लखनऊ, 11 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को ओडीओपी (एक जिला-एक उत्पाद) योजना की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह योजना उत्तर प्रदेश की विशिष्ट पहचान बन गई है और आज देश और दुनिया में धूम मचा रही है।
शनिवार को यहां जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री योगी ने खादी महोत्सव-2025 का भव्य उद्घाटन किया और इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित इस सप्ताह व्यापी महोत्सव में देश भर से आए खादी और हथकरघा उत्पादों के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जिले का एक उत्पाद (ओडीओपी) अब न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ के आह्वान को उत्तर प्रदेश ने पूरे देश में सबसे प्रभावी ढंग से लागू किया है।
उन्होंने कहा कि हर जिले के उत्पाद न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहे हैं, बल्कि हस्तशिल्प और उद्यमिता को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने विभिन्न जिलों के वस्त्रों और हस्तशिल्प उत्पादों की विशेषताओं की चर्चा करते हुए कलाकारों की प्रतिभा की भी सराहना की।
योगी ने चीन निर्मित उत्पादों के स्थान पर स्थानीय हस्तशिल्प और ओडीओपी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने की सराहना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले त्योहार हमारा होता था सामान चीन से बिकने के लिए यहां पर आता था। वे लोग शरारत भी करते थे, उत्पादों में ऐसा जहर मिलाते थे कि बच्चे छूते थे तो बीमार हो जाते थे, बहुत सारे लोगों की आंखों की रोशनी जाने का खतरा बना रहता था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय उत्पाद न केवल हमारे कलाकारों को रोजगार देते हैं, बल्कि भारत के विकास में भी योगदान करते हैं। योगी ने खादी को भारत का स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि खादी केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि भारत का स्वाभिमान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने इसे एक आंदोलन बनाया, जिसने आजादी की लड़ाई को नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाया। चरखे ने देशवासियों को न केवल रोजगार का साधन प्रदान किया, बल्कि यह राष्ट्रीय आंदोलन का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बना। आज, आधुनिक युग में यह मैनुअल, सोलर और इलेक्ट्रिक चरखों के रूप में विकसित हुआ है।
उन्होंने कहा कि खादी न केवल एक कला है, बल्कि समाज की आवश्यकता भी है। महोत्सव में माटी कला बोर्ड द्वारा प्रस्तुत उत्पादों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मिट्टी से बने बर्तनों ने थर्माकोल और प्लास्टिक का पर्यावरण अनुकूल विकल्प प्रदान किया है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि माटी कला उद्योग से जुड़े प्रजापति समुदाय को तालाबों से मुफ्त मिट्टी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे वे वर्षभर बर्तन बना सकें। माटी कला न केवल रोजगार का साधन बनी है, बल्कि दीपोत्सव जैसे आयोजनों ने इसे हर घर की परंपरा में शामिल कर दिया है।
योगी ने शहद उत्पादन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह न केवल एक लाभदायक व्यवसाय है, बल्कि तिलहनी फसलों की उत्पादकता भी बढ़ाता है।
उन्होंने इसे ‘आम के आम, गुठली के दाम’ की संज्ञा दी और कहा कि मधुमक्खियां फसल उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार करती हैं।
योगी ने कहा कि सरकार ने खादी, माटी कला और अन्य उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए तंत्र विकसित किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि जिन लाभार्थियों को सोलर या इलेक्ट्रिक चाक, चरखा आदि प्रदान किए गए हैं, वे अपनी आय का एक हिस्सा बचत के रूप में सुरक्षित रखें और अन्य लोगों को स्वावलंबन के मार्ग पर प्रेरित करें।
खादी महोत्सव को एक व्यापक मंच बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह महोत्सव कलाकारों, बुनकरों और उद्यमियों को अपनी कला प्रदर्शित करने और नयी तकनीकों को सीखने का अवसर प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि यह महोत्सव न केवल खादी और ग्रामोद्योग को प्रोत्साहित कर रहा है, बल्कि देशभर के कलाकारों और उद्यमियों को एक मंच पर ला रहा है। मुख्यमंत्री ने खादी के अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती मांग का उल्लेख करते हुए इसे भारत की सांस्कृतिक धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि खादी और हथकरघा के उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल हैं और आधुनिक फैशन में भी लोकप्रिय हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि महाकुम्भ में 240 से अधिक स्टॉल खादी और ग्रामोद्योग के द्वारा वहां पर स्थापित किए गए हैं, जिसके माध्यम से खादी का प्रचार-प्रसार होगा।
भाषा
आनन्द, रवि कांत रवि कांत
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