सच्चा हिंदू किसी एक पूजा पद्धति पर लकीर का फकीर नहीं : योगी आदित्यनाथ |

सच्चा हिंदू किसी एक पूजा पद्धति पर लकीर का फकीर नहीं : योगी आदित्यनाथ

सच्चा हिंदू किसी एक पूजा पद्धति पर लकीर का फकीर नहीं : योगी आदित्यनाथ

:   Modified Date:  September 14, 2024 / 08:51 PM IST, Published Date : September 14, 2024/8:51 pm IST

गोरखपुर, 14 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि पूजा पद्धति, धर्म का एक हिस्सा हो सकता है लेकिन सम्पूर्ण धर्म नहीं हो सकती, इसलिए सच्चा हिंदू किसी एक पूजा पद्धति को लेकर ”लकीर का फकीर” नहीं रहा है।

योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं एवं अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य में शनिवार अपराह्न श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ की शुरुआत के मौके पर यह बात कही।

मंदिर के दिग्विजयनाथ स्मृति भवन सभागार में व्यासपीठ का पूजन करने के बाद उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ”सनातन में यह अक्षुण्ण मान्यता है कि धर्म केवल उपासना विधि नहीं है। पूजा पद्धति, धर्म का एक हिस्सा हो सकता है लेकिन सम्पूर्ण धर्म नहीं हो सकती। इसीलिए सच्चा हिंदू किसी एक पूजा पद्धति पर लकीर का फकीर नहीं रहा है।”

एक आधिकारिक बयान के अनुसार उन्होंने कहा, ”जिस धर्म (सनातन) में इतनी व्यापकता हो, जीवन के उतार-चढ़ाव को समभाव से वही देख सकता है। किसी भी उतार-चढ़ाव में सनातन की व्यापकता बनी रही है।”

योगी ने कहा, ”श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा सत्य और जीवन के रहस्यों को समझाने वाली कथा है। यह सफलता के चरम उत्कर्ष और जीवन के परम सत्य तक पहुंचने की कथा है।”

उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण मोक्ष ग्रंथ है और मोक्ष का अर्थ केवल जीवन से मुक्ति तक सीमित नहीं है।

योगी ने कहा, ”श्रीमद्भागवत कथा और भगवान श्रीराम की लीला से जुड़ी कथाएं सनातन जनमानस में अत्यंत लोकप्रिय हैं। सनातन धर्म के इन दो देवों (श्रीराम और श्रीकृष्ण) ने जनमानस को जितना प्रभावित किया है, उतना व्यापक दृष्टांत पूरी दुनिया में कहीं और नहीं मिलता है।”

उन्होंने कहा कि वेद व्यास जी द्वारा 5200 वर्ष पूर्व रचित श्रीमद्भागवत महापुराण निरंतर सनातन धर्मावलंबियों के जीवन का मार्ग प्रशस्त करते हुए प्रेरणास्रोत बना हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विचारणीय है कि कितने मत, मजहब और सम्प्रदाय का इतिहास पांच हजार वर्ष पुराना होगा? पर, श्रीमद्भागवत कथा पांच हजार वर्ष पूर्व से मानवीय सभ्यता, आध्यात्मिक उन्नयन और भौतिक विकास के उत्कर्ष का रहस्योद्घाटन करती है।

भाषा

आनन्द, रवि कांत रवि कांत

 

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