सामाजिक एकजुटता के बिना मिलती रहेगी राष्ट्रीय एकता को चुनौती : योगी आदित्यनाथ |

सामाजिक एकजुटता के बिना मिलती रहेगी राष्ट्रीय एकता को चुनौती : योगी आदित्यनाथ

सामाजिक एकजुटता के बिना मिलती रहेगी राष्ट्रीय एकता को चुनौती : योगी आदित्यनाथ

:   Modified Date:  September 21, 2024 / 04:49 PM IST, Published Date : September 21, 2024/4:49 pm IST

गोरखपुर, 21 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि जातीय विभेद, छुआछूत, अस्पृश्यता के चलते जब तक सामाजिक एकजुटता का अभाव रहेगा, तब तक राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिलती रहेगी।

योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 55वीं तथा ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही।

आयोजन के अंतिम दिन शनिवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवैद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए योगी ने कहा, “संतों की पुण्यतिथि पर आयोजन से, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के स्मरण से नयी प्रेरणा मिलती है।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “जातीय विभेद, छुआछूत, अस्पृश्यता के चलते जब तक सामाजिक एकजुटता का अभाव रहेगा, तब तक राष्ट्रीय एकता को चुनौती मिलती रहेगी।”

उन्होंने कहा, “यही कारण है कि भारत की मार्गदर्शक संत परंपरा ने समाज को जोड़ने का संदेश दिया है। हमें बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से सतर्क होकर तथा एकजुट होकर देश और समाज के हित के लिए काम करना होगा।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ महाराज के साथ सेवा के अनेक प्रकल्पों से जुड़कर काम करने का सौभाग्य मुझे मिला। वे मूलतः धर्माचार्य थे। उनमें वात्सल्य का भाव था। वह मार्गदर्शक और सच्चे समाज सुधारक थे। सहज और सरल लोगों के लिए वह वात्सल्य स्वरूप थे तो धर्म विरोधी आचरण करने वालों के प्रति वज्र जैसे कठोर।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज और जीवन का ऐसा कोई पक्ष नहीं जिसे गोरक्षपीठ ने आगे न बढ़ाया हो। पीठ की परंपरा जोड़ने की रही है।

गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने कहा, “पीठ ने इतिहास के अलग-अलग कालखंडों में उन कारणों को समझने के लिए प्रेरित किया जिनकी वजह से देश को गुलाम होना पड़ा।”

उन्होंने कहा, “यह पीठ इसलिए भी समाज की एकजुटता की बात करती है कि जब भी समाज में जाति की खाई को चौड़ा करने का प्रयास किया गया, तब-तब इसका दुष्परिणाम देश को लंबे समय तक गुलामी के रूप में भुगतना पड़ा।”

योगी ने कहा, “स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गुलामी की मानसिकता इतनी हावी रही कि तत्कालीन नेतृत्व देश की सही दिशा तय नहीं कर पाया। अनेक बलिदानियों के सर्वस्व बलिदान से हासिल स्वतंत्रता के बाद भी देश को सही दिशा न मिलने से संतों में आक्रोश था।”

मुख्यमंत्री ने कहा, “आज भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। बीते दस वर्षों में भारत की प्रगति, सर्वांगीण विकास की रूपरेखा उत्साहित करने वाली है।”

उन्होंने कहा, “इस परिस्थिति में हम सबका दायित्व है कि हम बांटने वाली ताकतों के षड्यंत्र से बचें।”

योगी ने कहा, “सतर्क इसलिए भी रहना होगा कि आपस में लड़ाने के लिए पैसा किसी और का होगा लेकिन माध्यम यहीं के लोग होंगे। इससे बचने के लिए संत परंपरा के संदेशों को जानने की आवश्यकता है।”

भाषा

आनन्द, रवि कांत रवि कांत

 

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