बहराइच, (उप्र) 26 अक्टूबर (भाषा) बहराइच जिला प्रशासन ने महाराजगंज की सांप्रदायिक हिंसा में मारे गये राम गोपाल मिश्र के मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद के परिवार के चार असलहों का लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इसके अलावा रामगोपाल मिश्र को गोली लगने के बाद समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंचने के लिए कौन जिम्मेदार था, जिला प्रशासन ने इस बिंदु पर भी जांच शुरू की है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
जिलाधिकारी (डीएम) मोनिका रानी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि 13 अक्टूबर को महाराजगंज में हुए घटनाक्रम के मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद के परिवार के शस्त्र लाइसेंसों को निरस्त करने के निर्देश दिये गये हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मीडिया एवं अन्य माध्यमों से हमें जानकारी मिली थी कि उसके परिवार में चार शस्त्र लाइसेंस हैं। हालांकि अभी लाइसेंसी असलहों की वास्तविक संख्या की पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन इस संबंध में आयुध प्रभारी अधिकारी (नगर मजिस्ट्रेट) से कहा गया है कि वह पूरा विवरण लेकर रिर्पार्ट दें।’’
डीएम ने कहा कि आरोपियों के सभी असलहों के लाइसेंस निरस्तीकरण करने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया,‘‘हम पिछला रिकार्ड मंगाकर इस बिंदु पर भी जांच कर रहे हैं कि उनके शस्त्र लाइसेंस कब और किसने, किस-किस आधार पर जारी किए।’’
हरदी थानाक्षेत्र के महाराजगंज कस्बे में 13 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस में हुए बवाल के बीच गोली चलने से रेहुआ मंसूर गांव के निवासी रामगोपाल मिश्र (22) की मौत हो गयी थी। इसके पश्चात महसी, महाराजगंज एवं बहराइच शहर में 13 एवं 14 अक्टूबर को सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी।
महाराजगंज में घटित घटनाक्रम के विषय में जिलाधिकारी ने बताया कि एक वायरल वीडियो में रामगोपाल मिश्र को बाइक पर अस्पताल ले जाते हुए देखा जा रहा है, इस वीडियो की प्रमाणिकता की जांच की जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह भी सुनने में आया कि रामगोपाल को जब गोली लगी तब उन्हें ले जाने के लिए एम्बुलेंस समय पर नहीं आ सकी थी, साथ ही वहां मौजूद तहसीलदार ने अपने सरकारी वाहन से घायल रामगोपाल को ले जाने से इनकार कर दिया था।
इस संबंध में डीएम ने कहा,‘‘तहसीलदार ने इस आरोप से इनकार किया है। लोग यह भी कह रहे हैं कि मौके पर किसी ग्राम प्रधान का वाहन खड़ा था, जिन्होंने घायल रामगोपाल को लेकर जाने के लिए अपना वाहन देने से मना कर दिया था।’’
मोनिका रानी ने कहा,‘‘ शिकायत मिलते ही हमने तहसीलदार को हटाकर उन्हें जिला मुख्यालय से संलग्न किया है। पूरे घटनाक्रम की जांच शुरू कर दी गयी है।’’
डीएम ने कहा,‘‘एंबुलेंस न पहुंचने को लेकर हम सभी संभावित नंबरों की ‘कॉल डिटेल’ मांग रहे हैं, यह देखा जाएगा कि किस-किस नंबर पर कब कब कॉल आई और उस पर क्या कार्यवाही की गयी।’’
उन्होंने बताया कि आरंभिक जांच में यह पता चला है कि गोली लगने की खबर आने के तुरंत बाद घटनास्थल से डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित पीएचसी पर मौजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इलाज एवं एम्बुलेंस की व्यवस्था कर ली थी, लेकिन बाद में पता चला कि ग्रामीण उन्हें लेकर जिला अस्पताल पहुंच गये।
जिले के हालात अब पूरी तरह से सामान्य है। महसी-महाराजगंज क्षेत्र में अब तनाव नहीं है। बैंक, बाजार एवे अन्य संस्थान खुलने शुरू हो गये हैं। शनिवार को लोग बाजार में त्योहार की खरीदारी करते दिखे हैं। लेकिन एहतियातन पर्याप्त पुलिस बल अभी भी वहां तैनात है।
भाषा सं आनन्द राजकुमार
राजकुमार
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