उप्र सरकार ने की बुलडोजर कार्रवाई पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना |

उप्र सरकार ने की बुलडोजर कार्रवाई पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना

उप्र सरकार ने की बुलडोजर कार्रवाई पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना

:   Modified Date:  November 13, 2024 / 07:26 PM IST, Published Date : November 13, 2024/7:26 pm IST

लखनऊ, 13 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को बुलडोजर कार्रवाई पर उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह फैसला संगठित अपराध पर लगाम लगाने और अपराधियों में कानून का डर पैदा करने में मदद करेगा।

राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ”सुशासन की पहली शर्त होती है कानून का राज। इस दृष्टि से उच्चतम न्यायालय द्वारा आज दिया गया फैसला स्वागत योग्य है। इस फैसले से अपराधियों के मन में कानून का भय पैदा होगा और माफिया प्रवृत्ति के तहत एवं संगठित पेशेवर अपराधियों पर लगाम कसने में आसानी होगी।”

प्रवक्ता ने कहा, ”कानून का राज सब पर लागू होता है। यद्यपि यह आदेश दिल्ली के संदर्भ में था। उत्तर प्रदेश सरकार इसमें पार्टी (पक्षकार) नहीं थी।”

प्रवक्ता ने कहा कि यह मामला जमीयत उलेमा-ए-हिंद बनाम उत्तरी दिल्ली नगर निगम व अन्य से संबंधित था।

इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने हाल में चलन में आए ‘बुलडोजर न्याय’ पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए संपत्तियों को ध्वस्त करने के संबंध में बुधवार को दिशानिर्देश जारी किये और कहा कि कार्यपालक अधिकारी न्यायाधीश नहीं हो सकते, वे आरोपी को दोषी करार नहीं दे सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि लोगों के घर सिर्फ इसलिए ध्वस्त कर दिए जाएं कि वे आरोपी या दोषी हैं, तो यह पूरी तरह असंवैधानिक होगा।

न्यायमूर्ति गवई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि महिलाएं और बच्चे रातभर सड़कों पर रहें, यह अच्छी बात नहीं है।

पीठ ने निर्देश दिया कि ‘कारण बताओ’ नोटिस दिए बिना कोई तोड़फोड़ नहीं की जाए और नोटिस जारी किए जाने के 15 दिनों के भीतर भी कोई तोड़फोड़ नहीं की जाए।

पीठ ने निर्देश दिया कि ढहाने की कार्यवाही की वीडियोग्राफी कराई जाए। पीठ ने यह स्पष्ट किया कि यदि सार्वजनिक जमीन पर अनधिकृत निर्माण हो या अदालत द्वारा विध्वंस का आदेश दिया गया हो तो वहां उसके निर्देश लागू नहीं होंगे।

इसने कहा कि संविधान और आपराधिक कानून के आलोक में अभियुक्तों और दोषियों को कुछ अधिकार और सुरक्षा उपाय प्राप्त हैं।

उच्चतम न्यायालय ने देश में संपत्तियों को ढहाने के लिए दिशा-निर्देश तय करने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर यह व्यवस्था दी।

भाषा

सलीम, रवि कांत रवि कांत

 

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