पुरानी प्रणाली ने छात्रों पर बोझ डाला और नये विचारों को दबा दिया : मनोज सिन्हा |

पुरानी प्रणाली ने छात्रों पर बोझ डाला और नये विचारों को दबा दिया : मनोज सिन्हा

पुरानी प्रणाली ने छात्रों पर बोझ डाला और नये विचारों को दबा दिया : मनोज सिन्हा

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Modified Date: December 16, 2024 / 10:35 PM IST
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Published Date: December 16, 2024 10:35 pm IST

गोंडा (उप्र), 16 दिसंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को छात्रों से अपने मन से संतोष की भावना को खत्म करने का आग्रह करते हुए इसे उज्ज्वल भविष्य प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण बाधा बताया।

सिन्हा ने सोमवार को श्री लाल बहादुर शास्त्री डिग्री कॉलेज में मेधावी छात्रों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही।

पूर्व सांसद सत्यदेव सिंह की चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सिन्हा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की प्रशंसा की, जिसमें छात्रों के लिए उनकी रुचियों, क्षमताओं और योग्यताओं के अनुरूप विषयों को चुनने के लिए जिज्ञासा और लचीलेपन को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।

सिन्हा ने कहा, ‘अगर भारत के महान गणितज्ञ रामानुजन को उनके पसंदीदा विषयों का अध्ययन करने की अनुमति नहीं दी गई होती, तो शायद दुनिया उन्हें महान गणितज्ञ के रूप में नहीं जान पाती।’

उन्होंने शिक्षकों से छात्रों की रचनात्मकता को बढ़ावा देने और अतीत की बाधाओं से आगे बढ़कर उन्हें मौलिक विचारों को आकार देने और 20वीं सदी के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को पार करने में मदद करने का आग्रह किया।

सिन्हा ने भारत को वैश्विक स्तर पर ऊपर उठाने के लिए विज्ञान और सांस्कृतिक मूल्यों के संयोजन के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने शिक्षा प्रणाली में ठहराव की आलोचना करते हुए कहा, ‘करीब 34 वर्षों तक हमारी शिक्षा नीतियों में कोई बदलाव नहीं किया गया। पुरानी प्रणाली ने छात्रों पर बोझ डाला और नये विचारों को दबा दिया।’

सिन्हा ने भारत की ऐतिहासिक आर्थिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ’11वीं सदी में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दुनिया की अर्थव्यवस्था का 33 प्रतिशत थी। हालांकि, बार-बार आक्रमणों के कारण हमारी जीडीपी में लगातार गिरावट आई और 1950 तक यह घटकर सिर्फ चार प्रतिशत रह गई।’

सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र उन्नति की ओर अग्रसर है और 2023 तक सकल घरेलू उत्पाद में इसकी हिस्सेदारी 15 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘लेकिन, हमें यहीं नहीं रुकना चाहिए। हमें व्यापार बढ़ाने की जरुरत है और एक बार फिर ‘विश्व गुरु’ की उपाधि हासिल करने के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने का प्रयास करना होगा।’

भाषा

सलीम, रवि कांत रवि कांत

 

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