गर्भपात अधिकार का मुद्दा भारतीय अमेरिकी महिलाओं की चुनावी पसंद और नापसंद को प्रभावित कर रहा |

गर्भपात अधिकार का मुद्दा भारतीय अमेरिकी महिलाओं की चुनावी पसंद और नापसंद को प्रभावित कर रहा

गर्भपात अधिकार का मुद्दा भारतीय अमेरिकी महिलाओं की चुनावी पसंद और नापसंद को प्रभावित कर रहा

:   Modified Date:  November 5, 2024 / 03:34 PM IST, Published Date : November 5, 2024/3:34 pm IST

(शुजा उल हक)

न्यू जर्सी (अमेरिका), पांच नवंबर (भाषा) अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में गर्भपात अधिकार का मुद्दा एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभर रहा है, जो भारतीय अमेरिकी महिलाओं की चुनावी पसंद और नापसंद को प्रभावित कर रहा है।

भारतीय अमेरिकी समुदाय की महिलाएं अमेरिका में दूसरे सबसे बड़े आप्रवासी समुदाय का हिस्सा हैं, जिनका प्रजनन अधिकारों की वकालत करने वाले उम्मीदवारों का समर्थन करने की ओर मजबूत झुकाव दिख रहा है।

न्यू जर्सी क्षेत्र में रहने वाली भारतीय अमेरिकी वृत्तचित्र फिल्म निर्माता मीता दमानी महिलाओं और बच्चों पर विशेष ध्यान देते हुए समुदाय में काम कर रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भारतीय अमेरिकी समुदाय में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यह एक दूसरे से जुड़ा हुआ है जैसे कि अगर किसी महिला का बच्चा अस्वस्थ पैदा होने वाला है, तो इसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है। आखिरकार, यह स्वतंत्रता और किसी की पसंद के बारे में है। मुझे लगता है कि महिला मतदाता अपनी आवाज बहुत स्पष्ट रूप से उठाएंगी।’’

भारतीय अमेरिकी महिलाओं के बीच इस विषय पर विचारों की स्पष्टता को देखते हुए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि 2024 के चुनाव में गर्भपात और प्रजनन अधिकार शीर्ष-स्तरीय नीतिगत मुद्दे बन गए हैं।

‘मार्केटिंग प्रोफेशनल’ प्रिया न्यू जर्सी क्षेत्र में भारतीय अमेरिकी समुदाय की मुखर सदस्य हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘किसने सोचा होगा कि अमेरिका जैसे अग्रणी देश में आने के बाद गर्भपात के अधिकार भी महिलाओं के लिए एक मुद्दा बन जाएंगे। अगर यह मेरा शरीर है, तो यह मेरी पसंद होनी चाहिए। यह बहुत आसान है। महिला मतदाताओं के रूप में अगर आपको किसी ऐसी पार्टी का समर्थन करने का अवसर मिलता है जो आपके अधिकारों को बरकरार रखना चाहती है तो आप निश्चित रूप से ऐसा करेंगी।’’

अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने 2022 में 1973 के ऐतिहासिक रो बनाम वेड निर्णय को पलट दिया था। इस फैसले में गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को समाप्त कर दिया गया था, जिससे राज्यों को गर्भपात तक पहुंच पर प्रतिबंध लगाने या उसे सीमित करने की अनुमति मिल गई। इसके बाद विभिन्न राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून बनाए गए।

आईटी प्रोफेशनल सुप्रीत कहती हैं कि महिलाओं पर इसका कई तरह से असर पड़ा है। उनका यह भी मानना ​​है कि अमेरिका में कई नियोक्ताओं को महिला कर्मचारियों की चुनौतियों को कम करने के तरीके खोजने पड़े।

‘इंडियन अमेरिकन एटीट्यूड सर्वे’ (आईएएएस) ने 18 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच भारतीय अमेरिकी नागरिकों का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व के संबंध में ऑनलाइन सर्वेक्षण किया।

सर्वेक्षण के अनुसार, 67 प्रतिशत भारतीय अमेरिकी महिलाएं कमला हैरिस को वोट देने की योजना बना रही हैं, जबकि 53 प्रतिशत पुरुष कहते हैं कि वे हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं। हालांकि पुरुषों की यह संख्या काफी कम है।

उम्र के हिसाब से देखें तो यह लैंगिक अंतर युवा मतदाताओं के बीच सबसे ज्यादा है। 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं और 60 प्रतिशत पुरुष हैरिस को वोट देने की योजना बना रहे हैं।

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)