कार्यकर्ता बसपा का जनाधार बढ़ाने और आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम करें : मायावती |

कार्यकर्ता बसपा का जनाधार बढ़ाने और आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम करें : मायावती

कार्यकर्ता बसपा का जनाधार बढ़ाने और आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम करें : मायावती

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Modified Date: January 16, 2025 / 02:26 PM IST
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Published Date: January 16, 2025 2:26 pm IST

लखनऊ, 16 जनवरी (भाषा) बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने बृहस्पतिवार को आयोजित कार्यकर्ताओं की बैठक में जनाधार बढ़ाने तथा पार्टी को आर्थिक मजबूती देने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिये।

मायावती ने कहा, ”हमारी पार्टी केवल अपने कार्यकर्ताओं से ही विभिन्न रूपों में आर्थिक मदद लेकर पार्टी की गतिविधियों का संचालन करती है। बसपा, कांग्रेस तथा भाजपा एवं अन्य विरोधी दलों की तरह बड़े-बड़े पूंजीपतियों एवं धन्नासेठों से आर्थिक मदद नहीं लेती है।”

बसपा प्रमुख मायावती ने आज लखनऊ में उत्तर प्रदेश के सभी छोटे-बड़े पार्टी पदाधिकारियों एवं ज़िला अध्यक्षों की एक अहम समीक्षा बैठक में पुराने तर्ज़ पर कैडर आधारित सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिये ठोस रणनीति पर गहन विचार-विमर्श किया ।

प्रदेश की भाजपा सरकार को निशाना बनाते हुए बसपा नेता कहा, ‘‘पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में कानून-व्यवस्था के नाम पर दमनकारी नीति अपनाकर अधिकतर गरीबों, मजलूमों, बेसहारा व मेहनतकश लोगों को अंधाधुंध गिरफ्तार कर जेल में कैद किया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को माननीय अदालत की तरह गंभीर एवं संवेदनशील होकर संविधान धर्म की ज़िम्मेदारी निभाना चाहिए।

मायावती ने कहा, ‘‘विरोधियों के खिलाफ खासकर पुलिस कार्रवाई से लोगों का यह सवाल स्वाभाविक है कि उप्र में यह कैसा कानून का राज है। सत्ताधारी लोगों के हर जुर्म की अनदेखी क्यों है। क्या इससे कानून-व्यवस्था सुधर पाएगी।”

बसपा नेता ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘पहले कांग्रेस एवं सपा और अब भाजपा की सरकारों के रवैयों से स्पष्ट है कि बहुजनों में भी खासकर दलित समाज के प्रति इनका नया-नया उभरा प्रेम विशुद्ध छलावा एवं चुनावी नाटकबाजी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘श्री अमित शाह से भी बाबा साहेब विरोधी बयान को वापस लेकर पश्चाताप करने की बसपा की मांग यथावत बरकरार है।’’

मायावती ने कहा, ”अब किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए कि देश में दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम समाज के प्रति इन पार्टियों का जातिवादी व साम्प्रदायिक रवैया अब तक नहीं बदला है।”

भाषा जफर मनीषा रंजन

रंजन

 

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