गोरखपुर (उप्र), 24 दिसंबर (भाषा) गोरखपुर में राप्ती नदी लुप्तप्राय गांगीय डॉल्फिन के लिए एक समृद्ध आशियाना बन गई है।
वन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हाल के सर्वेक्षणों में गोरखपुर में राप्ती नदी क्षेत्र में 15 से अधिक गांगीय डॉल्फिन की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। यह अनुकूल पारिस्थितिकीय स्थितियों और सफल संरक्षण पहल का संकेत है।
गोरखपुर में रामघाट और नौवा अवल गांव के पास डॉल्फिन की मौजूदगी खासतौर पर देखी गयी है। नदी में डॉल्फ़िन का पहला आधिकारिक रिकॉर्ड 2022 में शहीद अशफ़ाक उल्ला खान प्राणी उद्यान, गोरखपुर (गोरखपुर चिड़ियाघर) और वन विभाग की टीमों द्वारा बनाया गया था। तब से समर्पित संरक्षण प्रयासों के चलते उनकी संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।
गोरखपुर चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि गंगा की सहायक नदी राप्ती अपने स्वच्छ और गहरे पानी के कारण डॉल्फ़िन के प्रजनन के लिए एक आदर्श वातावरण उपलब्ध कराती है।
हेरिटेज फाउंडेशन की अनीता अग्रवाल ने कहा कि 2009 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत गंगा डॉल्फिन को बाघों की तरह भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि डॉल्फिन की बढ़ती आबादी पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार का संकेत है।
हेरिटेज फाउंडेशन के वन्यजीव छायाकार अनिल तिवारी कहते हैं कि राप्ती नदी को साफ करने के लिए गोरखपुर प्रशासन के प्रयासों और नमामि गंगे जैसे सरकार समर्थित अभियानों की वजह से गंगा डॉल्फिन न केवल जैव विविधता को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि गोरखपुर में पर्यटन की संभावनाओं को भी मजबूत कर रही हैं।
भाषा सं. सलीम नोमान
नोमान
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