नीदरलैंड। एम्सटर्डम में एक सर्वे में पता चला है कि 55 साल से ज्यादा उम्र के 10156 लोग गंभीर बीमारियों से बचने के लिए सरकार से इच्छा मृत्यु की मांगी है। ऐसे लोगों की तादाद 0.18% 55 साल से अधिक उम्र के है। यह लोग अपनी जिंदगी को खुद खत्म करने के आसान उपायों पर विचार कर रहे हैं। ये गंभीर बीमारियों का शिकार नहीं होना चाहते। इसलिए इच्छा मृत्यु मांगी है।
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इस संकेत को देश, सरकार और समाज के लिए ठीक नहीं बताया गया है। किन्हीं परिस्थितिवश निराश हो चुके ऐसे लोगों की मदद कर उन्हें जीवन जीने के लिए प्रेरित करने पर विचार किया जा रहा है। बुद्धजीवियों के मुताबिक इसके अलावा, सरकार को 75 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए इच्छामृत्यु दिए जाने पर विचार करना चाहिए।
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डी 66 पार्टी और विपक्ष की सांसद पिया डिज्क्स्ट्रा ने घोषणा की कि वह 75 साल से अधिक उम्र के लोगों के इच्छामृत्यु के आवेदन करने संबंधी एक विधेयक को पेश करेगी। इससे लोग अपने जीवन का अंत एक गरिमामय तरीके से कर सकेंगे। 2001 में बड़ी संख्या में इच्छा मृत्यु चाहने वालों की बढ़ती तादात के कारण नीदरलैंड सरकार ने इस पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था। ऐसा करने वाला वह पहला देश था।
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एक अन्य सांसद कार्ला डिक-फेबर ने कहा, इच्छा मृत्यु के लिए रिसर्च करना लोगों की मौत की सबसे खौफनाक प्रतिक्रिया होगी। सांसद ने कहा, पड़ोसी देश बेल्जियम में तीन डॉक्टर्स ने मानसिक रूप से परेशान लोगों के लिए गैर कानूनी तरीके से इच्छा मृत्यु दी है।
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उन्होंने 2 डॉक्टरों द्वारा 2010 के एक मामले का भी जिक्र किया, जिसमें मरीज को लेथल इंजेक्शन देकर मारा गया था। हालांकि, बेल्जियम में 2002 के बाद इच्छा मृत्यु देने का कानून है।
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