हसीना सरकार के पतन के बाद हिंदू-मुस्लिम दोनों ने मिलकर ढाकेश्वरी मंदिर की रक्षा कीः पुजारी |

हसीना सरकार के पतन के बाद हिंदू-मुस्लिम दोनों ने मिलकर ढाकेश्वरी मंदिर की रक्षा कीः पुजारी

हसीना सरकार के पतन के बाद हिंदू-मुस्लिम दोनों ने मिलकर ढाकेश्वरी मंदिर की रक्षा कीः पुजारी

:   Modified Date:  August 24, 2024 / 05:37 PM IST, Published Date : August 24, 2024/5:37 pm IST

(तस्वीरों के साथ)

(कुणाल दत्त)

ढाका, 24 अगस्त (भाषा) बांग्लादेश की राजधानी ढाका में स्थित प्राचीन ढाकेश्वरी मंदिर की अधिष्ठात्री देवी को ”सभी मानवों की माता” बताते हुए पवित्र तीर्थस्थल के एक पुजारी ने कहा कि देश में शेख हसीना सरकार के पतन के तुरंत बाद हिंदू, मुस्लिम और अन्य स्थानीय समुदाय के अनेक लोग शक्तिपीठ की रक्षा के लिए साथ आए।

ढाका में स्थित सदियों पुराने इस मंदिर के आसपास कई मस्जिदें हैं। अकसर यहां मंदिर में बजने वाली घंटियां और पास की मस्जिद में होने वाली ‘अजान’ को साथ सुना जा सकता है।

प्रमुख शक्तिपीठों में से एक श्री श्री ढाकेश्वरी राष्ट्रीय मंदिर का शुक्रवार को संवाददाता ने दौरा किया और यहां पुजारियों व तीर्थस्थल आए हिंदू समुदाय के श्रद्धालुओं से बातचीत की।

इस दौरान एक युवा विवाहित जोड़ा अपनी दो माह की बेटी के लिए आशीर्वाद लेने पहुंचा हुआ था, जबकि एक महिला मंदिर प्रांगण के एक कोने में गर्भगृह के सामने मोमबत्तियां जला प्रार्थना कर रही थी।

मुख्य पुजारियों में से एक अशिम मैत्रो (53) ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘कई धर्मों के लोग यहां प्रार्थना करने आते हैं और मां (देवी) सभी मानवों की माता हैं चाहे वे हिंदू, मुस्लिम, ईसाई या बौद्ध हों। वे यहां कृपा, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति की लिए आते हैं।’

करीब 15 वर्षों से मंदिर में सेवा कर रहे मैत्रो मां ढाकेश्वरी को धार्मिक एवं सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक मानते हैं।

पुजारी के परिवार के कई सदस्य पश्चिम बंगाल में भी रहते हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर में सायंकाल आरती सात बजे होती है जबकि पास की मस्जिदों में इससे 30 मिनट पहले मगरिब की नमाज होती है।

मैत्रो ने कहा कि पांच अगस्त को जब सरकार विरोधी प्रदर्शन अपने चरम पर पहुंच गया था और शेख हसीना को भारत भागना पड़ा था, तब वह मंदिर परिसर में ही थे।

पुजारी ने बताया, ‘मुझे अपने लिए डर नहीं लग रहा था, बल्कि मैं प्राचीन मंदिर और यहां स्थित देवी-देवताओं की मूर्तियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित था। मंदिर समिति के सदस्य भी यहां मौजूद थे और हमने मुख्य द्वार समेत अन्य द्वार बंद कर दिए।’

उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री हसीना देश छोड़कर गईं तो यहां कोई आगंतुक नहीं था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उस समय यहां कोई पुलिसकर्मी भी नहीं था क्योंकि राजनीतिक अराजकता के बीच सब कुछ अव्यवस्थित था।

पुजारी ने कहा, ‘स्थानीय समुदायों के सदस्यों ने मदद की। मुस्लिम, हिंदू और अन्य लोग मंदिर के बाहर पहरा देने के लिए पहुंच गए और इसलिए मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।’ उन्होंने संतोष जाहिर करते हुए कहा, ‘उस दिन से लेकर आज तक यहां कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है।’

मैत्रो ने कहा कि पांच अगस्त को बिना किसी बाधा के उन्होंने नियमित पूजा की और तब से हर दिन रस्मों के समयनुसार भोग भी अर्पित किया गया है।

तीर्थस्थल आगंतुकों के लिए सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक और शाम चार बजे से रात्रि नौ बजे तक खुलता है।

हाल ही में शक्तिपीठ के मुख्य द्वार पर और मुख्य मंदिर के पास प्रांगण में एक-एक बैनर लगाया गया है, जिस पर बांग्ला में संदेश लिखा है, ”हाल ही में छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना” और ”घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना”।

बांग्लादेश की आजादी के वर्ष 1971 में जन्मे मैत्रो ने कहा कि अब यहां सब कुछ सामान्य प्रतीत होता है प्रतिदिन लगभग 1,000 लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

भारत सरकार के लिए अपने संदेश को लेकर पुजारी ने कहा, ‘हम बांग्लादेश में सुरक्षित हैं।’ साथ ही भारत के हिंदू समुदाय के लिए कहा ‘हम भाई हैं’ और शांति कायम होनी चाहिए।

पत्नी के साथ अपनी दो माह की बेटी के लिए शुक्रवार को मंदिर में आशीर्वाद लेने पहुंचे सजीब कार ने कहा कि अब यह सब सामान्य महसूस होता है।

मैत्रो ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर सोमवार को यहां उत्सव का आयोजन होगा और अंतरिम सरकार के धार्मिक मामलों के सलाहकार व विधि मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल के अलावा सूचना सलाहकार नाहिद इस्लाम के भी उस दिन मंदिर पहुंचने की उम्मीद है।

भाषा योगेश पवनेश

पवनेश

 

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