प्रतापगढ़, नौ सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले के तीन विकास खंडों के 20 गांवों के करीब 30 हजार ग्रामीणों ने सामूहिक दृढ़ संकल्प और सामुदायिक भागीदारी से दम तोड़ती सकरनी नदी को फिर से सांस दे दी है और नदी की धारा में अब जल प्रवाहित होने लगा है।
पर्यावरण समर्थक गैर सरकारी संगठन ‘पर्यावरण सेना’ के प्रमुख अजय क्रांतिकारी ने ‘पीटीआई—भाषा’ को बताया कि विकास खण्ड मांधाता क्षेत्र के नेवाड़ी गांव के खुईलन झील से निकलने वाली करीब 27 किलोमीटर लंबी सकरनी नदी अस्तित्वविहीन हो चुकी थी और इसमें जल प्रवाह लगभग समाप्त हो चुका था।’’
उन्होंने कहा ”इस सामूहिक प्रयास ने एक ऐसी नदी को पुनर्जीवित करने में मदद की जो अतिक्रमण और उपेक्षा के कारण लगभग लुप्त हो गई थी।”
सकरनी नदी जिले के मोहनगंज के पंच सिद्ध धाम क्षेत्र में देवघाट के पास गंगा की एक सहायक नदी, सई नदी में विलीन हो जाती है!
क्रांतिकारी ने बताया कि सकरनी के पुनरुद्धार में 10 महीने लगे और इससे कई लाभ हुए।
उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में अतिक्रमण के चलते सकरनी नदी लुप्तप्राय हो गयी थी, जिसके कारण यह लगभग निष्क्रिय हो गई थी। तब ग्रामीणों ने सामुदायिक प्रयास के माध्यम से नदी के प्राकृतिक मार्ग को बहाल करने के लिए एक साथ आने की पहल की।”
सामुदायिक भागीदारी को देखने के बाद, स्थानीय प्रशासन भी नदी पुनरुद्धार प्रयासों में शामिल हो गया।
प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी (डीएम) संजीव रंजन ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के मद का उपयोग करके नदी को पुनर्जीवित करने की योजना पर अपनी मुहर लगा दी।
क्रांतिकारी ने बताया कि डीएम ने नदी बहाली के लिए 1.35 करोड़ रुपये का आवंटन किया, जिस पर नवंबर 2023 में काम शुरू हुआ और जून 2024 में समाप्त हुआ।
उन्होंने कहा कि “नदी पुनरुद्धार परियोजना में मांधाता में 12 ग्राम पंचायतें, लक्ष्मणपुर और सदर विकास खंड में चार-चार ग्राम पंचायतें शामिल थीं। इस कार्य में नदी के 27 किलोमीटर हिस्से की ड्रेजिंग शामिल थी, जिससे आस-पास के गांवों को कई लाभ हुए हैं।”
उन्होंने कहा ”पुनः सक्रिय हुई नदी ने बाढ़ की समस्या को कम किया है, जो पास की खुइलन झील से पानी के अतिप्रवाह के कारण क्षेत्र को प्रभावित करती थी।”
क्रांतिकारी ने पीटीआई—भाषा को बताया, ‘नदी के पुनरुद्धार से पहले झील में जल भराव से आस पास क्षेत्र की फसलें डूब जाती थी, मगर नदी के अस्तित्व में आने से अब झील का पानी निकल जाता है।’’
उन्होंने बताया कि “इस नदी के पुनरुद्धार से जहां इसके किनारे बसने वाले गांव लाभान्वित हो रहें है, वहीं झील में बांध बना कर सिंघाड़े की खेती भी की जा रही है।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि ‘इस विकास से भूजल पुनर्भरण में सुधार होगा, लोगों और जानवरों के लिए पीने योग्य पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इसके अलावा, इससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने में भी मदद मिलेगी क्योंकि पहले प्रभावित हुए पेड़ और वनस्पति फिर से उग आएंगे।’
जिला विकास अधिकारी कृष्णानंद ने बताया कि, ‘सकरनी नदी का सफल पुनरुद्धार मनरेगा और स्थानीय समुदाय दोनों की भागीदारी का एक संयुक्त प्रयास रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘इस पहल ने मौसमी नदी को पुनर्जीवित किया है, जिससे बेहतर जल प्रबंधन और कृषि उत्पादकता के माध्यम से यहां के निवासियों को अतिरिक्त लाभ मिला है।’
अधिकारी ने बताया कि ”अब यह नदी अपने प्राकृतिक मार्ग से बह रही है और विस्तृत सर्वेक्षण और विश्लेषण के बाद नदी के प्राकृतिक मार्ग में किए गए सभी अतिक्रमण को हटा दिया गया है।’
भाषा सं आनन्द रंजन
रंजन
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