क्रिसमस के जश्न को खास बनाने के लिए चर्च में भोजपुरी में गाये गये अनोखे कैरल |

क्रिसमस के जश्न को खास बनाने के लिए चर्च में भोजपुरी में गाये गये अनोखे कैरल

क्रिसमस के जश्न को खास बनाने के लिए चर्च में भोजपुरी में गाये गये अनोखे कैरल

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Modified Date: December 26, 2024 / 12:21 AM IST
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Published Date: December 26, 2024 12:21 am IST

वाराणसी/लखनऊ, 25 दिसंबर (भाषा) इस क्रिसमस पर वाराणसी के ‘भोजपुरी चर्च’ के नाम से मशहूर महमूरगंज चर्च में एक अलग सांस्कृतिक माहौल देखने को मिला।

इस चर्च में भोजपुरी में कैरल गाए गए, ताकि चर्च की सेवाओं को स्थानीय समुदाय तक पहुंचाया जा सके और लोगों की अपनी बोली में ईसा मसीह के ‘जन्म’ का जश्न मनाया जा सके। साल 1986 में शुरू हुई इस परंपरा में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं जो भोजपुरी में कैरल गाते हैं।

वाराणसी निवासी लिटिल राव वर्षों से चर्च की भोजपुरी कैरल सर्विस में भाग लेते रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘आज चर्च में आनंद मनाने का दिन है ताकि शांति और प्रेम कायम रहे। ईश्वर ने हमें जो प्रेम दिखाया है हम उसे अपने परिवार, मित्रों और समुदाय तक पहुँचाना चाहते हैं।’

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भोजपुरी का उपयोग दूरियों को पाटने में मदद करता है और मसीह के संदेशों को सभी तक पहुँचाता है।

राव ने कहा, ‘भोजपुरी यहाँ व्यापक रूप से बोली जाती है, और वंदन गीतों और प्रार्थनाओं में इस भाषा का उपयोग करने से लोगों को बेहतर ढंग से जुड़ने में मदद मिलती है।’

पादरी एंड्रयू थॉमस, पैरिश पादरी ने एकत्रित भीड़ को भोजपुरी में संबोधित किया।

थॉमस ने ‘पीटीआई-वीडियो’ को बताया, ‘भोजपुरी सिर्फ़ एक क्षेत्रीय भाषा नहीं है, बल्कि यह यहां के लोगों के साथ गहराई से जुड़ती है। कई लोग अंग्रेजी में प्रार्थना को पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं, इसलिए अपनी मातृभाषा में प्रार्थना करने से उन्हें संदेश से ज़्यादा जुड़ाव महसूस होता है।’

उन्होंने बताया कि 1986 में स्थापित यह चर्च समुदाय की सेवा कर रहा है। यहां नियमित रूप से रविवार की प्रार्थना सभा आयोजित होती है और अन्य आध्यात्मिक गतिविधियां की जाती हैं। चर्च में इस उत्सव में महिलाओं की विशेष उपस्थिति थी, जिनमें से कई ने स्थानीय रीति-रिवाजों का पालन करते हुए साड़ी पहनी थी और सिंदूर लगाया था।

इस बीच, लखनऊ के हजरतगंज में सेंट जोसेफ कैथेड्रल में क्रिसमस की धूम रही। समारोह में बड़ी संख्या में आगंतुक आए जिनमें विभिन्न धर्मों के लोग भी शामिल थे। इससे उत्सव का माहौल और भी बढ़ गया।

वर्षों से कैथेड्रल की क्रिसमस के जश्न में भाग लेते आ रहे शहर के निवासी राकेश ने कहा, ‘इस साल कैथेड्रल ने एक नृत्य प्रदर्शन का भी आयोजन किया है, जो हमारे उत्साह को और बढ़ा रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘पहले यहां बहुत भीड़ होती थी, लेकिन आज यहां शांति है। हमें बड़ी भीड़ की कमी खल रही थी, लेकिन फिर भी जश्न शानदार है। मैं आज अपनी पत्नी, बहन, बेटे और बेटी के साथ यहां आया हूं।’

आरती नामक एक अन्य आगंतुक ने कहा, ‘यह बहुत सुंदर कार्यक्रम है। मैं अपने पूरे परिवार के साथ क्रिसमस उत्सव का आनंद लेने आयी हूं।’

पहली बार गिरजाघर में आई एंजल ने इस अनुभव पर अपनी खुशी व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘गिरजाघर में संगीतमय प्रदर्शन मंत्रमुग्ध कर देने वाले थे,’

उन्होंने बताया कि कैसे चर्च की विशेष व्यवस्था ने इस कार्यक्रम को उनके लिए और भी यादगार बना दिया। भाषा किशोर सलीम शोभना

शोभना

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)