गाजियाबाद/अमरावती/हैदराबाद, पांच अक्टूबर (भाषा) पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए यति नरसिंहानंद पर एक और मुकदमा दर्ज किया गया। नरसिंहानंद के विवादित बयान के बाद उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले और अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन के बीच कई राजनीतिक पार्टियों ने उनकी तुरंत गिरफ्तारी की मांग की।
नरसिंहानंद के सहयोगियों ने शनिवार को दावा किया कि पुजारी को गाजियाबाद में पुलिस हिरासत में ले लिया गया लेकिन मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
नरसिंहानंद के भड़काऊ बयान का वीडियो वायरल होने के बाद डासना देवी मंदिर के बाहर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गये और शुक्रवार रात से उनके खिलाफ प्रदर्शन करने लगे, जिसके बाद मंदिर परिसर के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई।
नरसिंहानंद डासना देवी मंदिर में पीठासीन महंत हैं।
तेलंगाना सहित कई राज्यों में पुलिस ने शिकायतें दर्ज कीं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को हैदराबाद के पुलिस आयुक्त सीवी आनंद को एक ज्ञापन सौंपकर नरसिंहानंद के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की मांग की।
अधिकारियों ने बताया कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी के लिए महाराष्ट्र के अमरावती शहर में नरसिंहानंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रही भीड़ की ओर से किये गए पथराव में 21 पुलिसकर्मी घायल हो गए और पुलिस की 10 गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गयी।
पुलिस ने बताया कि यति नरसिंहानंद के खिलाफ नागपुरी गेट थाने में बीएनएस की धारा 299 (किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 302 (किसी अन्य व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर शब्द बोलना), 197 (राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाली कार्रवाई) और अन्य के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
नरसिंहानंद के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं। इनमें दिसंबर 2021 में हरिद्वार में एक सम्मेलन में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने का मामला भी शामिल है और फिलहाल वह जमानत पर बाहर थे।
उनकी करीबी सहयोगी और यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव उदिता त्यागी ने दावा किया कि महंत को 29 सितंबर को गाजियाबाद के हिंदी भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में हिरासत में लिया गया और उन्हें कहां रखा गया है, इसकी जानकारी नहीं है।
पुलिस उपायुक्त (देहात) सुरेंद्र नाथ तिवारी से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “हम मंदिर की सुरक्षा में जुटे हैं और हमें उनकी (नरसिंहानंद की) हिरासत के बारे में कोई जानकारी नहीं है।”
पुलिस ने बताया कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए डासना मंदिर के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
मंदिर के बाहर प्रदर्शन को लेकर डासना पुलिस चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक भानु की शिकायत पर वेव सिटी थाने में 150 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी कर जिले में पांच या उससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी है।
पुलिस उपायुक्त (सिटी जोन) राजेश कुमार सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ‘कैला भट्टा’ इलाके में पर्याप्त पुलिस बल और प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) के जवानों को तैनात किया गया है।
इस इलाके में ज्यादातर मुस्लिम आबादी है।
ओवैसी ने हैदराबाद में कहा कि नरसिंहानंद की जमानत रद्द की जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने एक और नफरत फैलाने वाला भाषण देकर अदालत द्वारा निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया है।
एआईएमआईएम अध्यक्ष ने संवाददाताओं से कहा कि इस टिप्पणी के लिए अब नरसिंहानंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
ओवैसी ने कहा कि यति नरसिंहानंद को पहले भी नफरत फैलाने वाले भाषण के सिलसिले में जेल भेजा गया था और उनकी जमानत की शर्तों में से एक यह थी कि उन्हें इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। इसलिए, एआईएमआईएम मांग करती है कि यति नरसिंहानंद की जमानत रद्द की जाए।
एआईएमआईएम ने अपनी शिकायत में यति नरसिंहानंद द्वारा कथित तौर पर की गई कुछ टिप्पणियों का उल्लेख किया और कहा कि ऐसी टिप्पणियां प्रथम दृष्टया नफरत फैलाने वाले भाषण के बराबर हैं।
हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि जब भी कोई नफरत फैलाने वाला भाषण देता है तो उसके खिलाफ स्वत: कार्रवाई की जानी चाहिए।
प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने यति नरसिंहानंद की गिरफ्तारी की मांग की। संगठन ने कहा कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करना ‘‘पर्याप्त नहीं’’ है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने यहां जारी एक बयान में आरोप लगाया कि नरसिंहानंद ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ ‘‘असहनीय ईशनिंदा’’ करने वाली टिप्पणी की है।
मदनी ने दावा किया कि वीडियो में नरसिंहानंद ने जो बयान दिया है, वह अकथनीय और असहनीय है, जिससे दुनिया भर के मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख ने इसे राष्ट्रीय अखंडता के लिए खतरा बताया तथा तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग की।
मदनी ने बयान में कहा, ‘‘हम सरकार से मांग करते हैं कि वह पैगंबर के खिलाफ ईशनिंदा करने वाले नरसिंहानंद को तुरंत गिरफ्तार करे और कानून के अनुसार सख्त से सख्त सजा दे, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा करने की हिम्मत न कर सके।’’
उन्होंने कहा कि नरसिंहानंद के खिलाफ केवल प्राथमिकी दर्ज करना पर्याप्त नहीं है और गंभीर आरोपों के तहत उनकी गिरफ्तारी जरूरी है।
मदनी ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि सरकार इस अत्यंत खेदजनक मामले की गंभीरता को समझेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि उन्हें कानून के अनुसार कड़ी सजा दी जाए और जेल भेजा जाए, ताकि दुनिया भर के लोग भारत के लोकतंत्र का सम्मान कर सकें।’’
राजस्थान स्थित मुस्लिम प्रोग्रेसिव फेडरेशन के संयोजक अब्दुल सलाम जौहर ने बताया कि इस मामले में जयपुर के अलग-अलग थानों में तीन शिकायतें दर्ज की गई हैं।
अजमेर दरगाह के खादिमों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा, “ प्रधानमंत्री और उच्चतम न्यायालय को मामले पर संज्ञान लेना चाहिए। सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। हर बार चुनाव के दौरान इस तरह की आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती हैं।”
कश्मीर में विभिन्न धार्मिक संगठनों के एक समूह मुताहिदा मजलिस उलेमा (एमएमयू) ने महंत नरसिंहानंद की टिप्पणी की निंदा करते हुए तत्काल उनकी गिरफ्तारी की मांग की।
मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाले एमएमयू ने कहा कि इस तरह के ‘ईशनिंदा’ वाले बयान मुसलमानों और धार्मिक हस्तियों व पैगम्बर के सम्मान में विश्वास रखने वाले सभी लोगों के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं।
एमएमयू ने एक बयान में कहा, “जानबूझकर मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले इन दुष्ट लोगों का मकसद समुदायों के बीच भड़काना, नफरत फैलाना और सांप्रदायिक हिंसा भड़काना है। चूंकि उनका कुछ नहीं बिगड़ता इसलिए ऐसे तत्व इन अपमानजनक कृत्यों में लिप्त हो जाते हैं और बच निकलते हैं।”
जम्मू-कश्मीर के जम्मू और राजौरी जिलों में शनिवार को विभिन्न मुस्लिम संगठनों द्वारा विरोध रैलियां निकालीं।
अखिल भारतीय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग परिसंघ के प्रदेश अध्यक्ष आर के कलसोत्रा ने कहा, ‘हम इस प्रदर्शन में शामिल होकर ‘ईशनिंदा’ वाली टिप्पणियों के खिलाफ अपनी कड़ी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं, जिनसे देश में शांति भंग हो सकती है। सरकार को देश के कानून के अनुसार अपराधी के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।’
एक अन्य प्रतिभागी जसबीर सिंह ने कहा कि सिख समुदाय घृणा फैलाने वाले की टिप्पणी की कड़ी निंदा करता है, जिसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत तुरंत जेल भेजा जाना चाहिए।
वहीं अमरावती शहर के नागपुरी गेट थाने के बाहर शुक्रवार रात को हुई पथराव की घटना के सिलसिले में 1,200 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और पुलिस ने उनमें से 26 की पहचान कर ली है।
अमरावती के पुलिस आयुक्त नवीन चंद्र रेड्डी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ संगठनों के सदस्यों सहित भारी भीड़ गाजियाबाद जिले के डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद महाराज के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग को लेकर रात करीब सवा आठ बजे नागपुरी गेट पुलिस थाने पहुंची।’’
उन्होंने बताया कि उस थाने के प्रभारी ने भीड़ से कहा कि उनकी मांग के संबंध में एक प्राथमिकी पहले ही दर्ज की जा चुकी है और जांच जारी है, जिसके बाद भीड़ वापस चली गई।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा जारी कर नागपुरी गेट क्षेत्र में पांच या इससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगा दी है।
भाषा जितेंद्र माधव
माधव
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