अमरोहा के सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक ने फांसी लगाकर आत्महत्या की |

अमरोहा के सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक ने फांसी लगाकर आत्महत्या की

अमरोहा के सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक ने फांसी लगाकर आत्महत्या की

:   Modified Date:  October 1, 2024 / 07:34 PM IST, Published Date : October 1, 2024/7:34 pm IST

अमरोहा (उप्र), एक अक्टूबर (भाषा) अमरोहा जिले के गजरौला थाना क्षेत्र में मंगलवार को यहां एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक का शव संस्थान की इमारत में लटका मिला।

अमरोहा जिला प्रशासन ने संदिग्ध आत्महत्या मामले की जांच के आदेश दिए हैं।

जिले के गजरौला थाना क्षेत्र के सुलतानपुर इलाके में स्थित ‘कंपोजिट स्कूल’ में प्रधानाध्यापक संजीव कुमार (50) तैनात थे।

अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने अपने दो सहकर्मियों और जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

जिलाधिकारी (डीएम) निधि गुप्ता ने बताया कि प्रधानाध्यापक का शव स्कूल में लटका मिला और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को मौके पर भेजा गया।

गुप्ता ने संवाददाताओं को बताया कि, ‘‘मामले की जांच के लिए अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) के नेतृत्व में एक जांच दल का गठन किया गया है, जिसमें मुख्य विकास अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शामिल हैं।’’

घटनास्थल से मिले कथित सुसाइड नोट में आरोपी के तौर पर नामित लोगों के बारे में पूछे जाने पर जिलाधिकारी ने बताया, ‘‘प्रथम दृष्टया जो नाम सामने आए हैं, उनमें स्कूल के दो शिक्षक राघवेंद्र सिंह और सरिता सिंह शामिल हैं, उनके साथ बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी मोनिका) का नाम भी दर्ज है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह जांच का विषय है कि एक शिक्षक को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा और एक बार जांच समिति का काम पूरा हो जाने के बाद, आगे की कार्रवाई उसी के अनुसार की जाएगी।’’

कथित सुसाइड नोट में कुमार ने कहा कि वह यह कदम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि ‘‘मैं राघवेंद्र सिंह, सरिता सिंह और बीएसए मैडम से तंग आ चुका हूं।’’

कुमार ने नोट में लिखा है ‘‘उनके अपमान, यातना और गालियों का सामना करने से मर जाना बेहतर है… मैं दो अप्रैल, 2019 से उनकी बदमाशी को सहन कर रहा हूं। मैं चाहता हूं कि सीबीआई उनकी जांच करे।’’

इस बीच, कुमार के बेटे अनुज सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि उनके पिता को लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसे उच्च अधिकारियों ने नजरअंदाज कर दिया था।

भाषा सं आनन्द

धीरज

धीरज

 

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