और निवेश वृद्धि, कृषि, बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों के लिए समर्थन, रोहिंग्या मुद्दे के समाधान के साथ-साथ दोनों देशों के बीच आपसी हित के समग्र मुद्दों पर चर्चा की।
बृहस्पतिवार को यूनुस ने चीन से चीनी ऋणों पर ब्याज दर कम करने और चीनी वित्तपोषित परियोजनाओं पर प्रतिबद्धता शुल्क माफ करने की चीन से अपील की थी।
बांग्लादेश की विभिन्न मीडिया की खबरों के अनुसार, ‘बोआओ फोरम फॉर एशिया’ वार्षिक सम्मेलन के इतर यूनुस ने चीन के कार्यकारी उप प्रधानमंत्री डिंग शुएशियांग के साथ भेंटवार्ता में विकास परियोजनाओं के लिए चीनी समर्थन मांगा।
उन्होंने बांग्लादेश को दिए जाने वाले चीनी ऋणों की ब्याज दरों को तीन प्रतिशत से घटाकर एक-दो प्रतिशत करने तथा बांग्लादेश में चीन द्वारा वित्तपोषित परियोजनाओं पर प्रतिबद्धता शुल्क में छूट की भी मांग की।
बांग्लादेश के समाचार पत्र ‘डेली स्टार’ की खबर के अनुसार जापान, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के बाद चीन बांग्लादेश का चौथा सबसे बड़ा ऋणदाता है, जिसने उसे 1975 से अब तक कुल 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया है।
डिंग के साथ अपनी बैठक में यूनुस ने वस्त्र, इलेक्ट्रिक वाहन, हल्की मशीनरी, उच्च तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक, चिप विनिर्माण और सौर पैनल उद्योग समेत चीनी विनिर्माण उद्योगों के उनके देश में स्थानांतरण के लिए बीजिंग से मदद मांगी।
यूनुस ने रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक से भी मुलाकात की। ओवरचुक ने बांग्लादेश को अधिक गेहूं और उर्वरक निर्यात करने में रुचि व्यक्त की।
उन्होंने कहा, ‘‘रूस बांग्लादेश को अधिक गेहूं और उर्वरक निर्यात करना चाहेगा।’’
बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने रूस द्वारा वित्तपोषित रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के संचालन पर चर्चा की।
यूनुस ने संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून से भी मुलाकात की और बांग्लादेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था सुचारु रूप से बहाल करने में उनका समर्थन और सलाह मांगी। मून ‘बोआओ फोरम’ के अध्यक्ष हैं।
‘डेली स्टार’ ने यूनुस के हवाले से खबर में कहा, ‘‘हम नए सिरे से शुरुआत करना चाहते हैं। हमें आपके समर्थन और सलाह की जरूरत है। अब हमारे पास एक बेहतरीन अवसर है।’’
बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी ‘बीएसएस’ के अनुसार, यूनुस ने चीनी उप-प्रधानमंत्री के सामने ‘वन चाइना नीति’ के प्रति बांग्लादेश के दृढ़ समर्थन और प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। यूनुस ने कहा कि ढाका को इस बात पर गर्व है कि वह चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल में शामिल होने वाला पहला दक्षिण एशियाई देश है।
भाषा
जोहेब संतोष
संतोष
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