योगी ने कहा: बुलडोजर चलाने के लिये चाहिये दिल और दिमाग, अखिलेश ने किया पलटवार |

योगी ने कहा: बुलडोजर चलाने के लिये चाहिये दिल और दिमाग, अखिलेश ने किया पलटवार

योगी ने कहा: बुलडोजर चलाने के लिये चाहिये दिल और दिमाग, अखिलेश ने किया पलटवार

:   Modified Date:  September 4, 2024 / 10:12 PM IST, Published Date : September 4, 2024/10:12 pm IST

लखनऊ, चार सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपनी सरकार की “बुलडोजर कार्रवाई” को बहादुरी भरा बताया, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने उन्हें चुनौती दी कि अगर उन्हें अपने दृष्टिकोण पर इतना ही भरोसा है तो वे “बुलडोजर” चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ें।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि वह इस “मुद्दे” पर दिशानिर्देश निर्धारित करेगा जो पूरे देश में लागू होंगे।

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था, “किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है। भले ही वह दोषी हो, लेकिन कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता।”

यही वह टिप्पणी थी जिससे आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच तीखी नोकझोंक पैदा हो गयी।

आदित्यनाथ ने यहां एक कार्यक्रम में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव की ‘भेड़िये’ से तुलना की।

उन्होंने कहा, ‘‘पहले नौजवानों को नियुक्ति पत्र क्यों नहीं मिलता था। दरअसल नीयत साफ नहीं थी। चाचा और भतीजे के बीच वसूली को लेकर होड़ लगती थी। एरिया (क्षेत्र) बंटे हुए थे। मैं देख रहा हूं कि इस समय कुछ आदमखोर भेड़िये अलग-अलग जनपदों में उत्पात मचा रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति 2017 से पहले प्रदेश की थी। ये लोग उस समय कितनी तबाही मचाये हुए थे। इनके भी वसूली के एरिया (क्षेत्र) बंटे हुए थे। वहां महाभारत के सारे रिश्ते थे। महाभारत का दूसरा दृश्य वहां देखने को मिलता था।”

योगी आदित्यनाथ ने राज्य में सपा सरकार बनने पर बुलडोजर का रुख गोरखपुर की तरफ मोड़ने का बयान देने पर अखिलेश यादव पर तंज करते हुए बुधवार को कहा कि बुलडोजर चलाने के लिये ‘दिल और दिमाग’ की जरूरत होती है।

अखिलेश यादव ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि बुलडोजर में दिमाग नहीं बल्कि ‘स्टीयरिंग’ होता है और उत्तर प्रदेश की जनता कब किसका ‘स्टीयरिंग’ बदल दे, कुछ पता नहीं।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर आदित्यनाथ और उनका बुलडोज़र इतना ही सफल है तो अलग पार्टी बनाकर ‘बुलडोजर’ चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ें जिससे उनका ‘भ्रम और घमंड’ दोनों ही टूट जाएंगे।

मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा भर्ती प्रक्रिया के तहत नियुक्त 1334 अवर अभियंताओं, संगणकों तथा फोरमैन कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र वितरित करने के बाद अपने सम्बोधन में अखिलेश यादव को उनके बयान के लिये आड़े हाथ लिया।

आदित्यनाथ ने कहा, ”बुलडोजर पर हर व्यक्ति के हाथ नहीं फिट हो सकते। इसके लिये दिल और दिमाग दोनों चाहिये। बुलडोजर जैसी क्षमता और दृढ़ प्रतिज्ञा जिसमें हो, वो ही बुलडोजर चला सकता है। दंगाइयों के सामने नाक रगड़ने वाले लोग बुलडोजर के सामने वैसे ही पस्त हो जाएंगे।”

मुख्यमंत्री ने अखिलेश यादव के उपनाम ‘टीपू’ का जिक्र करके तंज करते हुए कहा, ”2017 से पहले जो लोग प्रदेश में लूट-खसोट मचाये थे, आज जब उनके सपनों पर पानी फिर चुका है तो अब टीपू भी चले सुलतान बनने। वह सपना देख रहे हैं। आपने देखा होगा कि आज से आठ-10 वर्ष पहले एक धारावाहिक आया था मुंगेरीलाल के हसीन सपने… वैसे भी इन लोगों की सपने देखने की आदत रही है, क्योंकि जब जनता ने उन्हें अवसर दिया था तब इन्होंने युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने में कोई गुरेज नहीं किया था।”

अखिलेश यादव ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा, ”जहां तक दिल और दिमाग की बात है तो बुलडोजर में दिमाग नहीं होता…स्टीयरिंग होता है। बुलडोजर तो स्टीयरिंग से चलता है। उत्तर प्रदेश की जनता कब किसका स्टीयरिंग बदल दे या दिल्ली वाले (भाजपा का शीर्ष नेतृत्व) कब किसका स्टीयरिंग बदल दे, कुछ पता नहीं।”

यादव ने ‘एक्स’ पर भी एक संदेश में कहा, ”अगर आप और आपका बुलडोज़र इतना ही सफल है तो अलग पार्टी बनाकर बुलडोज़र चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़िए। आपका भ्रम भी टूट जाएगा और घमंड भी। वैसे भी आपके जो हालात हैं, उसमें आप भाजपा में होते हुए भी ‘नहीं’ के बराबर ही हैं, अलग पार्टी तो आपको आज नहीं तो कल बनानी ही पड़ेगी।”

अखिलेश यादव ने मंगलवार को यहां पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में कहा था कि साल 2027 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का सफाया होगा और राज्य में सपा सरकार बनते ही पूरे प्रदेश के बुलडोजरों का रूख गोरखपुर (मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि) की तरफ होगा।

उन्होंने आज बुलडोजर को लेकर उच्चतम न्यायालय के रुख का जिक्र करते हुए कहा, ”आपको जानबूझकर जिनसे बदला लेना था, नीचा दिखाना था वहां अपनी सरकार की ताकत पर आपने जानबूझकर बुलडोजर चलाया। इसका परिणाम यह हुआ कि उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक यह कह सकता है कि बुलडोजर संवैधानिक नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अब बुलडोजर नहीं चल सकता तो क्या अभी तक जो बुलडोजर चल रहा था उसके लिए सरकार माफी मांगेगी?”

कई राज्यों में प्रशासन द्वारा आपराधिक मामलों में संदिग्ध लोगों के घरों को बुलडोजर से ढहाए जाने के बीच उच्चतम न्यायालय ने पिछली दो सितंबर को सवाल उठाया कि किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ढहाया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है।

मुख्यमंत्री ने प्रयागराज में सपा और कांग्रेस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, “ये जो बड़ी बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं ये वही लोग हैं जो कभी माफियाओं और दंगाइयों के आगे नाक रगड़ा करते थे। अरे बुलडोजर चलाने के लिए हिम्मत चाहिए। ये दंगाइयों और माफियाओं के सामने नाक रगड़ने वाले बुलडोजर क्या चलाएंगे।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “जाति के नाम पर लड़ाने वाले ये वही लोग हैं जो टीपू और सुल्तान बनने का ख्वाब फिर से देख रहे हैं। ये वही टीपू थे जिन्होंने माफिया के सामने नाक रगड़कर यूपी की पहचान का संकट खड़ा किया।”

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय राय ने बुधवार को कहा कि राज्य में ‘बुलडोजर संस्कृति’ न्यायसंगत नहीं है और इसे रोका जाना चाहिए।

राय की यह टिप्पणी अखिलेश यादव और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच बुलडोजर के इस्तेमाल को लेकर तीखी नोकझोंक के बीच आई है।

अखिलेश यादव द्वारा 2027 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में सपा की सरकार बनने पर बुलडोजरों का रुख मुख्यमंत्री की कर्मभूमि गोरखपुर की तरफ मोड़ दिये जाने का बयान देने के बाद उनके और योगी आदित्यनाथ के बीच जुबानी जंग तेज हो गयी है।

राय ने बुलडोजर की कार्यवाही को लेकर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी की सराहना करते हुए कानून के शासन को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ”हम उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का स्वागत करते हैं। कोई भी फैसला न्यायसंगत होना चाहिए ताकि लोगों को न्याय मिल सके। न्यायपालिका में बुलडोजर के लिए कोई जगह नहीं है।”

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का स्वागत किया।

भाषा सं सलीम जफर राजेंद्र नोमान राजकुमार

राजकुमार

 

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