उत्तर प्रदेश: प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अस्थायी शिक्षकों के नियमितीकरण के संदर्भ में एजुकेशन डिपार्टमेंट की ओर से राज्य सरकार को सही जानकारी न देने पर गंभीरता दिखाई है। (Contractual Teachers Regularisation Order Govt Notifications) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देशित किया है कि सात अगस्त 1993 से दिसंबर 2000 तक नियुक्त अध्यापकों का रेगुलराइजेशन धारा 33 जी के तहत होना चाहिए। सम्बंधित विभाग के अफसर 2000 के पहले नियुक्त व इसके बाद नियुक्त दो मुद्दों को एकसाथ जोड़कर सरकार को गुमराह करने की कोशिश रहे हैं। वे ऐसा जानबूझकर कर रहे हैं, जिसके कारण सही फैसले नहीं हो पा रहे है।
कोर्ट ने सरकार को सही जानकारी न देकर तथ्य छिपाने वाले ऐसे अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लेने और आर्डर की कॉपी सीएम के सामने पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अगली सिनकन पर पूरी कार्रवाई का स्टेटस रिपोर्ट माँगा है। मामले पर अगली सुनवाई इसी महीने की 20 सितंबर को होगी। (Contractual Teachers Regularisation Order Govt Notifications) कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने सरकार के सही तथ्यों को छिपाते हुए पिछले साल नौ नवंबर व आठ जुलाई 2024 का सर्कुलर जारी कराया। कोर्ट ने निबंधक अनुपालन से कहा कि दो दिनों के भीतर आर्डर की प्रति सहीफ सेक्रेटरी को भेजें ताकि कार्रवाई के लिए उसे मुख्यमंत्री के सामने लाया जा सके। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने विनोद कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
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