सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को अपना प्रतीक बनाने वालों के लिए पहचान का संकट खड़ा किया: अखिलेश |

सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को अपना प्रतीक बनाने वालों के लिए पहचान का संकट खड़ा किया: अखिलेश

सर्वोच्च आदेश ने बुलडोजर को अपना प्रतीक बनाने वालों के लिए पहचान का संकट खड़ा किया: अखिलेश

:   Modified Date:  September 17, 2024 / 07:35 PM IST, Published Date : September 17, 2024/7:35 pm IST

लखनऊ, 17 सितंबर (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संपत्तियों के ध्वस्तीकरण पर शीर्ष अदालत के अंतरिम फैसले के बाद मंगलवार को कहा कि “सर्वोच्च आदेश” ने “बुलडोजर को अपना प्रतीक” बनाने वालों के लिए “पहचान का संकट” खड़ा कर दिया है।

यादव ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद “बुलडोज़र वाली सोच का ही ध्वस्तीकरण हो गया है ” और पूछा कि क्या सरकार अब बुलडोजर का भी नाम बदलेगी?

उच्चतम न्यायालय ने समूचे देश में प्राधिकारियों को उसकी इजाजत के बिना आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्ति समेत अन्य संपत्तियों को एक अक्टूबर तक ध्वस्त नहीं करने का मंगलवार को निर्देश दिया।

इसके बाद उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ”न्याय के सर्वोच्च आदेश ने बुलडोज़र को ही नहीं बल्कि बुलडोजर का दुरुपयोग करने वालों की विध्वंसक राजनीति को भी किनारे लगा दिया है।”

उन्होंने शीर्ष अदालत के अंतरिम फैसला को लेकर कहा कि आज बुलडोज़र के पहिये खुल गये हैं और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया है।

दरअसल, प्रदेश में आपराधिक घटनाओं में शामिल आरोपियों के घरों को प्रशासन कथित रूप से बुलडोजर का प्रयोग कर ध्वस्त करता रहा है जिस वजह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को “बुलडोजर बाबा” कहा जाने लगा।

यादव ने उनका नाम लिए बिना कहा “ये (शीर्ष अदालत का फैसला) उनके लिए पहचान का संकट है जिन्होंने बुलडोजर को अपना प्रतीक बना लिया था।”

सपा प्रमुख ने कहा “अब न बुलडोजर चल पायेगा, न उसको चलवाने वाले। दोनों के लिए ही पार्किंग का समय आ गया है।”

सपा प्रमुख ने कहा कि आज बुलडोज़र वाली सोच का ही ध्वस्तीकरण हो गया है ।

उन्होंने पूछा, “अब क्या वो बुलडोजर का भी नाम बदलकर उसका दुरुपयोग करेंगे? दरअसल ये जनता का सवाल नहीं, एक बड़ी आशंका है।”

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है।

शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें आरोप लगाया गया था कि कई राज्यों में आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है।

बुलडोजर मामले को लेकर मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच पहले भी जुबानी जंग हो चुकी है।

इसके पहले, राज्य में सपा सरकार बनने पर बुलडोजर का रुख गोरखपुर की तरफ मोड़ने का बयान देने पर योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव पर तंज करते हुए चार सितंबर को कहा था कि बुलडोजर चलाने के लिये ‘दिल और दिमाग’ की जरूरत होती है।

यादव ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि बुलडोजर में दिमाग नहीं बल्कि ‘स्टीयरिंग’ होता है और उत्तर प्रदेश की जनता कब किसका ‘स्टीयरिंग’ बदल दे, कुछ पता नहीं।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर आदित्यनाथ और उनका बुलडोज़र इतना ही सफल है तो अलग पार्टी बनाकर ‘बुलडोजर’ चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़ें जिससे उनका ‘भ्रम और घमंड’ दोनों ही टूट जाएंगे।

भाषा आनन्द

राजकुमार नोमान

नोमान

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)