उप्र: 56 साल पहले हुए विमान हादसे में लापता वायुसेना के जवान का अंतिम संस्कार किया गया |

उप्र: 56 साल पहले हुए विमान हादसे में लापता वायुसेना के जवान का अंतिम संस्कार किया गया

उप्र: 56 साल पहले हुए विमान हादसे में लापता वायुसेना के जवान का अंतिम संस्कार किया गया

:   Modified Date:  October 2, 2024 / 08:33 PM IST, Published Date : October 2, 2024/8:33 pm IST

सहारनपुर (उप्र), दो अक्टूबर (भाषा) वायुसेना के जवान बुधवार को बल के सदस्य मलखान सिंह का पार्थिव शरीर लेकर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित उनके पैतृक गांव फतेहपुर पहुंचे। सिंह 56 साल पहले रोहतांग दर्रे के निकट दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान में सवार थे और घटना के बाद से लापता थे।

वायुसेना ने पहले ही उनके परिवार को इस संबंध में सूचना दे दी थी ऐसे में अंतिम संस्कार को लेकर परिवार और गांव वालों ने तैयारी कर ली थी और शाम को अंतिम संस्कार कर दिया गया।

वायु सेना के जवान इतने सालों तक बर्फ में दबे रहे उनके पार्थिव शरीर को अपराह्न करीब 2:30 बजे सिंह के गांव फतेहपुर लेकर आए। शाम करीब 6:30 बजे परिवार ने उनका अंतिम संस्कार किया।

परिवार वालों ने सरकार से उनके लिए ‘शहीद’ का दर्जा और मुआवजा देने की भी मांग की।

जैसे ही पार्थिव शरीर गांव लाया गया, बड़ी संख्या में स्थानीय लोग श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर के आसपास इकट्ठा हो गए और ‘मलखान सिंह अमर रहे’, ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने लगे।

अपर पुलिस अधीक्षक सागर जैन के अनुसार मलखान सिंह का पार्थिव शरीर बुधवार अपराह्न करीब ढाई बजे लाया गया।

उनके छोटे भाई इसम सिंह (68) ने बताया कि मलखान सिंह 20 साल की उम्र में वायुसेना में शामिल हुए थे और इसके तीन साल बाद विमान दुर्घटना में शहीद हो गए थे। घटना के समय उनके परिवार में उनकी पत्नी शीला देवी और 18 माह का बेटा राम प्रसाद थे।

इसम ने बताया कि मलखान की मौत के बाद शीला ने उनके दूसरे छोटे भाई चंद्रपाल से शादी कर ली थी। शीला और उनका बेटा भी फिलहाल दुनिया में नहीं है।

उन्होंने बताया कि अगर मलखान जीवित होते तो उनकी उम्र 79 वर्ष होती।

उन्होंने कहा, ‘‘वह (मलखान) हमेशा से ही वायुसेना में शामिल होना चाहते थे। उड़ते विमानों को देखकर वह कहते थे कि वह वायुसेना में शामिल होंगे और आखिरकार उन्होंने ऐसा ही किया।’’

इसम ने कहा, ‘‘मलखान की कहानियां सुनकर पर पला-बढ़ा पूरा परिवार अब उन्हें आखिरकार देख पाएगा।’’

मलखान सिंह के परिवार में अब उनके पोते गौतम और मनीष तथा पोतियां सोनिया, सीमा और मोनिका हैं।

गौतम और मनीष सहारनपुर में ऑटो चलाते हैं, जबकि सोनिया और सीमा शादीशुदा हैं। मोनिका (19) अभी पढ़ाई कर रही है। उनके सभी भाई-बहनों में से केवल इसम और बहन चंद्रपाली ही जीवित हैं। मलखान के अन्य छोटे भाई सुल्तान सिंह और चंद्रपाल की पिछले कुछ वर्षों में मृत्यु हो गई।

एएसपी जैन ने बताया कि मलखान सिंह की पहचान शव के पास मिले एक बैच से हुई।

अधिकारी ने बताया, ‘‘सेना ने हमें बताया कि शव पूरी तरह सड़ा-गला नहीं था, क्योंकि वह बर्फ में था। उनके परिवार के सदस्य उनकी पहचान कर सकते हैं।’’

परिवार के सदस्यों ने बताया कि बुधवार शाम करीब 6.30 बजे अंतिम संस्कार हुआ। उन्होंने सरकार से उनके लिए ‘शहीद’ का दर्जा और मुआवजा देने की भी मांग की।

हिमाचल प्रदेश के रोहतांग क्षेत्र में बर्फ से ढके पहाड़ों पर 1968 में विमान दुर्घटना में लापता हुए मलखान सिंह का शव भारतीय सेना के डोगरा स्काउट्स और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू के कर्मियों की एक संयुक्त टीम ने हाल ही में बरामद किया है।

एएन-12 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के लगभग 56 साल बाद चार जवानों के पार्थिव अवशेष बरामद किए गए। यह 102 लोगों को ले जा रहा ट्विन-इंजन टर्बोप्रॉप परिवहन विमान सात फरवरी 1968 को चंडीगढ़ से लेह के लिए उड़ान भरते समय लापता हो गया था।

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘जवानों के शव और विमान का मलबा दशकों तक बर्फ से ढके इलाके में दबा रहा। वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान के पर्वतारोहियों ने मलबे की खोज की। इसके बाद भारतीय सेना, विशेष रूप से डोगरा स्काउट्स द्वारा कई वर्षों तक अभियान चलाए गए। खतरनाक परिस्थितियों और दुर्गम इलाका होने की वजह से साल 2019 तक केवल पांच शव ही बरामद किए गए थे।’’

भाषा सं जफर जोहेब

जोहेब

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)