'एक देश, एक चुनाव' की व्यवस्था ‘अव्यावहारिक’ ही नहीं ‘अलोकतांत्रिक’ भी : अखिलेश |

‘एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था ‘अव्यावहारिक’ ही नहीं ‘अलोकतांत्रिक’ भी : अखिलेश

'एक देश, एक चुनाव' की व्यवस्था ‘अव्यावहारिक’ ही नहीं ‘अलोकतांत्रिक’ भी : अखिलेश

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Modified Date: December 13, 2024 / 12:34 AM IST
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Published Date: December 13, 2024 12:34 am IST

लखनऊ, 12 दिसंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद बृहस्पतिवार को समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक साथ चुनाव कराने के विचार को ‘अव्यावहारिक और अलोकतांत्रिक’ करार दिया।

यादव ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘एक देश, एक चुनाव सही मायनों में एक अव्यावहारिक ही नहीं अलोकतांत्रिक व्यवस्था भी है क्योंकि कभी-कभी सरकारें अपनी समयावधि के बीच में भी अस्थिर हो जाती हैं तो क्या वहां की जनता बिना लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के रहेगी। इसके लिए संवैधानिक रूप से चुनी गयी सरकारों को बीच में ही भंग करना होगा, जो जनमत का अपमान होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल ‘एक देश, एक चुनाव’ लोकतंत्र के खिलाफ, एकतंत्री सोच का बहुत बड़ा षड्यंत्र है। जो चाहता है कि एक साथ ही पूरे देश पर कब्जा कर लिया जाए। इससे चुनाव एक दिखावटी प्रक्रिया बनकर रह जाएगा।’’

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार पर तंज करते हुए कहा, ‘‘जो सरकार बारिश, पानी, त्योहार, नहान के नाम पर चुनावों को टाल देती है वो एक साथ चुनाव कराने का दावा कैसे कर सकती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘एक देश, एक चुनाव एक छलावा है, जिसके मूल कारण में एकाधिकार की अलोकतांत्रिक मंशा काम कर रही है। ये चुनावी व्यवस्था के सामूहिक अपहरण की साजिश है।’’

सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ भाजपा ने बृहस्पतिवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ के अपने प्रमुख मुद्दे को लागू करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा के क्रियान्वयन के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी।

भाषा सलीम खारी

खारी

 

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