मायावती ने दूसरे भतीजे का परिचय कराया, पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह |

मायावती ने दूसरे भतीजे का परिचय कराया, पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह

मायावती ने दूसरे भतीजे का परिचय कराया, पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह

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Modified Date: January 19, 2025 / 05:55 PM IST
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Published Date: January 19, 2025 5:55 pm IST

(जफर इरशाद)

लखनऊ, 19 जनवरी (भाषा) उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख ने पिछले हफ्ते पहले पार्टी की एक बैठक में अपने 26 वर्षीय छोटे भतीजे का औपचारिक परिचय कराया जिसके बाद अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है कि मायावती अपनी कमजोर पड़ती पार्टी में नई जान फूंकने के लिए जल्द ही ईशान आनंद को राजनीति में उतार सकती हैं।

मायावती ने अपने 69वें जन्मदिन के एक दिन बाद 16 जनवरी को अपने दूसरे भतीजे ईशान आनंद को पार्टी की एक बैठक में कार्यकर्ताओं से मिलवाया। ईशान ने लंदन के वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की है।

बसपा की बैठक में शामिल कार्यकर्ताओं ने कहा कि परिचय सरल था, लेकिन संभावनाओं से भरा हुआ था।

ईशान के बड़े भाई आकाश आनंद पहले से ही पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं और उन्हें पहले हरियाणा चुनाव और अब दिल्ली चुनाव में पार्टी के प्रचार की अहम जिम्मेदारी गई है। आनंद और ईशान दोनों ही मायावती के भाई आनंद कुमार के बेटे हैं।

पार्टी के एक कार्यकर्ता ने परिचय की प्रकृति को याद करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया,”पार्टी मंच में परिचय के दौरान बहनजी ने बस इतना कहा, यह ईशान है। वर्तमान में वह अपने पिता के व्यवसाय में मदद कर रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘आकाश भैया बहनजी के बाईं ओर खड़े थे, जबकि ईशान भैया सतीश चंद्र मिश्रा जी के साथ उनकी दाईं ओर खड़े थे।’ कार्यकर्ता ने दावा किया कि यह पहली बार था जब उनके छोटे भतीजे को पार्टी की बैठक में मायावती के साथ देखा गया।

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहते हैं,”ईशान भैया अभी पढ़ाई करने के बाद व्यवसाय संभाल रहे हैं । वह केवल बहन जी (मायावती) के जन्म दिन समारोह में शामिल होने आये थे।’

वह कहते हैं कि अगर ईशान को पार्टी में आना होगा तो बहुत धूमधाम से उनके नाम की घोषणा होगी और “बहन जी उन्हें पार्टी में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी देंगी ।”

बैठक में जब मायावती ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए तो ईशान उनके निर्देशों को लिखते नजर आए। पार्टी के एक सदस्य ने बताया, ‘उन्होंने हर बात डायरी में लिखी।’

ईशान के राजनीतिक सफर की सुगबुगाहट के बारे में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता दीपक रंजन से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा,”मायावती पहले अपने एक भतीजे आकाश को लायी, वह कुछ न कर सकें । अब दूसरे को भी लाकर देख लें । प्रदेश के युवा मतदाता अखिलेश यादव को अपना नेता मानते हैं और वह ही उनकी उम्मीदों पर खरे उतरते हैं।”

रंजन ने कहा, “ जहां तक 2027 के विधानसभा चुनाव का सवाल है तो बसपा के सत्ता में वापस लौटने का सवाल ही नहीं उठता हैं । बसपा का वोटबैंक रहा दलित मतदाता भी समाजवादी पार्टी में अपना भविष्य देख रहा हैं ।”

हालांकि, बसपा के एक नेता ने कहा कि छोटे भीतीजे के आने से पार्टी को बहुत फायदा होगा। उन्होंने कहा, ‘अगर ईशान सक्रिय राजनीति में शामिल होते हैं, तो इसका 2027 के उप्र चुनावों में मतदाताओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। आकाश के साथ मिलकर ये दोनों बदलाव ला सकते हैं।’

बसपा को 2014 के बाद से लगातार चुनावी झटके लगे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में वह अपना खाता भी नहीं खोल पाई, जबकि 2022 के उप्र विधानसभा चुनाव में वह सिर्फ एक सीट जीत पाई।

हाल में हुए उपचुनावों में बसपा एक भी सीट नहीं जीत पाई। इस झटके के बाद मायावती को यह घोषणा करनी पड़ी कि उनकी पार्टी भविष्य में उप्र में कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी।

दलित चिंतक और लखनऊ विश्वविद्यालय के अध्यापक प्रो रविकांत का मानना हैं कि मायावती की सबसे बड़ी चिंता अब अपने पारंपरिक वोट बैंक, खासकर दलित जाटव मतदाताओं को बचाने की है।

उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में उनके जाटव दलित वोट बैंक में बिखराव देखा गया जिसे वह सहेजने की कोशिश कर रही हैं ।

रविकांत कहते हैं कि बसपा को सबसे बड़ी चुनौती आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद से मिल रही है, जो खुद अब लोकसभा सदस्य बन चुके हैं ।

उन्होंने कहा, “युवा दलित मतदाताओं का रुझान अब बसपा से आजाद समाज पार्टी की तरफ बढ़ने लगा है । शायद यही कारण है कि मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में नंबर दो की जिम्मेदारी सौंपी है ।”

प्रोफेसर रविकांत ने पार्टी में अन्य योग्य युवा कार्यकर्ताओं की बजाय परिवार के सदस्यों को चुनने के मायावती के फैसले पर भी सवाल उठाया।

उन्होंने कहा, “पार्टी में बहुत से दलित युवा हैं जो ऊपर आना चाहते हैं, पार्टी के लिये काम करना चाहते हैं । उन्हें भी एक मौका दिया जाना चाहिए।”

भाषा जफर अरूनव मनीष जोहेब नोमान

नोमान

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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