लखनऊ: Hasnuram Ambedkari उत्तर प्रदेश सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गलियारों में सरगर्मी चरम पर है। राजनीतिक दलों के नेता डोर टू डोर कैंपन कर रहे हैं तो दूसरी ओर नेताओं के दल बदल का सिलसिला भी लगातार जारी है। लेकिन चुनावी मैदान में इन दिनों उत्तर प्रदेश के हसनूराम अंबेडकरी का नाम सुर्खियों में है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि हसनूराम अंबेडकरी के नाम की चर्चा क्यों हो रही है?
Hasnuram Ambedkari हसनूराम अंबेडकरी वही शख्स हैं जो चुनाव हारने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। वे 94 बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन जीते एक बार भी नहीं हैं। बताया जा रहा है कि इस बार भी उन्होंने उत्तर प्रदेश की दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। हसनूराम इस समय नर्वस नाइंटीज पर बैटिंग कर रहे हैं और अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह जल्द ही चुनाव हारने का शतक बना सकते हैं।
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बता दें कि हसनूराम अंबेडकरी आगरा के खेरागढ़ कस्बे के नगला दूल्हा गांव के रहने वाली हैं। उन्होंने अब तक 94 बार चुनाव लड़ा है. साल 1985 से 2022 तक इन्होंने हर छोटे-बड़े चुनाव में हिस्सा लिया है। हालांकि आज तक इन्हें किसी पार्टी ने टिकट नहीं दिया और यह हर बार निर्दलीय ही चुनाव लड़ते आ रहे हैं। शुक्रवार से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई है। इसी दिन 75 साल के हसनूराम आगरा कलेक्ट्रेट में नामांकन फॉर्म लेने पहुंचे थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 1985 में हसनूराम एक पार्टी से टिकट मांगने पहुंचे थे, जहां पर उनका उपहास करके यह बात कही गई थी कि उन्हें एक भी वोट नहीं मिलेगा। यह बात उनके मन को घर कर गई। इसके बाद हसनूराम ने चुनाव लड़ने को अपना जुनून बना लिया। इस बार के विधानसभा चुनाव में हसनूराम ने दो सीटों से पर्चा भरा है, उनकी चाहत है कि वह अपने जीवन में 100 चुनाव लड़ें। बता दें कि बरेली के काका जोगिंदर सिंह ने भारतीय चुनाव के इतिहास में छोटे-बड़े 300 चुनाव लड़े थे। वह सभी में हारने के लिए ही मैदान में उतरते थे। उन्होंने वार्ड पार्षद से लेकर देश के राष्ट्रपति तक का चुनाव लड़ा था। उनको ‘धरती पकड़’ की उपाधि मिली हुई थी।
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